रांची : कांग्रेस ने झारखंड के लिए एक बार फिर मुस्लिम-आदिवासी समीकरण को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रामेश्वर उरांव का चयन किया है। रामेश्वर उरांव केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके नाम पर लंबे समय तक विचार करने के बाद मुहर लगाई गई और अंत में सुबोधकांत सहाय ने भी इस सूची पर मौन सहमति दे दी। सहाय पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ। अजय कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे और उन्होंने अपनी दावेदारी भी पेश की थी लेकिन उन्हें अंतिम समय में मना लिया गया। नए अध्यक्ष की शक्तियों को सीमित करते हुए कांग्रेस ने पांच कार्यकारी अध्यक्षों को भी मनोनीत किया है। इन पांचों का लंबा अनुभव पार्टी को कितना फायदा पहुंचा पाता है अभी तो कहा नहीं जा सकता लेकिन यह तय हो गया कि शक्ति का केंद्र किसी एक जगह पर नहीं होगा।

जिले से लेकर केंद्र तक की राजनीति में शामिल रहे डॉ। रामेश्वर उरांव को अपनी शालीनता और अनुभव का फायदा मिला। उरांव की छवि मृदुभाषी नेता की है। हालांकि इस छवि का नुकसान उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में झेलना पड़ा था जब उन्हें टिकट से वंचित कर दिया गया था। चाहकर भी टिकट कटने का उन्होंने व्यापक विरोध नहीं किया था और न ही समर्थकों को सार्वजनिक तौर पर विरोध करने की इजाजत दी थी। आलाकमान ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए इन्हें इस पद के लिए चुना है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने नए अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्षों की सूची सोमवार को जारी की।

लंबे अनुभव के आधार पर चुने गए 5 कार्यकारी अध्यक्ष

राज्य में कांग्रेस के पांच कार्यकारी अध्यक्ष भी होंगे। यह फॉर्मूला महाराष्ट्र के बाद बिहार में भी पार्टी आजमा चुकी है और फिर अब झारखंड में इसे लागू किया गया है। पांचों कार्यकारी अध्यक्ष का पार्टी के साथ काम करने का लंबा अनुभव रहा है।

केशव महतो कमलेश : वरीय कांग्रेस नेता और सिल्ली के पूर्व विधायक संयुक्त बिहार में मंत्री भी रह चुके हैं। कुर्मी मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता।

डा। इरफान अंसारी : विरासत में मिली राजनीति, मुखर तरीके से रखते हैं अपनी बातें। जामताड़ा से विधायक हैं, पिता फुरकान अंसारी मंत्री और सांसद रह चुके हैं। पूर्व अध्यक्ष डा। अजय कुमार के मुखर विरोधी।

राजेश ठाकुर : नई दिल्ली में एनएसयूआइ के महासचिव से लेकर दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष तक रहे। झारखंड में राज्यपाल के ओएसडी रहे। सामाजिक संस्थाओं से गहरा जुड़ाव। वर्तमान में पार्टी के मीडिया प्रभारी हैं।

मानस सिन्हा : मानस सिन्हा झारखंड प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। इन्हें सुबोधकांत सहाय का करीबी माना जाता है।

संजय पासवान : कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआइ के अध्यक्ष रह चुके हैं। चतरा क्षेत्र में राजनीतिक तौर पर लंबे समय से सक्रिय भी रहे हैं।

Posted By: Inextlive