जेपीएससी अभ्यर्थियों के साथ लगातार हो रहा है छल. ऊंचे पदों पर नौकरी पाने वाले ज्यादातर पैरवीपुत्र ही. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के वेबिनार में जेपीएससी एस्पीरेंट्स ने कमीशन पर उठाए कई सवाल

रांची(ब्यूरो)।एक बार फिर से जेपीएससी का मुद््दा गरमाया हुआ है। जेपीएससी कैंडिडेट्स और आयोग के बीच वॉर चल रहा है। सातवीं पीटी का रिजल्ट जारी होने के बाद से ही माहौल गर्म है। अभ्यर्भी इस मुद्दे को लेकर सड़क पर हैं और लगातार आंदोलन कर रहे हैं। हालांकि जेपीएससी का यह विवाद कोई नया नहीं है। बीते 20 सालों से लगातार यह संस्थान विवाद का हिस्सा बनता रहा है। पहली पीटी से ही आयोग पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। कुछ मामले कोर्ट में हैं तो कुछ में सीबीआई जांच कर रही है। पहली सिविल सर्विसेज परीक्षा के समय से ही अभ्यर्थी संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन इस बार कैंडिडेट्स आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। इस लड़ाई में सिर्फ पीटी में असफल कैंडिडेट्स ही नहीं, बल्कि सफल अभ्यर्थी भी आंदोलन कर रहे हैं। इस मुद्दे पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट बीते एक हफ्ते से अभियान चला रहा है। रविवार को अभ्यर्थियों के साथ एक वेबिनार आयोजित की गई, जिसमें कैंडिडेट्स ने खुलकर अपने विचार रखे।
रद्द करनी ही होगी परीक्षा
आयोग का गठन झारखंड के होनहार, गरीब, पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स को रोजगार से जोडऩे के लिए हुआ था। लेकिन अपने गठन के समय से ही आयोग की सभी नियुक्तियां विवादों में रही हैं। ऐसा लगता है जैसे साफ-सुथरी नियुक्ति के लिए आयोग बना ही नहीं है। कमिशन में करप्शन बढ़ा हुआ है। हर परीक्षा में भ्रष्टाचार देखने को मिला है। इस बार भी गड़बडी साफ झलक रही है। तीन सेंटर सवालों के घेरे में हैं। क्रमवार रोल नंबर को पास किया गया है, जो कहीं से भी इत्तेफाक नहीं हो सकता है। ऐसा कर जेपीएससी खुद ही अपनी छवि खराब कर रहा है। इस बार की परीक्षा को किसी भी हालत में रद्द करना ही होगा।
-दीपक

छले गए कैंडिडेट्स
हमलोग बड़ी उम्मीद लगाकर साल भर पढ़ाई करते हैं। राज्य की सेवा करने की भावना से दिन रात पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी में खुद को झोंक देते हैं। लेकिन अंत में जब करप्शन नियुक्तियों पर हावी हो जाता है, तब महसूस होता है कि मुझ जैसे सभी स्टूडेंट्स छले गए हैं। सवालों के सही जवाब देकर भी यदि सफलता नहीं मिले तो फिर बेकार है पढ़ाई करना और परीक्षा की तैयारी करना। जब होनहार विद्यार्थियों को आयोग नियुक्ति नहीं दे सकता तो ऐसे में आयोग का गठन होना भी बेकार ही है। 21 साल में सिर्फ सात बार ही आयोग सिविल सर्विसेज की परीक्षा ले सका है, वह भी सभी विवादों में हैं। जब-जब आयोग ने परीक्षा ली तब तब उसे रद्द कराने की मांग उठी है।
- राजेश

ऊंचे पदों पर पैरवीपुत्र क्यों?
झारखंड पब्लिक सर्विसेस कमिशन की कार्यशैली देख ऐसा लगता है जैसे इसका गठन सिर्फ पैरवीपुत्र, रिश्वत देने वाले, नेता, मंत्री का बेटा और ऊंचे पदों पर बैठने वाले अधिकारियों के बच्चों को नौकरी देने के लिए ही हुआ है। हम जैसे मिडिल क्लास फैमिली के बच्चे सिर्फ जेपीएससी परीक्षा की तैयारी और अधिकारी बन राज्य सेवा करने के लिए सपना देख समय और पैसे बर्बाद करते हैं। कुछ पैसों के लालच में किसी पैरवीपुत्र की नियुक्ति कर दी जाती है। हमलोग आंदोलन और प्रदर्शन करते रह जाते हैं। इस बार की गड़बड़ी सबके सामने है। सबूत के रूप में ओएमआर शीट भी प्रस्तुत कर दिया गया है, जिसमें आयोग का करप्शन साफ झलक रहा है। 230 अंक लाने वाले अभ्यर्थी को पास किया गया है जबकि 272 नंबर लाने वाले कैंडिडेट फेल हैं।
- कहकशा

पढ़ाई के बाद अब आंदोलन
पढ़ाई, परीक्षा के बाद अब हम स्टूडेंट को आंदोलन भी करना पड़ेगा। इस राज्य में हर रोजगार के लिए अब ऐसी ही कहानी हो गई है। कभी वैकेंसी रद्द कर दी जाती है तो कभी, फार्म भरने के बाद सालों परीक्षा ही नहीं ली जाती है। जेपीएससी की तो लीला ही अपरंपार है। कोई ऐसी परीक्षा नहीं जिसमें जेपीएससी विवादों में न आया हो। इस बार तो आयोग ने सारे रिकार्ड ही तोड़ दिए। सिलसिलेवार तरीके से दो दर्जन से ज्यादा अभ्यर्थियों को पास कर दिया गया, जबकि मेहनत करके पढ़ाई करने वाले ज्यादा माक्र्स लाकर भी फेल कर दिए गए हैं। मंगलवार को आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। हम लोगों ने सबूत आयोग को सौंप दिया है। जेपीएससी के चेयरमैन अमिताभ चौधरी से मिलने का वक्त दिया गया है, जहां सारी बातें रखी जाएगी।
-प्रवीण

Posted By: Inextlive