RANCHI:रांची व आसपास के इलाकों में हो रही लगातार बारिश की वजह से राजधानी के डैमों का वाटर लेवल बढ़ गया है। रुक्का डैम हो या पतरातू, गोंदा या फिर धुर्वा डैम, सभी में पानी लबालब है। पतरातू डैम खतरे के निशान तक पहुंच गया, जिसे देखते हुए सोमवार को विभाग की ओर से डैम के बांध में बने आठ फाटक में से एक खोल दिया गया। इससे पहले पतरातू डैम का फाटक 2017 में खोला गया था। उस वक्त वाटर लेवल खतरे के निशान को भी पार कर गया था। जिस वजह से बांध के आठों फाटक खोलने पडे़ थे। फाटक पर ड्यूटी कर रहे ललन ने बताया कि पतरातू डैम में वाटर लेवल 1329 रेडियस पार कर चुका है, जिसे देखते हुए एक फाटक दो इंच तक खोला गया है। यदि बारिश इसी तरह होती रही तो सभी फाटक भी खोलने पड़ सकते हैं। वहीं मौसम विभाग की मानें तो अगले पांच दिनों तक बारिश की संभावना बनी हुई है।

तीनों डैमों का वाटर लेवल बढ़ा

पानी की किल्लत से जूझ रहे धुर्वा डैम को भी बारिश से काफी राहत मिली है। डैम के जल स्तर में भी थोड़ा सुधार आया है। शनिवार शाम तक 15.6 इंच पानी था जो अब बढ़कर 17 फीट तक पहुंच गया है। हालांकि, डैम में अब भी 14 फीट पानी कम है। जिस वजह से थोड़ी परेशानी हो सकती है, यदि बारिश लगातार हुई तो एक लाख आबादी को बड़ी राहत मिलेगी, इसी प्रकार रुक्का डैम के जल स्तर में भी सुधार आया है। इधर, कांके डैम में भी जल स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है। कांके डैम की कैपासिटी 28 फीट है जबकि 27.2 फीट तक पानी पहुंच चुका है। ऐसे में इस डैम का फाटक कभी भी खोला जा सकता है। वहीं 36 फीट की कैपासिटी वाले गेतलसूद डैम का भी वाटर लेवल 27.8 फीट तक पहुंच चुका है।

शहर वासियों को मिलेगा फायदा

बताते चलें कि राजधानी रांची के बडे़ इलाके को रुक्का से वाटर सप्लाई की जाती है। डैम का जलस्तर ठीक होने से बड़ी आबादी को इसका फायदा मिलेगा। धुर्वा डैम में अब भी राशनिंग जारी है। यहां पानी का जमा न होना सभी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। अच्छी बारिश के बावजूद धुर्वा डैम में लगभग 15 फीट पानी कम है। बारिश के कारण थोड़ी स्थिति में सुधार जरूर आया है। गोंदा डैम से भी एक बड़ी आबादी को वाटर सप्लाई होती है। फिलहाल इस डैम की स्थिति ठीक है, वहीं पतरातू डैम से भी कुछ इलाकों में वाटर सप्लाई होती है। यदि भविष्य में पानी की समस्या हुई तो पतरातू डैम इसका समाधान अवश्य बन सकता है।

डैम का बांध हो गया काफी पुराना

पतरातू डैम में बनाया गया बांध 60 साल पुराना हो चुका है। अब इस बांध से कई स्थानों पर रिसाव होने लगा है, जो खतरे की घंटी है। 60 सालों में बांध की कभी रिपेयरिंग नहीं कराई गई। यहां तक की बांध पर ड्यूटी करने वाले भी हमेशा सहमे हुए रहते हैं। ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों ने बताया कि कई स्थानों से पानी का रिसाव हो रहा है। बांध की सीमेंट दीवारें भी दरकने लगी हैं।

Posted By: Inextlive