रांची: राजधानी रांची सहित राज्य भर के सभी जिलों में रहने वाले सेक्स वर्कर्स, जिनको झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा आईडेंटिफाई किया गया है, उनको नजदीकी डीलर से हर महीने राशन दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद झारखंड सरकार ने झारखंड राज्य आकस्मिक खाद्यान्न कोष से इन सेक्स वर्कर्स को तत्काल सूखा राशन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। राशन देने के साथ ही यह शर्त भी रखी गई है कि उनकी गोपनीयता को भंग नहीं किया जाएगा और उनको अपनी पहचान बताने के लिए प्रेशर भी नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव ने 29 सितंबर को तमाम राज्यों को निर्देश दिया था कि वे सेक्स वर्कर्स को पहचान का सबूत पेश करने के लिए बाध्य किए बिना ड्राई राशन उपलब्ध कराएं। अदालत ने तमाम राज्यों को निर्देश दिया था कि वे राष्ट्रीय एड्स कंट्रोल संगठन और लीगल सर्विस अथॉरिटी द्वारा पहचान किए गए सेक्स वर्कर्स को पहचान का सबूत दिखाने के लिए बाध्य न करें और उन्हें राशन दिया जाए। झारखंड सरकार ने इसको लेकर आदेश भी जारी कर दिया है।

रांची में 1000 से अधिक सेक्स वर्कर हैं

झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के डाटा के अनुसार, राजधानी में 1000 से अधिक सेक्स वर्कर्स हैं, जिनको एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा आईडेंटिफाई किया गया है। इसके अलावा राज्य के सभी जिलों में मिलाकर करीब 18,000 से अधिक सेक्स वर्कर्स झारखंड में हैं। इन सभी लोगों को सूखा राशन तत्काल उपलब्ध कराया जाएगा।

राशन कार्ड बनेगा

खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, जितने भी सेक्स वर्कर्स हैं, वो अपने नजदीक के वार्ड पार्षद या मुखिया से संपर्क कर अपने लिए राशन कार्ड बनाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन दे सकते हैं। उनको आवेदन देने के साथ ही अपनी आइडेंटिटी भी जाहिर नहीं करनी होगी.उनकी गोपनीयता को सुरक्षित रखा जाएगा और उनका तत्काल राशन कार्ड भी बन जाएगा, ताकि उनको हर महीने सूखा राशन दिया जा सके।

ना उजागर हो पहचान

सुप्रीम कोर्ट ने तमाम राज्यों को सेक्स वर्कर्स को राशन मुहैया कराने के लिए चार हफ्ते का और वक्त दिया है। अदालत ने कहा कि उनकी पहचान सुनिश्चित कर राशन मुहैया कराया जाए। अदालत ने कहा कि पहचान के लिए नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की मदद ली जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई है कि कोरोना महामारी के कारण सेक्स वर्कर्स की स्थिति बेहद दयनीय है।

सर्वोच्च अदालत में दायर हुई थी याचिका

याचिका में कहा गया है कि देशभर में 9 लाख से ज्यादा सेक्स वर्कर्स को राशन कार्ड दिया जाए, साथ ही अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। अदालत ने राज्य सरकारों से कहा था कि वो इस मामले में विस्तार से रिपोर्ट पेश करें और बताएं कि सेक्स वर्कर्स को किस तरह से तमाम सुविधाएं दी जा सकती हैं और कैसे राशन कार्ड मुहैया कराया जा सकता है। अदालत ने कहा था कि हम जानते हैं कि सेक्स वर्कर्स के पास पहचान पत्र की कमी है और ऐसे में राशन दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि सेक्स वर्कर्स को ड्राई अनाज दिया जाना चाहिए, इसमें आपत्ति नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया था कि कोरोना महामारी के कारण 96 फीसदी सेक्स वर्कर्स आमदनी का जरिया गंवा चुकी हैं। सेक्स वर्कर्स को जीवन का अधिकार है और गरीमा के साथ जीने का अधिकार है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पारित किया था।

Posted By: Inextlive