- मरीजों को है डॉक्टर साहब का इंतजार

- रिम्स के ऑर्थो डिपार्टमेंट में आ ही नहीं रहे डॉक्टर्स

- कोरोना के कारण दूसरे मर्ज के मरीजों का है बुरा हाल

- कई मरीज एक महीने से पड़े हुए हैं वार्ड में

- डॉक्टर्स के नहीं आने से डिस्चार्ज नहीं हो पा रहे पेशेंट

राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में मरीजों की बदहाली की तस्वीर फिर नजर आने लगी है। कोरोना की वजह से डॉक्टरों एवं मेडिकोज का ज्यादातर मूवमेंट कोविड हॉस्पिटल में रहने की वजह से सामान्य वार्ड के मरीजों की देखभाल सही से नहीं हो पा रही है। कई मरीज इलाज के इंतजार में लगभग एक महीने से हॉस्पिटल के वार्ड में पडे़ हुए हैं। सबसे खराब हालत रिम्स के ऑर्थो वार्ड की है। जहां हाथ, पैर और कमर टूटे हुए मरीज इलाज का इंतजार कर रहे हैं। इसमें वैसे भी मरीज हैं, जो डिस्चार्ज होने की स्थिति में हैं। लेकिन डॉक्टर से अनुमति नहीं मिल पाने की वजह से हॉस्पिटल में पडे़ है। अपने पांव का इलाज करा चुके एक मरीज ने बताया कि वार्ड में डॉक्टर आते ही नहीं हैं। यहां इलाज भगवान भरोसे है। जब से कोरोना आया है, तब से स्थिति और ज्यादा खराब हो चुकी है। लगभग एक महीने के इंतजार के बाद मेरे पैर में रड लगा कर उसे प्लास्टर किया गया। उसे भी अब महीना गुजरने को है। लेकिन छुट्टी नहीं मिलने के कारण यहीं पड़ा हुआ हूं।

जेनरल वार्ड के मरीज भी परेशानी

ऑर्थो के अलावा जेनरल वार्ड एडमिट और सर्जरी वाले पेशेंट का भी इलाज नहीं हो पा रहा है। जेनरल वार्ड में भर्ती मरीजों का कहना है बीते कई दिनों से कोई डॉक्टर आये ही नहीं। सिर्फ कुछ जूनियर डॉक्टर और नर्स एक या दो बार आ जाते हैं। कुछ भी पूछने पर डांट दिया जाता है। दरअसल, रिम्स में डॉक्टर, नर्स और मेडिकल स्टाफ का तीन हिस्सा कोरोना ड्यूटी में लगा है। कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए रिम्स के ट्रामा सेंटर, मल्टीपर्पस पार्किंग समेत कुछ वार्ड को भी कोविड वार्ड बनाया गया था। जिस कारण सामान्य मरीज के इलाज में परेशानी हो रही थी। लेकिन इन दिनों लगातार कोरोना मरीजों की संख्या में गिरावट आ रही है। फिर भी दूसरे मरीजों की उचित देखभाल नहीं हो पा रही है। इस वजह से अब वार्ड में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों की भी परेशानी बढ़ रही है।

ऐसे में कोई भ हो जाए बीमार

रिम्स में अव्यवस्था तो आम बात हो चुकी है। यहां वार्ड से लेकर टायॅलेट तक की हालत बेहद खराब है। सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। बदबू से लोगों का दम घुटने लगता है। मरीज के परिजनों का कहना है कि हॉस्पिटल में गंदगी और बदबू से सामान्य लोग भी बीमार पड़ जाएं। अपने पापा का हाल जानने पहुंची स्मृति कुमारी ने कहा कि मजबूरी में रिम्स में इलाज करा रहे हैं। आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं और दूसरे जगह कोरोना का भी खतरा है। स्मृति ने बताया कि वार्ड में एक पंखा भी सही नहीं है। कुछ चलता नहीं तो कुछ के चलने या न चलने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है। इतनी गर्मी में हर मरीज दिक्कत से रह रहा है।

हर दिन एक हजार मरीज

रिम्स में एक दर्जन से ज्यादा वार्ड हैं, जहां हर दिन एक हजार से ज्यादा मरीज भर्ती होते है। इनमें ज्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं। लेकिन कोरोना की वजह बीते कुछ दिनों से मरीज के भर्ती होने पर रोक लगा दी गई है। सिर्फ गंभीर मरीज का ही इलाज चल रहा है। पहले से भर्ती मरीजों का भी इलाज लगभग रुका हुआ है। एक तरफ तो झारखंड कोरोना से जीत की ओर बढ़ रहा है, लेकिन दूसरी ओर सामान्य मरीजों के इलात नहीं होने से चिंता बढ़ी है। कोरोना का असर सिर्फ रिम्स ही नहीं बल्कि अन्य अस्पतालों एवं प्राइवेट क्लिनिक पर भी देखा जा रहा है। सर्दी, बुखार, बदन दर्द, फ्रैक्चर आदि का इलाज सभी जगह बंद है। प्राइवेट डॉक्टर भी फोन पर ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं। लेकिन वैसे मरीज जो किसी डॉक्टर को नहीं जानते वे खुद ही मेडिकल शॉप से दवा लेकर खाकर रहे हैं।

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Posted By: Inextlive