रांची: राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में व्यवस्था सुधारने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन व्यवस्था सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है। कभी वार्ड में गंदगी तो कभी परिजनों और डॉक्टर्स के बीच मारपीट। इसके अलावा वार्डो में पानी भरने की समस्या से भी मरीज जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं, अब तो रिम्स डेंगू-मलेरिया को भी न्योता दे रहा है। जी हां, कैंपस में जगह-जगह पर ड्रेनेज का पानी जमा हो गया है, जिससे कि वहां पर मच्छरों के लार्वा पनप रहे हैं। ऐसे में अब रिम्स में इलाज करा रहे मरीजों पर डेंगू-मलेरिया का खतरा मंडरा रहा है।

पहले से कोरोना की चपेट में रिम्स

पहले से ही कोरोना ने रिम्स को अपनी चपेट में ले रखा है। आए दिन डॉक्टर, स्टाफ, मरीज से लेकर कई अन्य कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में डेंगू-मलेरिया की दस्तक मरीजों के अलावा रिम्स प्रबंधन के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है। अचानक से डेंगू और मलेरिया के मरीज मिलने शुरू हो जाएं तो स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा। वहीं यह पता लगाना मुश्किल होगा कि कौन सा मरीज कोरोना का है और कौन सा डेंगू-मलेरिया का। चूंकि दोनों ही बीमारियों के कई लक्षण मिलते-जुलते हैं।

सफाई पर करोड़ों खर्च

रिम्स प्रबंधन ने हॉस्पिटल के अलावा कारपेट एरिया की सफाई के लिए एजेंसी को हायर किया है, जिसके तहत हॉस्पिटल से लेकर कारपेट एरिया व कैंपस में सफाई का काम एजेंसी के जिम्मे है। इसके लिए एजेंसी ने सैकड़ों स्टाफ्स भी बहाल कर रखा है। जहां सफाई के लिए हर साल प्रबंधन 3.50 करोड़ रुपए केवल सफाई एजेंसी को पेमेंट करता है। फिर भी हॉस्पिटल की सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है। वहीं ऐसे इलाकों को छोड़ दिया जाता है, जहां पर लोगों का आवागमन कम होता है।

पीएचइडी के कारण भुगतेंगे डॉक्टर-मरीज

हॉस्पिटल में पानी की सप्लाई से लेकर सीवरेज-ड्रेनेज का काम देखने की जिम्मेवारी पीएचईडी की है, जिसके तहत हॉस्पिटल में पानी सप्लाई की मॉनिटरिंग करनी है। इसके अलावा हॉस्पिटल से निकलने वाले सीवरेज-ड्रेनेज के पानी की निकासी का भी काम पीएचइडी ही देखता है। वहीं किसी जगह जल जमाव हो रहा है तो उसे हटाने की भी जिम्मेवारी पीएचइडी की ही है। इस काम के लिए रिम्स प्रबंधन हर साल विभाग को लगभग एक करोड़ रुपए का भुगतान करता है, ताकि कहीं भी पानी का जमाव ना हो। इसे लेकर कई बार डायरेक्टर ने अधिकारियों के साथ बैठक भी की, लेकिन बैठक खत्म होने के बाद ना तो पीएचईडी विभाग के अधिकारी आते हैं और ना ही कोई कर्मचारी। अब इसका खामियाजा रिम्स में इलाज करा रहे मरीजों के अलावा डॉक्टर्स व स्टाफ्सको भी भुगतना होगा।

किचन के पास नाले का पानी

हॉस्पिटल के किचन में रिम्स में इलाज करा रहे मरीजों का खाना बनाया जाता है। लेकिन वहां से महज 20 मीटर की दूरी पर ही ड्रेनेज का पानी बह रहा है। इसके अलावा हॉस्पिटल के बेसमेंट में भी लंबे समय से पानी जमा है। फिर भी प्रबंधन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। अगर वहां पर पनपने वाला कीड़ा या मच्छर मरीजों के खाने तक पहुंच जाए तो फिर अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्या हो जाएगा।

Posted By: Inextlive