RANCHI:अनलॉक की शुरुआत के साथ ही राजधानी में सड़क हादसों में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। हर दिन 3-4 सड़क हादसों की घटना रिकार्ड की जा रही है, जिसमें करीब 50 प्रतिशत लोगों की जान भी जा रही है। ब्लैक स्पॉट पर भी औसतन 10 से ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। पिछले वर्ष 2019 में रांची में 1850 सड़क हादसे हुए। इनमें 350 से अधिक की मौत हुई। जबकि वर्ष 2018 में कुल 538 सड़क हादसे हुए। इसमें 363 लोगों की मौत हुई और 328 लोग घायल हुए हैं। डराने वाले ये आंकड़ें लगातार बढ़ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि ब्लैक स्पॉट्स को दुरुस्त करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

ब्लैक स्पॉट पर खानापूर्ति

ब्लैक स्पॉट्स की पहचान और इसकी सुधार की कई बार योजनाएं बनीं लेकिन अबतक सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। कुछ जगहों पर सुधार हुआ, लेकिन अधूरे काम की वजह से हादसों पर लगाम नहीं लगा है। रांची में जो ब्लैक स्पॉट हैं उनमें कई तीखे मोड़ हैं, कहीं घाटी, तो कहीं डायवर्सन हैं। एफआइआर के आधार पर ये सर्वे किए गए हैं। स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने कई बार ऐसी जगहों को दुरुस्त करने के लिए पत्राचार किया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

फोर व्हीलर से ज्यादा एक्सीडेंट

रांची व आसपास मोटरसाइकिल हादसों की तुलना में कार एक्सीडेंट का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। यहां प्राइवेट कारों की वजह से जहां 12 प्रतिशत एक्सीडेंट होते हैं, वहीं कॉमर्शियल कारों से होने वाले रोड एक्सीडेंट का आंकड़ा 45 प्रतिशत है।

स्पीड गवर्नर के नाम पर लीपापोती

सूबे में स्पीड गवर्नर के नाम पर केवल लीपापोती की जा रही है। चालू कंपनियों के स्पीड गवर्नर वाहनों में लगाए जा रहे हैं। इन स्पीड गवर्नर के टेस्टिंग की भी कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि सरकार ने वाहनों के लिए स्पीड गवर्नर को अनिवार्य कर दिया है, लेकिन इसे चेक करने के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

युवा हो रहे हादसों के शिकार

सड़क हादसों में मरने वालों में सर्वाधिक युवा ही होते हैं। तेज रफ्तार, हाई स्पीड बाइक और ड्राइविंग का रोमांच उनकी जान ले रहा है। राजधानी की ही बात करें तो रांची के चारों तरफ बने रिंग रोड पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। चकाचक रिंग रोड पर रफ्तार का रोमांच दुर्घटनाओं का सबब बन रहा है।

मिट गए जेब्रा क्रॉसिंग व स्टॉप लाइन

शहर के जेब्रा क्रॉसिंग मिट चुके हैं। जहां दिख रहे हैं, वो गलत ढंग से बने हैं। ऐसे में किसी भी चौक या पोस्ट पर रुकने के बजाए लोग आगे बढ़ जाते हैं। इससे एएनपीआर कैमरे से लगातार चालान कट रहे हैं। जो जाम और दुर्घटना दोनों के कारण बनता है।

यहां चलें जरा सम्भलकर

रांची-टाटा नेशनल हाइवे

यहां पहले तीखे मोड़ थे, लेकिन वर्तमान में सड़क निर्माणाधीन है, जिससे उबड़-खाबड़ रास्ते तो हैं हीं, जहां-तहां स्पीड पर नियंत्रण खोने से अचानक हादसे हो जाते हैं। सर्वाधिक हादसे तैमारा घाटी के पास होती है।

रांची रिंग रोड

राजधानी से सटे रिंग रोड पर गति अवरोधक के बावजूद सड़क अच्छी होने के कारण वाहनों की स्पीड अत्याधिक होती है, जो दुर्घटना का कारण बनती है।

रांची-खूंटी रोड

सड़क संकरी है और अधिकांश स्थानों पर वन वे लेन है। वाहनों की अत्याधिक स्पीड के कारण पहाड़ी क्षेत्र की इस सड़क पर वाहन के सामने नियंत्रण खो जाता है, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।

रांची-डालटनगंज रोड

रांची से गुमला और रांची से डालटनगंज मार्ग को फोर लेन किया जा रहा है। बीच में डिवाइडर भी है। ऐसे में वाहनों के लिए स्पीड लिमिट संकेतक का नहीं होना दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण है।

कांटाटोली से विकास विद्यालय

वन लेन, पतली सड़क और जहां-तहां गडढे यहां दुर्घटनाओं के सबसे बड़े कारण हैं। इरबा से लेकर ब्लॉक चौक पर अनावश्यक कट और पर्याप्त जेब्रा क्रॉसिंग के नहीं रहने से लगातार हादसे हो रहे।

रांची-लोहरदगा रोड

इस रोड में रातू के बाद मांडर, चान्हो व बिजूपाड़ा तक कई ब्लैक स्पॉट हैं जहां सड़क हादसे हो रहे हैं।

रांची-रामगढ़ रोड

ओरमांझी से आगे बढ़ने पर चुटूपालू घाटी में तीखे मोड़ की वजह से लगातार हादसे होती है।

रांची-पतरातू रोड

कांके चौक के बाद असुरक्षित कट और टर्निंग। नया फ्लाइओवर के पास बेतरतीब टर्निंग से हादसे हो रहे हैं। इसके बाद पिठोरिया से नीचे उतरने पर भयंकर घाटी मिलती है जो, हादसों की वजह है।

ब्लैक स्पॉट्स की वैज्ञानिक सर्वे के लिए परिवहन विभाग को लिखा गया है ताकि खामियों की पहचान कर दुरुस्त किया जा सके। ब्लैक स्पॉट पर सावधानी और सतर्कता भी जरूरी है।

- अजीत पीटर डुंगडुंग, ट्रैफिक एसपी रांची।

Posted By: Inextlive