RANCHI :ट्रैफिक रूल्स में बदलाव के बाद हर गली-चौक, चौराहों व दुकानों पर इस समय सिर्फ एक ही चर्चा है। फलाने व्यक्ति का इतने हजार रुपए का चालान कट गया। नये रूल्स को लेकर हर किसी का नजरिया अलग है। कुछ इसकी सराहना कर रहे हैं तो कुछ के लिए ये नया नियम गले नहीं उतर रहा है। वहीं रूल्स के उल्लंघन पर अंधाधुंध फाइन कटने से अब लोगों में अपनी अपनी गाडि़यों के पेपर को अप टू डेट कराने की होड़ मच गई है। डीटीओ ऑफिस हो, प्रदूषण जांच केंद्र, हेलमेट की दुकानें या फिर इंश्योरेंस ऑफिस सभी जगह इसके लिए लोगों की लंबी लाइन दिख रही है। शुक्रवार को डीटीओ ऑफिस में कुछ अलग ही नजारा दिखा। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, रिन्यूअल कराने के लिए लोगों मेंअफरा-तफरी मची थी। यहां आवेदन के लिए दो सौ लोगों की भीड़ पहुंची थी।

पॉल्यूशन सर्टिफिकेट भी दे दो

फाइन में वृद्धि के बाद अब लोग गाड़ी के किसी भी कागजात को मामूली नहीं मान रहे हैं। चाहे वह पॉल्यूशन पेपर ही क्यों न हो। जहां लोग पहले इसे जरा भी तवज्जो नहीं देते थे, और बिना इस सर्टिफिकेट के गाड़ी चलाते थे वहीं अब प्रदूषण जांच केंद्र पहुंच कर गाडि़यों की जांच भी करा रहे हैं ताकि यह सर्टिफिकेट भी दुरुस्त रहे।

हेलमेट भी दे दो भाई

बार-बार की आफत कौन मोल ले, इससे अच्छा है कि एक बढि़या वाला ब्रांडेड हेलमेट दे दो भाई। जी हां, मेन रोड के चावला ऑटो सेंटर में ग्राहक कुछ यही कहते नजर आए। वैसे जो लोग पहले हेलमेट लगाना शान के खिलाफ समझते थे उन्हें भी हेलमेट लगाना पड़ रहा है। दुकान के संचालक अमित चावला ने बताया कि पहले एक दिन में 15-20 लोग हेलमेट लेने के लिए आते थे, वहीं अब डेली 50 व्यक्ति हेलमेट खरीदने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को नकली हेलमेट से बचना चाहिए। यह वैसा ही जैसे नकली दवा हो। श्री चावला अपने ग्राहकों को 15 परसेंट की छूट भी दे रहे हैं। छूट नहीं लेने वालों को हेलमेट लॉकर गिफ्ट के रूप में दिया जा रहा है।

पुलिस का सलूक गलत है

पुलिस गुंडई पर उतर आई है। पुलिस जो कर रही है वह बिल्कुल गलत है। आम लोगों के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है। कम से कम एक मौका जरूर देना चाहिए।

इरशाद खान

यह नियम काफी अच्छा है। फाइन भी ठीक वसूला जा रहा है। इससे हमारे व्यवहार में बदलाव आयेगा और हम प्रॉपर कागजात लेकर चलेंगे।

बुद्धि नारायण चौबे

बिल्कुल गलत है। जबरन फाइन वसूला जा रहा है। गरीबों को टारगेट कर फाइन लिया जा रहा है। अमीर और सरकारी नौकरी वालों को नहीं पकड़ रहे हैं। सरकार को अपना यह निर्णय वापस लेना चाहिए।

धर्मेद्र कुमार सिंह

बिल्कुल सही निर्णय है। हमलोगों की आदत ऐसी हो चुकी है कि जबतक डंडा न चले हम नहीं सुधरेंगे। ट्रैफिक रूल्स हर किसी को मानना चाहिए।

डॉ। धीरज

पहले 50 से 60 आवेदन आते थे, अभी दो दिन से 150 से 180 तक आवेदन आ रहे हैं। लोगों में जागरूकता आई है। सरकार का उद्देश्य भी यही है। जब भी चलें गाड़ी के सभी ओरिजनल कागजात लेकर चलें। साथ ही सभी पेपर अप टू डेट कराकर रखें और नियमों को फॉलो करें।

संजीव कुमार, डीटीओ

Posted By: Inextlive