RANCHI:कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए लोगों में भय व्याप्त होने लगा है। शहर की सड़कें खुद ब खुद वीरान होने लगी हैं। मोहल्लों कॉलोनियों में सन्नाटा पसरा है। यह स्थिति तब है जब लॉकडाउन की कोई घोषणा नहीं हुई है। अब लोगों ने सेल्फ लॉकडाउन का डिसीजन लेना शुरू कर दिया है। सिटी के कई लोग हैं जिन्होंने अपने और दूसरों की तकलीफ को देखते हुए खुद से ही दुकानें बंद रखने का फैसला लिया है। कोई एक हफ्ते तो कोई 15 दिन के लिए बिजनेस बंद कर दिया है। हॉटलिप्स रेस्टोरेंट के ओनर रंजन ने दो दिन पहले ही रेस्टोरेंट बंद रखने की घोषणा की। वहीं राजकुमार एंड संस ने भी 15 दिन के लिए सेल्फ लॉकडाउन का निर्णय लिया है। रंजन और राजकुमार की तरह कई लोग हैं, जिन्होंने खुद ही दुकानें बंद कर दी हैं या फिर हफ्ते में तीन दिन ही दुकान खोल रहे हैं।

सोशल मीडिया पर किया शेयर

सिटी के बिजनेस मैन जिन्होंने खुद से अपनी दुकानें बंद कर दी हैं वे अब इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि रांची में भयंकर महामारी फैल रही है। अपना और अपने परिवार के एहतियात को देखते हुए कुछ दिन घर से नहीं निकलने में ही फायदा है। कांके रोड व्यवसायी अर्जुन शर्मा ने बताया कि उनकी हार्डवेयर की दुकान है। दुकान खुली रहने से जिन्हें सामान नहीं लेना रहता है वे भी दुकान के पास आकर खडे़ रहते हैं। हर किसी को बार-बार मना भी नहीं कर सकते हैं। इसलिए दस दिन के लिए दुकान ही बंद करने का फैसला लिया है। एक बार फिर से फैमिली के साथ रहूंगा सभी को सुरक्षित रखने का प्रयास करूंगा। इसी तरह मेन रोड, रातू रोड, चुटिया, पिस्का मोड़, डोरंडा, हरमू व अन्य इलाकों से भी खबरे आ रही हैं, जिसमें लोगों ने अपने प्रतिष्ठान को खुद ही बंद रखने का फैसला लिया है।

हालात भयावह

राजधानी रांची में दिनों दिन स्थिति भयावह होती जा रही है। बीते पांच दिन में सिर्फ रांची से 5089 पॉजिटिव केस सामने आए हैं, लेकिन सरकार की ओर से किसी तरह को कोई सख्त निर्णय नहीं लिया जा रहा है। इधर लगातार केस बढ़ने की वजह से सिटी का हेल्थ डिपार्टमेंट अस्त-व्यस्त हो गया है। मरीज को भर्ती करने के लिए हॉस्पिटल में बेड नहीं है। ऑक्सीजन से लेकर मेडिकल इक्विपमेंट्स एवं दवाइयों की ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो गई है। फिर भी राज्य सरकार कोई ठोस पहल नहीं कर रही। सरकार सिर्फ चुनाव में व्यस्त है, जिस कारण आम लोगों में भी नाराजगी होने लगी है। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए आम लोग खुद ही जीवन की सुरक्षा के लिए लॉकडाउन का फैसला कर रहे हैं।

दूसरी ओर लापरवाही भी बरत रहे कुछ लोग

बढ़ते कोरोना के बीच जहां एक तबका गंभीरता दिखा रहा है तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अब भी लापरवाही बरत रहे हैं। जैसे फुटपाथ पर सामान और सब्जी बेचने वाले दुकानदार, चाट, फुचका, चाऊमीन आदि बेचने वाले लोग कोरोना को लेकर सजग नहीं हैं। फुटपाथ की दुकानों पर भीड़ भी लग रही है और कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा है। यहां तक की छोटे दुकानदार मास्क लगाने में भी लापरवाही बरत रहे हैं। कोविड से हो रही मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। श्मशान घाटों पर लंबी लाइन लग रही है। फिर भी कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। सिटी में रात आठ बजे के बाद दुकानें बंद करने का आदेश दिया गया है, जिस वजह से शाम छह से आठ बजे तक दुकानों पर काफी भीड़ हो रही है। नागा बाबा खटाल, अपर बाजार, डेली मार्केट समेत अन्य बाजारों में लापरवाही देखी जा रही है। प्रशासन की ओर से बार-बार नियमों को मानने की अपील की जाती है। लेकिन लोग इसे भी अनसुना कर रहे हैं।

क्या कहते है व्यवसायी

हर फैसला सरकार नहीं कर सकती। कुछ डिसीजन हमें सेल्फ भी लेना चाहिए। जिस तरह से कोविड के केस बढ़ रहे हैं। उसे देखते हुए मैंने अपना, अपनी फैमिली का, अपने स्टाफ का और सभी परिचितों का एहतियात बरतते हुए कुछ दिनों के लिए बिजनेस बंद रखने का फैसला किया है। हॉटलिप्स और गोकुल रेस्टोरेंट फिलहाल बंद रहेंगे।

- रंजन कुमार, हॉटलिप्स

सरकार के ढुल मूल रवैये और बढ़ते कोरोना पॉजिटिव से सिटी की हालत दिनोंदिन बिगड़ रही है। ऐसी परिस्थिति में सेल्फ लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प है। लोगों की अनावश्यक भीड़ को रोकने के लिए मैंने सेल्फ लॉकडाउन का फैसला लिया। 30 अप्रैल तक मेरी दुकान राजकुमार एंड संस और ए टू जेड मोटर एंड लुब्रिकेंट बंद रहेगी।

- ब्रजेश कुमार, राजकुमार एंड संस

हालात भयावह होते जा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में सरकार राज्य की जनता की भलाई छोड़ कर अपने चुनाव में बिजी है। एहतियात के तौर पर हम व्यवसायिओं ने सेल्फ लॉकडाउन का निर्णय लिया है। 14 अप्रैल से ही दुकानें बंद हैं। फिलहाल एक हफ्ते तक बंद रहेंगी। इसके बाद हालात देख कर निर्णय लिये जाएंगे।

- विपिन सिंह, विपिन स्पेयर सेंटर

कोरोना का प्रकोप बढ़ा हुआ। इसलिए सभी की सुरक्षा को देखते हुए प्रतिष्ठान बंद रखने का निर्णय लिया है। फैमिली और स्टाफ की सेहत को देखते हुए ऑफिस और दुकान बंद रखना ही सही है।

नितिन अग्रवाल, लखनलाल रोडवेज

सिटी की स्थिति वाकई में बिगड़ती जा रही है। हॉस्पिटल में बेड नहीं हैं। कोरोना की चपेट में आने के बाद इलाज के लिए यहां-वहां भटकना पड़ रहा है। खुद की और दूसरों की सेहत को देखते हुए दुकान बंद रखने का निर्णय लिया गया है।

- रुबल, सिंह गुड्स करियर

कोरोना का प्रकोप बढ़ा हुआ है। अब तक कारगर मेडिसीन भी नहीं बनी है। ऐसी स्थिति में सतर्कता ही इसका बचाव। है। सरकार लॉकडाउन का फैसला ले या न ले, मैंने खुद से अपनी दुकान बंद कर दी है। मुझे मेरी फैमिली और स्टाफ की चिंता है।

- ललित बथवाल, तिरुपति स्टील

Posted By: Inextlive