रांची: कोरोना तेजी से अपने पांव पसार रहा है। काफी संख्या में मरीज सामने आ रहे है। जिससे अब लोगों में डर बढ़ने लगा है। वहीं यह डर बुजुर्गो पर काफी हावी हो रहा है। चूंकि कोरोना की वजह से वे घरों में कैद है। उनकी फिजिकल एक्टिविटी पूरी तरह से बंद हो गई है। इस चक्कर में उनकी बीमारी पहले से ज्यादा बढ़ गई है। वहीं अब कोरोना के डर से डिप्रेशन में जा रहे है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर दिन कंसल्टेशन करने वाले मरीजों में बुजुर्गो की तादाद बढ़ती जा रही है जो साइकियाट्रिस्ट से मदद मांग रहे है।

100 में से 20 है बुजुर्गो की संख्या

साइकियाट्रिस्ट के पास हर दिन 100 मरीज आ रहे है तो उनमें बुजुर्गो की संख्या 20 है। ये वैसे मरीज है जिनका पहले से इलाज चल रहा है। लेकिन कोरोना काल में उनकी बीमारी बढ़ गई। कई मरीज तो पहले से ज्यादा एग्रेसिव हो गए। वहीं हर दिन 2 नए बुजुर्ग मरीज आ रहे है जिनकी नींद कोरोना ने उड़ा दी है। वहीं घर के माहौल के कारण भी कोरोना का डर उनमें समा गया है।

क्या करें

-रिलेटिव से फोन पर बात कराएं

-कोरोना के बारे में चर्चा कम हो

-न्यूज पेपर, मैगजीन, उपन्यास पढ़ने को दे

-डाइट पर कंट्रोल रखें

-निगेटिव थिंकिंग से दूर रखे

-बुजुर्गो को अकेला ज्यादा देर न छोड़े

केस-1

तपोवन कॉलोनी में रहने वाले एमके मिश्रा की उम्र 55 वर्ष है। उन्हें बीपी और डायबिटीज की शिकायत थी। इसके लिए डॉक्टर ने उन्हें कम से कम टहलने वाले एक्सरसाइज की सलाह दी थी। कोरोना में ऐसे लोगों के बाहर निकलने पर रोक है। चूंकि उम्रदराज और बीमारी से ग्रसित लोगों को कोरोना अटैक का खतरा अधिक है। अब वह घर में ही पड़े रहते हैं। कोरोना का डर इस कदर हावी है कि उन्हें नींद भी नहीं आ रही है। रात-रात भर जागने से उनकी सेहत बिगड़ रही है और निगेटिव सोच आने लगी है।

केस-2

बी प्रसाद की उम्र 60 के पार है। वह डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीज हैं। ऐसे में दिनभर टीवी देखने के अलावा कोई दूसरा काम उनके पास नहीं था। वहीं घर में कोरोना को लेकर चर्चा का विषय बना रहता है। इस वजह से अब वह डिप्रेशन में चले गए हैं। गले में खरास हुई तो वह डर गए कि कोरोना हो गया है। इसके बाद उन्हें तत्काल डॉक्टर से दिखाया गया तो पता चला कि खानपान की वजह से परेशानी थी। उनके दिमाग में कोरोना का डर बैठ गया था। काउंसेलिंग के बाद वह अब कुछ ठीक है।

एक्सपर्ट सेज

एक उम्र के बाद आदमी रिटायर हो जाता है। ऐसे में उनके पास घर के कुछ काम होते हैं। बाकी मार्केट या सामान लाने के बहाने कुछ एक्टिविटी हो जाती है। लेकिन कोरोना की वजह से उन्हें अटैक का ज्यादा खतरा है। इसलिए बाहर जाने पर रोक है। एक्टिविटी बंद होने के कारण उनके बिहेवियर बदल गए हैं। इसलिए घरवालों को भी ध्यान देने की जरूरत है जिससे कि उन्हें डिप्रेशन में जाने से बचाया जा सके। अगर कोई भी लक्षण दिखे तो उसे सीवियर होने तक का इंतजार न करें।

-डॉ सुरजीत प्रसाद, साइकियाट्रिस्ट, सीआईपी

Posted By: Inextlive