रांची: कोरोना काल में लोगों का अकेलापन अब उनकी जिंदगी पर भारी पड़ने लगा है। आलम ये है कि पिछले पांच दिनों में राज्यभर में कोरोना के कारण जहां पांच लोगों की मौत हुई है, वहीं सिर्फ राजधानी रांची में इतने ही दिनों में सात लोग सुसाइड करके अपनी जिंदगी खत्म कर चुके हैं। जानकार इसका सबसे बड़ा कारण लॉकडाउन के कारण पैदा हुए अकेलेपन और सोशल डिस्टेंसिंग को मान रहे हैं। चिंताजनक बात यह भी है कि आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर युवा ही शामिल हैं। शुक्रवार को राजस्थान कलेवालय के ओनर के बेटे ने भी सुसाइड करके अपनी जान गंवा दी।

भविष्य की चिंता

राजधानी के मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि लॉकडाउन में आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। वो कहते हैं कि इन सभी मामलों की जांच की जा रही है ताकि समझा जा सके कि इनकी वजह क्या रही। मनोचिकित्सक संजय मुंडा कहते हैं कि इस लॉकडाउन में आत्महत्या के मामलों में 20 परसेंट वृद्धि हुई है। आत्महत्या करने वालों में ज्यादा युवा हैं। संजय मुंडा कहते हैं कि युवाओं में अपने भविष्य को लेकर चिंता है और ये उनके डिप्रेशन में जाने, आत्महत्या के लिए प्रेरित होने की वजह बन सकती है।

अकेलापन की समस्या

लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में रहने पर मजबूर हैं। दोस्तों और रिश्तेदारों से न मिल पाने की वजह से लोग एक दूसरे के साथ समस्याएं, चिंताएं साझा नहीं कर पा रहे हैं। आपस में बातचीत से समस्या सुलझती भी थी और मन बहलता भी था लेकिन लॉकडाउन में सब बदल गया है। मनोचिकित्सक युवाओं को सलाह दे रहे हैं कि वो अपने को व्यस्त रखने की कोशिश करें और चिंता न करें। सोशल डिस्टेंसिंग महामारी से बचने के लिए शारीरिक दूरी बनाने के लिए है।

27.6 परसेंट वजह पारिवारिक कलह

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 27.6 फीसदी आत्महत्या के पीछे का कारण पारिवारिक कलह है। देश में कुल आत्महत्या में करीब 27.6 फीसदी का कारण पारिवारिक बताया जा रहा है। वहीं करीब 26 फीसदी लोग अन्य कारणों से अपनी जान दे देते हैं।

राज्य में हर चौथे घंटे सुसाइड

राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च से जून तक प्रतिदिन औसतन 5 लोगों ने खुदकुशी कर अपने जीवन को खत्म कर दिया है। सिर्फ जून महीने में खुदकुशी के 134 मामले पूरे राज्य में सामने आ चुके हैं। राजधानी रांची में तो लॉकडाउन के पहले महीने एक से 25 अप्रैल तक 55 लोगों ने आत्महत्या की है। झारखंड सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट की मानें तो राज्य में हर 4 घंटे में एक व्यक्ति खुदकुशी कर मौत के आगोश में जा रहा है। लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोग डिप्रेशन में आ गए हैं। झारखंड में पिछले 4 महीने में 455 लोगों ने आत्महत्या कर अपने जीवन को समाप्त कर दिया है।

1500 से ज्यादा लोग पहुंचे सीआइपी

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ सायकेट्री(सीआइपी, कांके) के डॉ संजय कुमार मुंडा ने बताया कि लॉकडाउन लागू होने से लेकर अनलॉक तक हमारे यहां 1500 से ज्यादा लोग अवसाद की शिकायत लेकर पहुंचे। इस समय डिप्रेशन से परेशान 150 लोगों ने रोजाना कॉल के माध्यम से संपर्क किया, इनमें से 20 परसेंट लोग ऐसे थे जो अपने जीवन में सभी तरह की उम्मीद खो चुके थे और अपना जीवन समाप्त करने की इच्छा जाहिर कर रहे थे।

सिटी में हाल की सुसाइड

5 जुलाई: किशोरगंज के रहने वाले राजेश कुमार ने सुसाइड कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

6 जुलाई : सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के न्यू मधुकम रोड नंबर 7 में रहने वाले शशिकांत शर्मा(25 वर्ष) ने आत्महत्या कर ली। वह मेन रोड स्थित एक दवा दुकान में काम करते थे

6 जुलाई : पंडरा ओपी क्षेत्र अंतर्गत आईटीआई के नजदीक सर्वेश्वरी नगर में रहने वाले उच्ज्वल कर्मकार(27 वर्ष) ने फांसी लगा ली। वह एक होटल में काम करते थे।

7 जुलाई : होमगार्ड जवान राहुल तिवारी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह कांके के ब्लॉक चौक के पास रहते थे।

8 जुलाई: सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के जयप्रकाश नगर निवासी अनिल सिंह की पत्नी पूर्णिमा देवी(21 वर्ष) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

9 जुलाई : चुटिया थाना क्षेत्र के मुचकुंद टोली स्थित स्कॉलर टावर में रहने वाली खुशबू गुप्ता नामक महिला ने सुसाइड कर ली।

10 जुलाई: राजस्थान कलेवालय के मालिक के बेटे ने आत्महत्या कर ली।

Posted By: Inextlive