सितंबर महीना आने को है यह महीना शहर में रहने वाले लोगों के लिए डर का माहौल बना देता है.


रांची (ब्यूरो): सितंबर में जब बारिश होती है तो नाले भर जाते हैं, हाल के वर्षों में दो लोगों की नाले में बहने से जान चली गई है। अब फिर से सितंबर आने वाला है। रांची में सीवरेज ड्रेनेज का काम पूरा नहीं होने के कारण ऐसी नौबत आई है। इस साल भी सीवरेज ड्रेनेज का काम पूरा नहीं हो पाएगा। भगवान ना करें कि इस साल नाले में बहने से किसी की जान जाए, लेकिन सरकारी व्यवस्था ऐसी है कि जो काम 2017 में पूरा होना था, वो 2022 में भी पूरा नहीं हुआ है।357 करोड़ में पूरा करना था प्रोजेक्ट


जलजमाव और नालियों की समस्या से निजात दिलाने के लिए सीवरेज ड्रेनेज योजना पर करोड़ों रुपए फूंक दिए गए। जोन-1 में रांची नगर निगम के 9 वार्डों में काम होना था। इसके लिए 357 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन चार सालों में 85 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है। वहीं बार-बार एजेंसी बदलने के चक्कर में खर्च भी बढऩे की उम्मीद है। 357 करोड़ रुपए में लखनऊ की कंपनी ज्योति बिल्डटेक को यह ठेका दिया गया था। अब अधूरे प्रोजेक्ट का नए सिरे से काम कराने पर 350 करोड़ से अधिक खर्च होंगे।

16 साल से चल रहा काम2006 में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम की डीपीआर का जिम्मा कंसल्टेंट कंपनी मैनहर्ट को दिया गया था। बाद में मैनहर्ट कंपनी ने सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को चार फेज में पूरा करने को लेकर डीपीआर बनाया। इन चारों फेज के लिए मैनहर्ट ने 1200 करोड़ रुपए का खर्च बताया। जहां फ स्र्ट फेज के काम के लिए ज्योति बिल्टडेक कंपनी का सेलेक्शन किया गया, इसके लिए कुल 357 करोड़ खर्च करने की बात कही गई थी।सिटी को 4 जोन में बांटाराजधानी को चार जोन में बांटकर सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाई गई थी। जोन-1 में काम शुरू हुआ था। पिछली सरकार ने अन्य तीन जोन में भी सीवरेज-ड्रेनेज बनाने की योजना बनाई थी। सरकार बदलने के साथ ही योजनाएं भी फाइलों में बंद हो गईं।जोन-1 में कुल 9 वार्ड इस जोन में कुल 9 वार्ड हैं। यह वार्ड 1 से 5 और 30 से 33 तक के लिए है। 9 वार्डों में कांके रोड, गोंदा टाउन, मिसिर गोंदा, सिंदवार टोली, मोरहाबादी, बडग़ाई, बूटी बस्ती, डिहवार मोहल्ला, रातू रोड के अल्कापुरी, धोबी घाट, इंद्रपुरी रोड नंबर 1, पिस्का मोड़, बैंक कोलोनी, टंका टोली रांची शामिल हैं। जा चुकी हैं जानें

सीवरेज ड्रैनेज में हुए इस खेल की जमीनी हकीकत तो यह है कि इसमें कुछ लोगों की जान भी जा चुकी है। ं हिंदपीढ़ी में एक ब'ची फ लक इस सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम की शिकार हुई थी। इसके अलावा कोकर के एक व्यक्ति के बह जाने की भी खबर आई थी।पहली कंपनी को टर्मिनेट कियापहले फेज के काम के लिए ज्योति बिल्डटेक कंपनी का चयन भी किया गया था, कुल 357 करोड़ रुपए खर्च कर कंपनी को पूरे शहर में सीवरेज ड्रेनेज का काम करना था। लेकिन पहले फेज में 84 करोड़ खर्च कर कंपनी केवल 113 किमी सीवरेज-ड्रेनेज का काम ही कर पाई थी। बाद में ज्योति बिल्डटेक के काम को देखकर मेयर आशा लकड़ा ने दिसंबर 2018 को ही उसे टर्मिनेट कर दिया। 2, 3 और 4 फेज के लिए टेंडर निकाले जाने की प्रकिया जारी थी।इंदौर ने बना लिया है इंदौर शहर ने 300 करोड़ रुपए खर्च कर सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त कर लिया है। वहीं पानी का ट्रीटमेंट कर उसे इस्तेमाल के लायक भी बनाया जा रहा है। लेकिन रांची में अबतक 85 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद चलने लायक भी काम नहीं हो पाया है ।

Posted By: Inextlive