सीएम हेमंत सोरेन ने एसआरएमआई के कार्यक्रम को संबोधित किया. कोरोना काल में माइग्रेशन पर विशेष नीति बनाने की जरूरत महसूस हुई. बेहतर जीवन के लिए माइग्रेट करना स्वाभाविक प्रक्रिया.


रांची(ब्यूरो)। स्किल डेवलपमेंट के साथ हुनर व रोजगार की बेहतर व्यवस्था सरकार की पहली प्राथमिकता है, इसके लिए सरकार निरंतर काम कर रही है। राज्य में विकास के पैमाने अनेक हैं। उद्योग, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित कई ऐसे संसाधन हैं जिससे रोजगार सृजन किए जा सकते हैं। इन संसाधनों को आधुनिक बनाकर अधिक से अधिक रोजगार सृजन सरकार की प्राथमिकता है। राज्य सरकार स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित किए जाने को लेकर विचार कर रही है। जल्द ही राज्य में स्किल यूनिवर्सिटी की भी स्थापना की जाएगी। ये बातें सीएम हेमंत सोरेन ने गुरुवार को कहीं। वह झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में आयोजित सेफ एंड रेस्पांसिबल माइग्रेशन इनिशिएटिव (एसआरएमआई) के शुभारम्भ कार्यक्रम में बोल रहे थे। मौके पर मुख्यमंत्री के कर कमलों से एसआरएमआई के अंतर्गत विवाह सहायता योजना, मातृत्व प्रसुविधा योजना, अंत्येष्टि सहायता योजना, झारखंड निर्माण कर्मकार मृत्यु/दुर्घटना सहायता योजना एवं मेधावी पुत्र-पुत्री छात्रवृत्ति सहायता योजनाओं का लाभ सभागार में उपस्थित लाभुकों के बीच बांटा गया।श्रमिकों के लिए ई-श्रम पोर्टल कारगर
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य के प्रवासी मजदूरों को संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। इस पोर्टल के तहत प्रवासी श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है ताकि विपत्ति के समय राज्य सरकार उन्हें तत्काल मदद पहुंचा सके। मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रवासी श्रमिक भाइयों से अपील किया कि इस पोर्टल में वे अपना रजिस्ट्रेशन अवश्य कराएं। वैसे प्रवासी श्रमिक जो दूसरे देशों में काम करते हैं उन्हें कैसे संरक्षित कर सके इस निमित्त केंद्र एवं राज्य सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने की भी आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे तो राज्य सरकार द्वारा कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलायी जा रही है जिससे यहां के श्रमिकों को उनके घर आसपास में ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।प्रवासी श्रमिकों को ऐसे मिलेगी हेल्पवर्तमान में एसआरएमआई पायलट प्रोजेक्ट के तहत दुमका, पश्चिमी सिंहभूम तथा गुमला के श्रमिकों के पलायन को ध्यान में रखकर नीति बनाई गई है। इन तीन जिलों से दिल्ली, केरल और लेह-लद्दाख इत्यादि जगहों में रोजगार के लिए गए प्रवासी श्रमिकों का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। इन सभी राज्यों से समन्वय स्थापित कर प्रवासी श्रमिकों के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी हक सुनिश्चित किए जाएंगे। प्रवासी श्रमिकों का किसी भी प्रकार से शोषण न हो सके इस निमित्त नियम बनाई गई है। शुरुआती दौर में इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद व्यवस्था के दायरे को और बड़ा बनाया जा सकेगा। संक्रमण काल में बेहतर काम


इस अवसर पर श्रम मंत्री श्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में पूरे करना संक्रमण काल में झारखंड ने सबसे बेहतर कार्य कर दिखाया है। राज्य में आज तक प्रवासी श्रमिकों का सही-सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं था, परंतु हमारी सरकार ने वैश्विक महामारी के दौरान एक-एक प्रवासी श्रमिकों का डाटाबेस तैयार करने का काम किया है। कोविड-19 जब चरम पर था उस समय मुख्यमंत्री ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया तथा प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन, बस, हवाई जहाज इत्यादि सेवाओं से घर वापस लाने का काम कर दिखाया। श्रम मंत्री होने के नाते मैंने भी वैश्विक महामारी के दौरान लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं का निदान करने का काम किया था। हमारी सरकार ने बिना कोई भेदभाव के सभी जाति,धर्म,समुदाय के लोगों के साथ तथा सभी जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय बनाकर कोरोना संक्रमण से राज्यवासियों को बचाने का काम किया था। मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव प्रवीण कुमार टोप्पो, मनरेगा आयुक्त बी। राजेश्वरी, श्रम आयुक्त ए। मुथुकुमार, एसआरएमआई के सहयोगी फिया फाउंडेशन के स्टेट हेड जॉनसन टोपनो, एसोसिएट प्रोफेसर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस हैदराबाद डॉ अश्विनी, निदेशक सीएमआईडी विनय पीटर, एसोसिएट इन्वेस्टमेंट ओमीदयर नेटवर्क इंडिया एवं पीडीएजी के प्रतिनिधि समेत अन्य उपस्थित थे।

Posted By: Inextlive