रांची: रांची नगर निगम सिटी को स्मार्ट बनाने में जुटा है, जिसके तहत नगर निगम में रोड किनारे स्टील के स्मार्ट डस्टबिन लगाए गए, ताकि यह लंबे समय तक चल सके। वहीं इसकी सफाई करने में भी निगम को दिक्कत न हो। लेकिन सिटी में लगे ये डस्टबिन गाडि़यों के धक्के के शिकार हो रहे हैं। स्थिति यह है कि कई डस्टबिन तो जमीन से उखड़ गए हैं, जबकि कुछ की हालत तो खड़े रहने लायक भी नहीं है। इसके बावजूद रांची नगर निगम का ध्यान इस ओर नहीं है। यही वजह है कि सरकारी संपत्ति का नुकसान करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पहले लगाए थे ट्विन बिन

सिटी में हर जगह नगर निगम ने पहले भी डस्टबिन लगवाए थे। प्लास्टिक के ट्विन बिन लोहे के स्टैंड पर लगाए गए थे। जहां डस्टबिन स्मार्ट होने के साथ ही मूवेबल भी थे। इससे सफाई करने में भी दिक्कत नहीं आती थी। लेकिन सिटी के लोग उसे भी खोल कर ले गए। चूंकि ये डस्टबिन केवल लोहे के स्टैंड से लटके हुए थे। इस समस्या को दूर करने के लिए सीमेंट का बेस बनाकर उसपर स्टील के डस्टबिन फिक्स कर दिए गए। जिसे ले जाना लोगों के वश का नहीं था। लेकिन गाडि़यों की वजह से ये बर्बाद हो रहे हैं।

नुकसान करने वालों पर एक्शन नहीं

एक-एक डस्टबिन के इंस्टॉलेशन पर हजारों रुपए खर्च किए जाते हैं। वहीं पूरे शहर की बात की जाए तो इसका खर्च लाखों में आता है। अब सिटी के लोग इस डस्टबिन को पहले तो गायब कर चुके हैं। उस समय भी रांची नगर निगम ने ऐसे लोगों पर कोई एक्शन नहीं लिया और न ही कोई मामला दर्ज कराया। अब स्टील के डस्टबिन को भी बर्बाद किया जा रहा है। इस पर भी नगर निगम ने चुप्पी साध रखी है। अगर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर एक्शन होता तो शहर की ऐसी हालत नहीं होती।

सीसीटीवी से हो सकती है मॉनिटरिंग

सिटी में हर जगह चौक चौराहों के अलावा रास्ते में भी सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं। इसके बावजूद गाडि़यां नगर निगम की संपत्ति को नुकसान कर चली जाती हैं और नगर निगम को पता भी नहीं चल पाता। इससे समझा जा सकता है कि नगर निगम अपनी संपत्ति बचाने को लेकर कितना गंभीर है। निगम चाहे तो ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनसे जुर्माना वसूल सकता है। वहीं नुकसान की भरपाई भी करवा सकता है। फिर भी निगम के अधिकारी नींद में सो रहे हैं।

सुविधा को लगाए थे डस्टबिन

लोग कई बार कचरा डस्टबिन के बाहर ही डालकर चले जाते थे। ऐसे में लोगों की सुविधा को देखते हुए टॉप ओपन डस्टबिन लगाए गए थे, जिसमें कूड़ा डालने के समय ढक्कन खुलता था और छोड़ने के साथ ही बंद हो जाता था। लेकिन गाडि़यों के धक्के के बाद अब यह डस्टबिन खुलने के लायक भी नहीं बचे हैं। जबकि कुछ जगहों पर यह खुले के खुले ही रह गए। अब यह डस्टबिन सिटी के लोगों के लिए आफत बन चुके हैं। वहीं लोग भी ढक्कन खोल कर उसमें कचरा डालना उचित नहीं समझते। साथ ही कुछ के ढक्कन तो अटक गए हैं।

Posted By: Inextlive