- तीनों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत चलेगा दल-बदल का मामला

- 23 नवंबर को स्पीकर न्यायाधिकरण में शुरू होगी सुनवाई

- स्वयं उपस्थित होने अथवा अधिवक्ता के माध्यम से न्यायाधिकरण के समक्ष पक्ष रखने का आदेश

रांची : झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो के न्यायाधिकरण में बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के खिलाफ दल-बदल का मामला चलेगा। विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों नेताओं को मंगलवार को नोटिस जारी किया है। इसमें तीनों नेताओं को 23 नवंबर को न्यायाधिकरण के समक्ष स्वयं अथवा अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होकर पक्ष रखने को कहा गया है। अध्यक्ष कार्यालय से जारी नोटिस में पूर्व में इस संबंध में जारी पत्राचार का उल्लेख किया गया है। बताते चलें कि बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल का नेता मानने की दावेदारी से विधानसभा सचिवालय ने इन्कार कर दिया है, जबकि चुनाव आयोग ने इसकी मान्यता दी है। बाबूलाल मरांडी समेत पिछला विधानसभा चुनाव झाविमो के ¨सबल पर जीते प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को विधानसभा सचिवालय ने निर्दलीय विधायक की मान्यता दी है।

भाजपा में विलय

इधर, विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद बाबूलाल मरांडी ने झाविमो का विलय भाजपा में किया था। प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने इसका विरोध किया तो उन्हें दलीय अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद दोनों विधायकों ने कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय किया, लेकिन उन्हें चुनाव आयोग से अनुमति नहीं मिली। स्पीकर न्यायाधिकरण में तीनों नेताओं को अपनी-अपनी दावेदारी के पक्ष में साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा।

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अधर में लटकेगा नेता प्रतिपक्ष का चयन

भाजपा विधायक दल ने सर्वसम्मति से बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता मनोनीत किया था। विधानसभा में सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के नाते मरांडी ने नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी की, लेकिन विधानसभा सचिवालय ने इसकी मान्यता नहीं दी। पांचवीं विधानसभा गठित होने के बाद हुए विधानसभा के दो सत्रों का संचालन बगैर नेता प्रतिपक्ष की मौजूदगी के हुआ। स्पीकर न्यायाधिकरण में सुनवाई होने के बाद अब इसपर निर्णय में अधिक समय लगने की संभावना है।

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पहले भी चला है दल-बदल का मामला

चौथी विधानसभा में झाविमो के आठ में से छह विधायकों ने दल-बदल कर भाजपा का दामन थाम लिया था। उस वक्त झाविमो अध्यक्ष होने के नाते बाबूलाल मरांडी ने इसे चुनौती दी थी। मामला लगभग साढ़े चार वर्ष स्पीकर न्यायाधिकरण में चला। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने छह विधायकों के दल-बदल को संवैधानिक करार दिया था।

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Posted By: Inextlive