-रांची टाटा फोरलेन का है हिस्सा, सरकार ने हाई कोर्ट को दी जानकारी

-कहा, ¨रग रोड नहीं बनने से रांची में ट्रैफिक की विकट समस्या

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किसने क्या कहा :

-संवेदक : ठेका रद न किया जाए, बाकी बचे फोरलेन का काम दूसरे ठेकेदार को दे दिया जाए।

-एनएचएआइ : समझौता रद किया जा रहा, दूसरे ठेकेदार को काम दिया जाएगा। प्रक्रिया में छह माह लगेंगे।

-बैंक : अगर संवेदक व एनएचएआइ की बीच समझौते रद हुआ तो आम आदमी का पैसा डूबेगा, अब नहीं देंगे पैसा।

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रांची : राज्य सरकार ने रांची ¨रग रोड (एनएच-33 का आंशिक हिस्सा) के करीब 25 किमी फोरलेन को खुद बनाने का निर्णय लिया है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस एके चौधरी की अदालत में रांची-जमशेदपुर फोरलेन सड़क निर्माण मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने उक्त जानकारी दी। सरकार की ओर से इस संबंध में आइए भी दाखिल किया गया है। हालांकि हाई कोर्ट ने इस आवेदन पर कोई फैसला नहीं दिया है।

सरकार उठाएगी खर्च

गुरुवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ¨रग रोड को पूरा करना चाहती है। करीब 25 किमी फोरलेन का निर्माण सरकार अपने खर्च से कराएगी। निर्माण पूरा नहीं होने के चलते ¨रग रोड का उपयोग नहीं हो रहा है। जिससे राजधानी में ट्रैफिक की विकट समस्या उत्पन्न हो रही है। यातायात के बेहतर संचालन के लिए ही सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है। गौरतलब है कि सात फेज में बनने वाले ¨रग रोड के पांच फेज पूरे हो चुके हैं। दो फेज जो रांची-टाटा फोरलेन के अंतर्गत आता है उसका निर्माण आज तक शुरू ही नहीं हुआ है।

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टर्मिनेट न करें, दूसरे को दे सकते हैं काम :

गुरुवार को सुनवाई के दौरान निर्माण कराने वाली कंपनी रांची एक्सप्रेसवे (मधुकॉन की सहयोगी कंपनी) की ओर से कहा गया कि एनएचएआइ और उनके बीच हुए समझौते को रद न किया जाए। एनएचएआइ बाकी बचे फोरलेन का काम दूसरे ठेकेदार से करा सकती है। ठेकेदार अपने संयंत्र और मशीनरी को नए ठेकेदार को देने को इच्छुक हैं, जिन्हें उनकी जगह निर्माण के लिए नियुक्त किया जाएगा। रांची एक्सप्रेसवे दूसरे ठेकेदार के कायरें के लिए किसी राशि का दावा नहीं करेगा। जिसके बाद कोर्ट ने उक्त बातें शपथ पत्र के माध्यम से 13 अगस्त तक कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया ताकि इसपर एनएचएआइ बोर्ड में चर्चा की जा सके। मामले में अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।

एनएचएआई की दलील

एनएचएआइ सदस्य (परियोजना) एके सिंह ने अदालत को बताया कि एनएचएआइ बोर्ड ने रांची एक्सप्रेसवे के साथ समझौते को रद करने और दूसरे ठेकेदार से काम कराने का फैसला किया है। हालांकि इस प्रक्रिया में करीब छह महीने का समय लगेगा, जिसके कारण एनएच-33 के फोरलेन निर्माण में देरी होगी। कहा कि इसको लेकर 16 अगस्त को एनएचएआइ बोर्ड की बैठक होनी है।

आम आदमी का पैसा डूबेगा

इधर, बैंक ने कहा कि अगर संवेदक व एनएचएआइ की बीच हुए समझौते को रद किया जाता है तो आम आदमी का पैसा डूब जाएगा। फोरलेन के लिए अब बैंक किसी तरह का फंड नहीं दे सकता है। इसकी जानकारी एनएचएआइ को भी दे दी गई है।

Posted By: Inextlive