RANCHI: सदर हॉस्पिटल सुपरस्पेशियलिटी राजधानी का दूसरा सबसे बड़ा हॉस्पिटल है, जहां इलाज के लिए लोगों की उम्मीदें काफी बढ़ चुकी हैं। चूंकि लगातार नए विभाग शुरू किए जा रहे हैं। लेकिन सोमवार को हॉस्पिटल में काम करने वाले आउटसोर्स स्टाफ्स ने पेमेंट नहीं दिए जाने के कारण स्ट्राइक कर दी। इसके बाद फिर क्या था पूरा हॉस्पिटल ही ठहर-सा गया। इमरजेंसी को छोड़ बाकी हर जगह मरीज बैठे रह गए, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। वहीं डिलीवरी कराने के लिए पहुंची प्रसूता महिलाओं को कहा गया कि सदर हॉस्पिटल में स्ट्राइक है, रिम्स चले जाइए। इसके बाद लोग अपने साथ मरीजों को लेकर रिम्स समेत प्राइवेट हॉस्पिटलों की ओर भागे।

इंतजार में बैठे रहे मरीज निराश

सदर में हर दिन दर्जनों डिलीवरी के केसेज आते हैं, जिसमें सिजेरियन वाले भी होते हैं। ऐसे में जो नार्मल वाले थे वे मरीज को लेकर सीधे सदर पहुंच गए। जहां गेट पर ही हड़ताल की सूचना मिल गई। कुछ देर इंतजार करने के बाद वहां से सभी रिम्स व अन्य हॉस्पिटल चले गए। कई लोग तो इस उम्मीद में बैठे रह गए कि हड़ताल जल्द ही खत्म हो जाएगी। लेकिन घंटों इंतजार करने के बाद उन्हें निराशा ही हाथ लगी।

ओटी में सिर्फ पुलिस केस, ओपीडी चालू

हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर में कोई भी डिलीवरी नहीं कराई जा रही थी। केवल पुलिस केस में आने वाले मरीजों का इलाज व जांच की गई। इसके बाद गार्ड को बाहर आने वाले किसी भी मरीज को आने से रोकने का आदेश दे दिया गया। साथ ही कहा गया कि आज कोई भी डिलीवरी नहीं कराई जाएगी। वहीं इमरजेंसी में केवल घायलों व गंभीर मरीजों का इलाज किया गया। जबकि ओपीडी में मरीजों की लंबी लाइन लगी रही। डॉक्टर से दिखाने के बाद टेस्ट कराने वालों को परेशानी झेलनी पड़ी।

एक्सरे से लेकर टेस्ट तक प्रभावित

आउटसोर्स के स्टाफ्स सभी डिपार्टमेंट्स में काम कर रहे हैं। नर्सिग से लेकर लैब टेक्निशियन, एक्सरे टेक्निशियन सभी स्ट्राइक पर थे। ऐसे में इलाज के लिए आए मरीजों का टेस्ट भी प्रभावित रहा। कुछ परमानेंट स्टाफ्स धीरे-धीरे टेस्टिंग में लगे रहे। वहीं हॉस्पिटल की सफाई भी ठप हो गई। दिन में सिविल सर्जन के आश्वासन पर सभी काम पर लौटने को तैयार हो गए। एजेंसी ने उन्हें अपने विभागों में काम पर लौटने को कहा। लेकिन थोड़ी देर बाद वे काम पर नहीं लौटे और लिखित में आश्वासन देने की मांग की।

इंतजार करते-करते शाम को हुई डिलीवरी

सतरंजी बाजार बगइचा टोली से आए हैं। 11 बजे हॉस्पिटल पहुंचे तो पता चला कि हड़ताल है। अब हमारे पास इतना पैसा भी नहीं कि कहीं और जा सकें। इस इंतजार में बैठे रहे कि डिलीवरी यहीं कराएंगे। एक बार बोला गया कि हड़ताल खत्म हो गई है। इस चक्कर में अंदर भागते हुए हमलोग गए। लेकिन जाने के बाद फिर से लौटा दिया गया। देर शाम में डिलीवरी कराई गई।

आरती देवी

पेन शुरू हुआ तो कोकर से सदर हॉस्पिटल आए। जहां पहुंचने पर मालूम हुआ कि हड़ताल है। गुहार लगाते रहे लेकिन सीधे रिम्स जाने को कह दिया गया। इसके बाद इएसआई और फिर प्राइवेट हॉस्पिटल का भी चक्कर लगा आए। तबतक जानकारी मिली कि सदर में हड़ताल खत्म हो गई। लेकिन यहां आने पर देखा कि स्टाफ्स ही नहीं हैं। शाम तक इंतजार करने के बाद डिलीवरी के लिए बुलाया गया।

सुनीता देवी

बार-बार स्ट्राइक से मरीज कर रहे सफर

बार-बार किसी न किसी कारण से सिटी के दोनों बड़े सरकारी हॉस्पिटलों में डॉक्टर व हेल्थ वर्कर्स स्ट्राइक कर दे रहे हैं। इससे हॉस्पिटलों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को सफर करना पड़ रहा है। वहीं इलाज नहीं होने की स्थिति में मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल का भी रुख करना पड़ रहा है। इस चक्कर में मरीजों को परेशानी हो रही है। वहीं उनकी जेब पर भी बोझ बढ़ रहा है, सो अलग। इसके बावजूद सरकार स्ट्राइक और कार्य बहिष्कार रोकने को लेकर कोई प्लानिंग नहीं कर रही है।

Posted By: Inextlive