fistula operation is possible by painless sloft surgery and lift technique in Ranchi Jharkhand.

RANCHI: fistula operation by painless sloft surgery : फिस्टुला (दो मुंह वाला फोड़ा)का आपरेशन करने से पहले डॉक्टर्स भी डरते थे। लेकिन, अब ऐसी बात नहीं है। स्लाफ्ट टेक्निक से फिस्टुला का कारगर ऑपरेशन संभव है। इससे बिना चीरफाड़ के समस्या का समाधान संभव है। ये बातें जबलपुर से आए डॉ डीयू पाठक ने कहीं। शनिवार को वह रिम्स आडिटोरियम में दो दिवसीय कान्फ्रेंस में पहले दिन बोल रहे थे। एसोसिएशन आफ कोलोन रेक्टल सर्जंस आफ इंडिया के इस्ट जोन की ओर से मौके पर बड़ी आंत और मल द्वार के आसपास होने वाली बीमारियों को लेकर वर्कशाप भी हुआ। इस दौरान हास्पिटल के सर्जरी ओटी में छह लाइव आपरेशन किए गए।

क्या है स्लाफ्ट तकनीक

डॉ डीयू पाठक ने बताया कि फिस्टुला के ऑपरेशन के लिए उन्होंने नई तकनीक स्लाफ्ट एडॉप्ट की। यह आपरेशन की एक नई तकनीक है। इसके तहत बिना चीरफाड़ के मरीज को फिस्टुला की बीमारी से छुटकारा दिलाया जा सकता है। इसमें मोशन के रास्ते के बगल में एक चीरा लगाया जाता है। इसके बाद फिस्टुला के एक एंड की सिलाई कर दी जाती है, ताकि इंफेक्शन और दोबारा बीमारी होने की टेंशन ख्रत्म हो जाए। इसके बाद बाहर का जख्म धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।

विदेशी सर्जस ने भी माना लोहा

स्लाफ्ट एक ऐसी टेक्निक है, जिसका लोहा विदेशों में भी सर्जस मान रहे हैं। डॉ। पाठक ने लाइव आपरेशन से डॉक्टर्स को बताया कि कैसे स्लाफ्ट टेक्निक से मरीजों को बिना चीरफाड़ के फिस्टुला की समस्या से छुटकारा दिलाई जा सकती है। डॉ। पाठक की टेक्निक से रोम, बर्सीलोना, हानजाउ, मेलबर्न और अमेरिका में डॉक्टर्स को प्रेजेंटेशन दिया है। वहीं इंडिया में भी ख्9 जगहों पर उन्होंने डॉक्टरों को इस टेक्निक से अवगत कराया।

अलग-अलग टेक्निक से छह आपरेशन

सर्जरी ओटी में शुक्रवार को छह अलग-अलग मरीजों का अलग-अलग टेक्निक से आपरेशन किया गया। इसमें फिस्टुला के दो मरीजों का आपरेशन स्लाफ्ट और लिफ्ट टेक्निक से किया गया। वहीं, पाइल्स का आपरेशन बुश और एमआइपीएच टेक्निक से किया गया। इसके अलावा एक पेशेंट की कोलोनोस्कोपी की गई और उसके इंटरनल समस्या की डिटेल देखकर उसका इलाज भी किया गया। वहीं एक अन्य मरीज की प्रोलॉड्स का आपरेशन स्टेपलर टेक्निक से डॉक्टरों ने किया।

मरीज का बेहतर इलाज संभव

कोलो रेक्टल एक्सपर्ट नई तकनीकों का प्रदर्शन भी करेंगे। इससे बीमारियों के इलाज में मरीजों को परेशानी नहीं के बराबर होगी। इसके अलावा फिसर, पाइल्स के अलावा कई अन्य बीमारियों पर भी डॉक्टरों ने मंथन किया। चीफ गेस्ट के रूप में मुंबई के डॉ। शेखर सुरादकर ने कहा कि फिस्टुला को लेकर डॉक्टरों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। टेक्निक से मरीज का बेहतर इलाज किया जा सकता है। इसके साथ ही मरीज को बार-बार आपरेशन कराने की नौबत नहीं आती है। मौके पर एसोसिएशन के पैट्रन रिम्स डायरेक्टर डॉ। बीएल शेरवाल, आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। सतीश मिढा, ठाणे के डॉ। प्रवीण गोरे, पुणे से डॉ। प्रदीप शर्मा, जबलपुर से डॉ। बीयू पाठक समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।

फिस्टुला के लक्षण

-फिस्टुला होने से पहले मोशन के रास्ते में फुंसी का होना

-ठीक होने की बजाय फुंसी का लाल हो जाना और बढ़ते जाना

-ब्लीडिंग के कारण उठने-बैठने में परेशानी

-कमर के पास दर्द, खुजली की समस्या और गुर्दा में जलन

फिस्टुला के कारण

-गुर्दा मार्ग की अच्छे से सफाई नहीं करना

-अधिक समय तक ठंडे, गीली या कठोर जगह पर बैठना

-नाखून से खुरच देने के कारण समस्या होना

-गुर्दा में ज्यादा फुंसी होने के कारण

Posted By: Inextlive