RANCHI:राजधानी रांची में कोरोना के बिगड़ते हालात ने हर किसी को परेशान कर रखा है। सिटी में अब कोई इंसान ऐसा नहीं है जिसके परिचित में कोई न कोई संक्रमित न हो। हॉस्पिटल के हालात से सभी वाकिफ हैं। शमशान घाट और कब्रिस्तान में अंत्येष्टि के लिए जगह नहीं है। दूसरी ओर टेस्ट करा चुके लोगों की रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण भी परेशानी बढ़ गई है। लोग टेंशन में हैं और रोज चेक कर रहे हैं कि कब उनकी रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड हो जाए।

हर जगह अटके हैं सैंपल

सरकारी हो या प्राइवेट सभी लैब में बैकलॉग चल रहा है। सरकारी अस्पताल और लैब में एक हफ्ते में भी जांच रिपोर्ट नहीं मिल रही है। वहीं प्राइवेट संस्थानों में भी दो से तीन दिन का वक्त सैंपल टेस्ट में लग रहा है। सदर हॉस्पिटल, रिम्स, सीसीएल, डोरंडा, समेत विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य केंद्र और सीएचसी सेंटर में कोविड टेस्ट की स्थिति बहुत खराब है। यहां टेस्ट के लिए आने वाले लोगों को भारी परेशानी हो रही है। हजारो सैंपल सिर्फ रिपोर्ट के इंतजार में पडे हुए हैं। जबकि, सैकड़ों सैंपल जांच के लिए भूवनेश्वर भेजे गये थे। उसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग बैकलॉग खत्म करने में सफल नहीं हो पा रहा है।

प्राइवेट लैब में 10 हजार पेंडिंग

रांची में सात लैब में कोविड टेस्ट हो रहा है। इसमें जे शरण, निशांत शरण, मैट्रिक्स, लाल पैथ, एम शरण, अपोलो और पाथकाइंड शामिल हैं। अकेले रांची में ही इन लैब्स में 10 हजार सैंपल टेस्ट के लिए पेंडिंग हैं। चूंकि, मरीजों की संख्या बढ़ी है, तो टेस्ट कराने वालों की भी संख्या बढ़ी है। लोग सैंपल दे रहे हैं, लेकिन लैब वाले अत्यधिक दबाव के कारण हर रोज सैंपल टेस्ट नहीं कर पा रहे हैं। वहीं सरकारी लैब की भी स्थिति अच्छी नहीं है। झारखंड में बुधवार तक 3805 सैंपल का बैकलॉग था। हर दिन यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।

कैरियर बनकर घूम रहे लोग

दस दिन तक रिपोर्ट नहीं आने से स्थिति बद से बदतर हो सकती है। क्योंकि कई ऐसे पॉजिटिव व्यक्ति जो अपने रिपोर्ट का इंतजार तो कर रहे हैं, लेकिन वे अनजाने में कोरोना कैरियर का भी काम कर रहे हैं। क्योंकि रिपोर्ट आने के दौरान वे कई ऐसे लोगों से मिल लेते हैं, जिन्हें पहले कोविड की शिकायत न हो। जब तक रिपोर्ट आती है, तब तक संक्रमण कई लोगों में फैल चुका होता है। नामकुम के रहने वाले सोहन साहू ने अपना और अपनी पत्‍‌नी का नामकुम सीएचसी सेंटर में ही बीते 08 अप्रैल को टेस्ट के लिए सैंपल दिया था। सात दिन बाद भी उन्हें यह पता नहीं चला है कि वे पॉजिटिव हैं या निगेटिव। हालांकि, वे एहतियात बरतते हुए घर पर आइसोलेट हैं। हालांकि, सभी लोग इतने सतर्क नहीं हैं। बुढमू के एक व्यक्ति ने अपना कोविड टेस्ट कराया था। पांच दिन बाद भी रिपोर्ट नहीं मिली, लेकिन वे खुलेआम इधर-उधर घूम रहे हैं। गुरुवार को बुढमू के ही पेट्रोल पंप पर पेट्रोल लेने आए, तब लोगों ने उन्हें देखा और वापस घर जाने को कहा। जांच कराने वाले लोगों ने बताया कि वेबसाइट पर रिपोर्ट अपलोड होने की जानकारी दी जाती है, लेकिन वहां भी सर्च करने पर कुछ नहीं मिलता। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर से भी कोई सहायता नहीं मिल रही है।

रिपोर्ट मिलने से पहले ही जा रही जान

रांची में स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि रिपोर्ट के इंतजार में मरीज की जान तक चली जा रही है। कांके थाना के पतरातू के रहने वाले कुलदीप मुंडा को कोविड रिपोर्ट एक हफ्ते बाद मिला। रिपोर्ट में वे पॉजिटिव थे। लेकिन रिपोर्ट मिलने के आधे घंटे बाद ही उनकी जान चली गई। वहीं तपेश्वर का इलाज रिम्स के मेडिसीन वार्ड में चल रहा था। कोविड में रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया। इस दौरान कई लोग उनसे मिल चुके थे। तपेश्र के दोस्त नीरज ने बताया कि बिना कोविड रिपोर्ट के ही ऑक्सीजन पर रखा गया था। रिपोर्ट मिलने में देरी की वजह से उनका ट्रीटमेंट सही से नहीं हुआ और उनकी मृत्यु हो गई।

Posted By: Inextlive