RANCHI : जैसे ही घर का दरवाजा खटकता है, लगता है जैसे फूल सी बेटी लौट आई हो। लेकिन हर दफा मायूसी ही हाथ लगती है। पूरे पांच महीने गुजर गए। दसवीं की छात्रा रुचि कुमारी धुर्वा सेक्टर टू स्थित अपने घर के पास ऑटो पर सवार होकर स्कूल जाने के लिए निकली थी तो आज तक नहीं लौटी। पड़ोस में ही रहनेवाले राजू सिंह, रिंकू सिंह वगैरह ने क्वार्टर को लेकर हुए झगड़े में रुचि के पिता सत्येंद्र राय को धमकी दी थी कि उनकी बेटी को उठा लेंगे। सत्येंद्र राय ने उनकी धमकी नजरअंदाज कर दी थी, लेकिन धमकी देने वालों ने उसे सचमुच राह चलते उठा लिया। तब से आज तक रुचि के मां-पिता और परिजनों ने किस दरवाजे पर माथा नहीं पटका? थाना से लेकर पुलिस के आला अफसरों के दर पर फरियाद लगाई पर सब कुछ बेअसर। न तो अपहर्ता पकड़े गए और न ही रुचि का पता चला। रुचि के पिता मामूली प्राइवेट जॉब करते हैं। न कोई पैरवी है न रसूख। लिहाजा किसी अफसर ने रुचि के मामले में कोई रुचि नहीं ली।

घर के पास रहते हैं आईओ, पर एक अंगुल भी आगे नहीं बढ़ी जांच

घटना बीते साल यानी 2014 के 22 अगस्त की है। हर रोज की तरह रुचि धुर्वा सेक्टर टू स्थित प्रतिष्ठित सीबीएसई स्कूल विवेकानंद विद्या मंदिर के लिए निकली थी। वह शाम को घर नहीं लौटी तो घरवालों ने खोजबीन शुरू की। स्कूल में पता किया। पता चला कि वह स्कूल नहीं आई। अपहरण की धमकी देनेवाले पड़ोसी रिंकू सिंह के घर भी गए, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। अगले दिन 23 अगस्त को घरवालों ने जगन्नाथपुर थाने में राजू सिंह, रिंकू सिंह वगैरह के खिलाफ नामजद एफआईआर लिखवाई। इस मामले की जांच के लिए जिस पुलिस अफसर रामकुमार पासवान को आईओ बनाया गया है, वह भी रिंकू और रुचि के घर के पास ही क्वार्टर नंबर बी-1334 में रहते हैं, लेकिन पांच महीने में जांच एक अंगुल भी आगे नहीं बढ़ी। जिस रिंकू सिंह पर अपहरण का आरोप है, वह क्वार्टर नंबर बी- 1309 में रहता था।

फोन पर लगातार धमकी दे रहे किडनैपर

ऐसा नहीं है कि पुलिस के पास अपहर्ताओं का कोई सुराग नहीं है। सब कुछ जानकर भी पुलिस अनजान बनी है। रुचि के मां-पिता की मानें तो अपहर्ता आपराधिक चरित्र के हैं। रिंकू सिंह कई मामलों में जेल भी जा चुका है। वह रिवॉल्वर लेकर मुहल्ले में किसी के घर भी घुस जाता है। पुलिस को उसका नंबर भी दिया गया, पर सब कुछ सिफर। हद तो यह कि किडनैपर फोन पर रुचि की मां को आज भी धमकी दे रहे हैं। रुचि की मां बताती हैं कि घटना के कुछ ही दिन बाद एक कॉल आया। कॉॅलर ने कहा कि मैं गोपालगंज से बोल रहा हूं। तुम बहुत खूबसूरत होक्या मुझसे शादी करोगी? इस पर गीता देवी कहती हैं कि मैं शादीशुदा हूं। तीन बच्चों की मां भी हूं। इस पर कॉलर ने कहा कि मुझे सब कुछ मालूम है। उसने गाली देते हुए कहा कि अपनी बेटी को पाना है, तो मुझसे प्यार कर लो। गीता देवी ने पूछा कि आप कौन बोल रहे हैं तो जवाब मिला कि तुम्हारा ही पड़ोसी हूं। तुम्हारी बेटी हमारे कब्जे में है। गीता देवी ने पुलिस को इस कॉल की जानकारी दी और कॉलर का नंबर भी उपलब्ध कराया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

झगड़ा क्वार्टर का और उठा लिया बेटी को

किडनैपिंग की इस घटना के पीछे की वजह एचईसी के एक क्वार्टर पर कब्जे को लेकर झगड़ा है। जिस क्वार्टर में रुचि के घरवाले रहते हैं, उसके ऊपरी तल्ले पर एक क्वार्टर खाली पड़ा था। रुचि के पिता सत्यनारायण राय ने इस क्वार्टर में अपने घर का सामान रख छोड़ा था। पड़ोसी रिंकू सिंह इस क्वार्टर पर कब्जा करना चाहता था। सत्यनारायण राय और उनकी गीता देवी ने इसपर विरोध जताया था। इस बात को लेकर दोनों के बीच कहा-सुनी भी हुई थी। तभी रिंकू सिंह ने रुचि के अपहरण की धमकी दी थी। बताया जाता है कि पुलिस ने एक बार रिंकू सिंह को अवैध पिस्टल के साथ पकड़ा था। बाद में वह बेल पर रिहा हो गया।

मात्र डेढ़ किमी दूर रहते हैं सीएम, काश उन तक पहुंचे हमारी आवाज

रुचि के घरवाले धुर्वा सेक्टर टू के क्वार्टर नंबर बी-1354 में रहते हैं। वहां से सीएम रघुवर दास के वर्तमान आवास की दूरी बमुश्किल एक-डेढ़ किलोमीटर है। रुचि की मां गीता देवी कहती हैं कि हम सीएम साहब से मिलना चाहते हैं। शायद वह हमारी गुहार सुन लें तो पुलिस-प्रशासन कुछ हरकत में आए और उनकी बेटी वापस मिल जाए। गीता देवी कहती हैं- हमने तो पुलिस को सब कुछ बताया हैउसका नामउसका नंबरउसका ठिकाना। पर सब कुछ बेकार। केस की जांच कर रहे पुलिस अफसर भी हमारे घर के पास ही रहते हैं, लेकिन क्या फायदा? हम तो यह भी नहीं जानते कि हमारी बेटी जिंदा है या मार दी गई? वह कहती हैं कि हम आंसुओं के बीच बेटी का इंतजार करते हुए कैसे दिन काट रहे हैं, कह नहीं सकते।

Posted By: Inextlive