रांची: ज्येष्ठ मास अमावस्या तिथि गुरुवार को सुहागिन महिलाएं वट सावित्री की पूजा करेंगी। पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए व्रत रखेंगी। सखी-सहेलियों के साथ महिलाएं सोलह श्रृंगार कर नजदीक के वटवृक्ष (बरगद) के पास पहुंचेंगी। मान्यता है कि वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देव का वास होता है। वटवृक्ष की आराधना से त्रिदेव का आशीष प्राप्त होता है। वहीं, कोरोना संक्रमण को देखते हुए बड़ी संख्या में महिलाएं वटवृक्ष की डाली घर लाकर पूजा करेंगी। पूजा के बाद विधि-विधान पूर्वक वट सावित्री व्रत की कथा सुनी जाएगी। नवविवाहितों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है। खासकर मिथिलांचल में शादी के पहले वट सावित्री पूजा उत्सव की तरह मनाया जाता है। वधु के लिए ससुराल से पूजा के सामान के साथ कपड़े और श्रृंगार के साथ ढेरों उपहार भेजे जाते हैं। पारंपरिक लोक गीत के बीच पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा के बाद नवविवाहिता पति के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं।

वटवृक्ष में रक्षासूत्र बांध झेलती हैं पंखा

पूजा के दौरान विवाहिताएं वटवृक्ष की तीन बार परिक्रमा कर रक्षासूत्र बांधती हैं। मौसमी फल, मिठाई आदि का भोग लगाने के बाद पंखा झेलकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। वृक्ष के गले लगती हैं। ऐसी धारणा है कि माता सावित्री ने पति सत्यवान को यमराज से मुक्ति दिलाने के लिए वट वृक्ष के नीचे ही कठोर तपस्या की थी। इतना ही नहीं, पति के जीवन के लिए यमराज के द्वार तक पहुंच गई थीं। माता सावित्री की कठिन तपस्या और पति के प्रति असीम स्नेह को देखते हुए यमराज को भी अपना फैसला बदलना पड़ा था। इसी दिन से सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष के समीप अखंड सुहाग की कामना से पूजा करती हैं।

पूजन सामग्री की जमकर हुई खरीदारी

वट सावित्री व्रत से पूर्व बुधवार को पूजन सामग्रियों की दुकान पर भीड़ देखी गई। बांस से बने हाथ के पंखे, धागा, रोली-मौली, प्रसाद के लिए फल, मिठाई आदि की जमकर खरीदारी हुई। मोरहाबादी, कोकर, लालपुर, चुटिया सहित शहर के विभिन्न इलाकों में सुबह से ही पूजन सामग्रियों की खरीदारी के लिए दुकान पर ग्राहक आते रहे।

साल का पहला सूर्यग्रहण आज, पूजा पर कोई प्रभाव नहीं

वट सावित्री पूजा के दिन गुरुवार को साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। ज्योतिष विभाग रांची के लेक्चरर डा। एसके घोषाल के अनुसार सूर्य ग्रहण की अवधि तीन मिनट 44 सेकेंड की होगी। यह सूर्य ग्रहण दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर के क्षेत्र, अफ्रीका आदि देशों में देखा जायेगा। भारत पर ग्रहण का कोई असर नहीं पड़ेगा। इस कारण सूतक भी मान्य नहीं होगा। रांची में दर्शनीय नहीं होने के कारण पूजा-अर्चना प्रभावित नहीं होगी।

4.22 मिनट तक अमावस्या तिथि, इस दौरान कर लें पूजा

डा। एसके घोषाल के अनुसार वट सावित्री पूजा अमावस्या तिथि को होती है। इस बार अमावस्या तिथि गुरुवार को सायं 4.22 बजे तक रहेगी। इससे पहले ही वट सावित्री का पूजा कर लें।

Posted By: Inextlive