रांची: झारखंड की अदालतों से ई समन और इ वारंट जारी किए जाएंगे। संबंधित थानों को इ मेल से वारंट और समन भेज दिए जाएंगे। इससे इसका तामिला जल्द होगा और समय पर लोग कोर्ट में उपस्थित हो सकेंगे। इस जानकारी के साथ राज्य पुलिस थानों में चुस्ती की करंट दौड़ने लगी है। हजारों की संख्या में पेंडिंग वारंट पड़े हैं जिनका तामिला नही हो सका है। अब पुलिस आनन फानन में ऐसे वारंट की लिस्ट बना रही है और उसपर आगे की कार्रवाई की जा रही है। राजधानी के कमोबेश सभी थानों में वर्षों से पेंडिंग वारंट पड़े हुए हैं।

जमशेदपुर से हुई शुरुआत

अभी जमशेदपुर से हाईटेक कोर्ट इसकी शुरुआत हुई है और धीरे- धीरे सभी अदालतों में इसे लागू किया जाएगा। जानकारी के अनुसार फिलहाल समन और वारंट मैनुअली जारी किया जाता है। कोर्ट से जारी होने के बाद कोर्ट में औपचारिकता पूरी करने के बाद इसे संबंधित थानों को भेजा जाता है। थानों में वारंट और समन काफी दिनों तक लंबित भी रहता है। कई बार संबंधित व्यक्ति को समय पर समन नहीं मिल पाता है। जानकारी के अभाव में संबंधित व्यक्ति समय पर कोर्ट नहीं पहुंच पाता और उसके खिलाफ वारंट जारी हो जाता है। अब ई समन और वारंट कोर्ट से सीधे संबंधित थाने को इ मेल के जरिए भेज दिया जाएगा।

ईमेल से तामिला रिपोर्ट

थानों में समन और वारंट पहुंचने के बाद निश्चित समय सीमा के अंदर उसे तामील कराना अनिवार्य होगा। समय पर तामिला नहीं करा पाने का वाजिब कारण भी ई मेल से ही थानों को भेजना होगा। वारंट का तामिला कराने की सूचना भी थानों को ई मेल से ही संबंधित अदालत को देनी होगी।

न्यायिक प्रक्रिया में आएगी तेजी

ई मेल से वारंट भेजे जाने के बाद संबंधित थाने में तत्काल वारंट पहुंच जाएगा। वारंट और समन का समय पर तामिला होने से संबंधित पक्ष कोर्ट में हाजिर होगा और इससे न्यायिक प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ेगी। अभी कई लोगों की शिकायत रहती है कि समन नहीं मिलने के कारण उन्हें मुकदमे की जानकारी नहीं मिल सकी थी। ई मेल से वारंट और समन भेजे जाने के बाद पुलिस को भी समय सीमा के अंदर कार्रवाई कर रिपोर्ट भेजनी होगी।

ई मेल एड्रेस होगा अनिवार्य

अदालतों में याचिका दायर करने वालों को अपना इ मेल एड्रेस दायर करना जरूरी होगा। बिना ई मेल वाले एड्रेस स्वीकार नहीं किए जाएंगे। साथ ही याचिका दायर करने वालों को अपना मोबाइल नंबर भी देना होगा।

वीडियो कान्फ्रेंसिंग से होगी गवाही

किसी मामले में अब न्यायिक अधिकारियों, डॉक्टरों, अनुसंधान अधिकारियों को कोर्ट जाकर गवाही देने की व्यवस्था भी समाप्त की जा रही है। अब इन्हें वीडियो कान्फ्रेंसिंग से ही गवाही देनी होगी। इसके लिए सभी जिला मुख्यालय, अस्पतालों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा दी जाएगी। यहीं से वो गवाही दर्ज करा सकते हैं। अनुसंधान अधिकारी, डॉक्टरों और न्यायिक अधिकारियों का तबादला होने के बाद उन्हें दूसरे जिले में जाकर गवाही देनी पड़ती है, इसमें समय लगता है और ट्रायल भी लंबा खींचता है। विडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा मिलने के बाद वह जिला मुख्यालय से ही गवाही करा सकते हैं।

Posted By: Inextlive