- राजधानी के सभी डैम बारिश के पानी पर निर्भर

- इस बार भी अच्छी बारिश नहीं हुई, मचेगा हाहाकार

- एक साल पहले की तुलना में आज भी 3.2 फीट कम है कांके डैम में पानी

- हर रोज 4 एमजीडी पानी की होती है आपूर्ति, जून तक होगी आपूर्ति

- हर डैम में अतिक्त्रमण और पानी के स्त्रोत रोकने की कहानी है मौजूद

किस डैम में कितना पानी

डैम का नाम - मौजूदा स्थिति - क्षमता

गोंदा (कांके) डैम - 18 फीट - 28 फीट

हटिया डैम - 19 फीट - 38 फीट

रूक्का डैम - 18 फीट - 36.8 फीट

पिछले 70 सालों में सिटी की प्यास बुझाने को तीन डैम बनाए गए। इन तीनों की मौजूदा स्थिति बेहद खराब है। तीनों डैम में डी-सिल्टिंग का काम हुआ ही नहीं है। इस वजह से सतह पर मिट्टी बढ़ रही है और पानी कम होता जा रहा है। इससे रांची के लोगों की प्यास बुझाने वाले डैम खुद ही प्यासे रह जा रहे हैं। आलम यह है कि सभी डैम पूरी तरह से बारिश के पानी पर ही निर्भर हैं। इनकी सहायक नदियां सूख चुकी हैं और जब बरसात शुरू होता है, तो पानी का स्तर बढ़ता है। फिर साल भर इसी पानी को फिल्टर कर लोगों को दिया जाता है। सबसे अहम यह है कि इन सभी डैम के कैचमेंट एरिया का अतिक्रमण हो चुका है, जिससे सभी का क्षेत्रफल कम हुआ है।

पांच साल पहले अधूरा काम

गोंदा (कांके) डैम में पांच साल पहले तत्कालीन सीएम के आदेश पर सूखे हिस्से से मिट्टी की कटाई शुरू हुई थी। तब उम्मीद थी कि इसमें पानी का लेवल बढ़ेगा। लेकिन, काम अधूरा ही रहा। कैचअप एरिया की सफाई भी ठीक से नहीं हो पाई। इससे डैम की जल भंडारण क्षमता उतनी नहीं बढ़ी, जितनी उम्मीद थी। आज इस डैम के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण के कारण इसका क्षेत्रफल सिकुड़ गया है। निर्माण के करीब 61 साल बाद इसकी गहराई बढ़ाने की बात हुई थी, जिसे मुकाम तक नहीं पहुंचाया जा सका। इस डैम का निर्माण 1954 में हुआ था। तब इसका जलग्रहण क्षेत्र 24.45 स्क्वायर किलोमीटर था। आज भी इसके 25 एकड़ क्षेत्र में अतिक्रमण है, जिस कारण पानी का लेवल कम हो चुका है।

कांके डैम से इतने लोगों को मिलता है पानी

कांके डैम पर 1.50 लाख की आबादी निर्भर है। इस डैम से कांके रोड, डैम साइड, गांधी नगर, सीएमपीडीआई, गोंदा टाउन, जवाहर नगर, राजभवन, मोरहाबादी, अपर बाजार, कचहरी चौक, रेडियम रोड, डिप्टीपाड़ा आदि क्षेत्रों में जलापूर्ति होती है।

सबसे बड़े डैम का सबसे ज्यादा दोहन

राजधानी को जलापूर्ति करने वाला सबसे बड़ा डैम रुक्का (गेतलसूद) है। इसकी क्षमता 34 फीट है। लेकिन, मानसून की बारिश के समय को छोड़ दिया जाए, तो यहां कभी 19 फीट से ज्यादा पानी का भंडार नहीं रहता। आज भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। इस बार भी पेयजल विभाग बारिश के पानी पर ही आश्रित है। इस डैम में अभी जितना पानी है, उससे मई के महीने तक ही आपूर्ति हो सकती है। दरअसल, इसी डैम से शहर की सबसे बड़ी आबादी तक पानी पहुंचाया जाता है। हर दिन करीब 30 एमजीडी पानी की आपूर्ति यहां से होती है। इस डैम के भी गहरीकरण को लेकर कभी काम नहीं हुआ। एकाध बार अधूरे काम के कारण इसकी गहराई नहीं बढ़ाई जा सकी।

इन इलाकों को होती है जलापूर्ति

रुक्का डैम से बूटी मोड़, कोकर, बर्दवान कंपाउंड, दीपाटोली, कांटाटोली, बहू बाजार, सिरम टोली, रेलवे, रेलवे कालोनी, चुटिया, डोरंडा, निवारणपुर, मेन रोड, लालपुर, हिदपीढ़ी, चर्च रोड, मोरहाबादी, बरियातू, रिम्स, रातू रोड, पिस्का मोड़, हरमू रोड, किशोरगंज, मधुकम, पहाड़ी क्षेत्र, अपर बाजार और आसपास के इलाके में जलापूर्ति होती है।

हटिया में भी क्षमता से काफी कम पानी

हटिया डैम भी पानी की कमी का शिकार होता चला जा रहा है। पिछले दो महीने में यहां करीब 9 फीट पानी कम हुआ है। इसकी क्षमता 38 फीट है, जबकि अभी यहां करीब 18 फीट पानी है। हटिया डैम के कैचमेंट एरिया का भी अतिक्रमण हुआ है। इसे लेकर सरकार से लेकर हाई कोर्ट तक ने संज्ञान लिया है। इसके अलावा इस डैम में जिस इलाके से पानी आता था, उसकी राह में रोड़ा बन गया रिंग रोड। रिंग रोड बनने के बाद इस डैम में बारिश का पानी भी लगातार कम जा रहा है। इससे लोगों को मिलने वाले पानी की कमी स्पष्ट हो गई है। इस डैम की भी डी-सिल्टिंग नहीं हुई है। इस वजह से पानी स्टोर करने की क्षमता भी कम हो चुकी है।

ये इलाके हैं निर्भर

हटिया डैम से हर दिन 8.5 एमजीडी पानी की आपूर्ति होती है। रांची में सबसे पहले इसी डैम से पानी की राशनिंग होती है। पानी कम होने पर शुरुआती दिनों में एक दिन बीच करके पानी की आपूर्ति होती है, तो वहीं ज्यादा किल्लत होने पर तीन-तीन दिनों का गैप भी होता है। इस डैम से हटिया, सिंह मोड़, लटमा, जगरनाथपुर, बिरसा चौक, डोरंडा, शुक्ला कॉलोनी और हिनू इलाकों में पानी की आपूर्ति की जाती है।

-----

डैम में पानी आने का स्त्रोत घटा है। वहीं गंदगी के कारण पानी का लेवल भले ही बढ़ जाता है, लेकिन इसकी आपूर्ति के समय पता चलता है कि साफ पानी काफी कम है। अगर इसकी सफाई होती रहे, गहरीकरण का कम ठीक से हो, तो हर रोज 4 एमजीडी पानी की सप्लाई करना मुश्किल नहीं है।

विकास कुमार, कैमिस्ट, कांके डैम

Posted By: Inextlive