RANCHI: डिस्टिलरी तालाब में किसकी शह पर खड़े हो गए धड़ाधड़ मकान। वह भी तेजी इतनी कि मात्र ख्0 दिन में ही जल जमाव वाले क्षेत्र में आधा दर्जन से ज्यादा घर बन गए। यह सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि यहां अतिक्रमण की जांच खुद रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने की थी। उन्होंने तत्काल नगर निवेशन शाखा के अभियंताओं को निर्देश दिया था कि ख्ब् घंटे के अंदर सभी अवैध भवनों को नोटिस किया जाए। इसके बाद भी अगर भवन मालिक अपनी जमीन के कागजात व नक्शा नहीं दिखाते हैं, तो ऐसे भवनों को बुलडोजर लगा कर तोड़ दिया जाए। मौके परं नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी रामकृष्ण कुमार, चीफ इंजीनियर सुरेश पासवान, इंजीनियर विजय भगत सहित रांची नगर निगम के तमाम पदाधिकारी भी मौजूद थे।

सौंदर्यीकरण के नाम पर अतिक्रमण

यहां मेयर ने देखा कि सौंदर्यीकरण के नाम पर तालाब में केवल जगह-जगह मिट्टी की खुदाई की गई है। वहीं, तालाब के जलजमाव वाले क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहा है। ओपेन स्पेस का फायदा उठाया उठाकर जमीन दलालों ने डिस्टिलरी तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए जहां तक निगम ने जमीन चिह्नित की थी, उससे सटा कर ही सारे निर्माण काम कर लिए हैं। दलालों ने आवास निर्माण के लिए ओपेन स्पेस को ही चुना, ताकि किसी को यह पता नहीं चले कि यह जमीन तालाब की ही है। लेकिन यह सब होने के बाद भी ऐसे लोगों के खिलाफ बिना कोई कार्रवाई किए ही निर्माण कार्य जैसे-तैसे शुरू कर दिया गया है।

खत्म कर दी जलधारा

डिस्टिलरी तालाब कैसे अनदेखी का शिकार हो रहा है, इसकी लंबी दास्तान रही है। झारखंड बनने के बाद इस तालाब को लेकर कई बार योजनाएं बनीं, लेकिन वह कभी धरातल पर नहीं उतरी। इस बार भी जो योजना धरातल पर उतारी जा रही है, उसमें भी स्थिति यह है कि इस तालाब में जिस तरह से निर्माण काम चल रहा है वह इसको नाला बनाने की तैयारी है। तालाब के अस्तित्व को समाप्त करने वाले अतिक्रमण को नहीं हटाया गया, वहीं इस तालाब का जो मुख्य मार्ग था, उसे भी अवरुद्ध कर दिया गया। डिस्टिलरी तालाब की जलधारा ही खत्म की जा रही है। वह भी नालियों बनाकर। ऐसे में अगर अभी भी इसके निर्माण काम को पर्यावरण्विदों की राय के बिना जारी रखा गया, तो यह तालाब कभी जीवित नहीं हो पाएगा।

Posted By: Inextlive