रांची: वूमेन इम्पॉवरमेंट के नाम पर कई योजनाएं चल रही हैं। महिलाओं को न्याय दिलाने और उत्पीड़न से बचाने से संबंधित कई बार भाषण दिए जाते हैं। लेकिन राजधानी रांची में महिला आयोग की वर्तमान स्थिति देख कर ऐसा लगता है जैसे यहां वूमेन इम्पॉवरमेंट को लेकर सरकार जरा भी गंभीर नहीं है। महिलाओं के हक और अधिकार की आवाज उठाने तथा उन्हें उत्पीड़न से बचाने के लिए गठित महिला आयोग बीते एक साल से बिना अध्यक्ष के संचालित हो रहा है। एक साल से भी ज्यादा समय से महिला आयोग के अध्यक्ष और सचिव के पद खाली हैं। अध्यक्ष पद खाली होने के कारण आयोग के सभी काम पेंडिंग होते जा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण महिलाओं से जुडे़ मामलों का निबटारा एक साल से अधिक समय से बंद है। पेंडिंग मामलों की संख्या बढ़कर 3215 हो गई है। हर दिन नए-नए तरह के केसेज यहां आ रहे हैं। लेकिन महिलाओं को इस स्थान से कोई मदद नहीं मिल पा रही है। महिलाओं को न्याय दिलाने वाला आयोग खुद सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है।

लॉकडाउन में आए 800 मामले

महिलाओं का शोषण और उत्पीड़न किस हद तक हो रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब शहर में लॉकडाउन लगा था, लोग अपने घरों से निकल नहीं रहे थे। वैसी परिस्थिति में भी आयोग के पास महिलाओं की शिकायतें आ रही थीं। महिलाएं अपना दर्द कागज पर उतार कर स्पीड पोस्ट के माध्यम से महिला आयोग भेज रही थीं। लॉकडाउन के समय ही लगभग 800 आवेदन आयोग पहुंचे। लेकिन विडंबना है कि इनमें से एक भी मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई। आयोग की तत्कालीन अध्यक्षा कल्याणी शरण के रिटायरमेंट के वक्त भी दो हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग रह गए थे।

सामाजिक संगठन की शरण में पीडि़ता

महिला आयोग से मदद नहीं मिलने के कारण पीडि़त महिलाएं व लड़कियां सामाजिक संगठन की शरण में चली जाती हैं। महिलाओं के हक में काम करने वाली संस्था राष्ट्रीय नारी शक्ति की अध्यक्षा आरती बेहरा बताती हैं कि उनके पास हर दिन चार से पांच मामले आ जाते हैं। संबंधित थाना से संपर्क कर पीडि़त को न्याय दिलाने का प्रयास किया जाता है। कई महिलाएं महिला थाना और महिला आयोग से निराश होकर लौटती हैं, लेकिन संगठन के सभी सदस्य मिलकर उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं।

कर्मियों को वेतन के लाले

आयोग में कार्यरत कर्मचारियों को भी एक साल से वेतन नहीं मिला है। दरअसल अध्यक्ष की स्वीकृति के बगैर कर्मचारियों का मानदेय नहीं दिया जा सकता है। लेकिन आयोग का अध्यक्ष पद ही खाली होने के कारण कर्मचारियों के वेतन की फाइल भी आगे ही नहीं बढ़ सकी। वर्तमान में आयोग में अवर सचिव पदस्थ हैं जो प्रभार में हैं। इसके अलावा 14 अनुबंध कर्मी और तीन डेली वेजेज वाले लेबर यहां कार्यरत हैं। सभी आयोग की बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि कई बार महिलाएं बड़ी उम्मीद के साथ अपनी समस्या लेकर आती हैं लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ता है। पीडि़त महिलाओं से आवेदन तो ले लिया जाता है लेकिन आगे कार्रवाई कुछ नहीं होती।

केस-1

नामकुम की रहने वाली प्रिया कुमारी को उसके ससुराल वालों ने जान से मारने का प्रयास का किया था। प्रिया इसकी शिकायत लेकर महिला आयोग गई, लेकिन उसे यहां से कोई सहयोग नहीं मिला। फिलहाल प्रिया अपने माता-पिता के घर पर है और सामाजिक संगठन नारी शक्ति से मदद ले रही हैं।

केस 2

लोहदगा कुड़ू की रहने वाली पिंकी कुमारी भी अपनी फरियाद लेकर आयोग का दरवाजा खटखटा चुकी है। लेकिन उसे भी निराश होना पड़ा है। पिंकी ने लोकल थाना और महिला थाना में भी आवेदन दिया है। पिंकी का कहना है कि उसका पति दूसरी महिला के चक्कर में आकर उसके और बच्चों के साथ मारपीट करता है।

Posted By: Inextlive