एक महीने से खाली है पद हाई कोर्ट ने काम करने पर लगा दी है रोक कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने कांके में सीओ बिठाया ही नहीं. सर्किल में अटके पड़े हैं काम ब्लॉक में धूप सेंककर निकल जा रहे लोग.


रांची(ब्यूरो)। आखिर कब आएंगे सीओ साहब! जी हां, राजधानी रांची का एक प्रमुख अंचल कांके पिछले एक महीने बिना सीओ के चल रहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीओ को काम करने से रोक दिया गया है। अधिकारी नहीं रहने के कारण जमीन के म्युटेशन से लेकर लोगों को सर्टिफिकेट तक जारी नहीं हो पा रहे हैं। छात्रों से लेकर जमीन का काम कराने वाले लोग हर दिन कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन उनका काम नहीं हो पा रहा है। गुरुवार को कांके के बीडीओ को अस्थाई रूप से सीओ का चार्ज एक महीने के बाद दिया गया। बता दें कि कांके के अंचल अधिकारी दीवाकर सी द्विवेदी को पिछले 26 नवंबर को हाईकोर्ट की अवमानना मामले में कोर्ट ने कार्य से अलग करने का आदेश दिया था, इसके बाद से अंचल अधिकारी कार्यालय नहीं आ रहे हैं। 462 म्युटेशन पेंडिंग
अधिकारी के नहीं रहने की वजह से जमीन से संबंधित काम भी नहीं हो पा रहे हैं। 90 दिनों में कांके ब्लॉक में 462 म्युटेशन के मामले पेंडिंग हो चुके हैं। इसके अलावा 70 से अधिक सर्टिफिकेट के आवेदन भी पेंडिंग हो चुके हैं। इसके अलावा रेंट एग्रीमेंट, जमीन की मापी सहित कई तरह के काम ठप पड़े हुए हैं। जमीन का काम भी बंद हो चुका है। बता दें कि कांके के अंचल अधिकारी दीवाकर सी द्विवेदी तीन माह पूर्व पदस्थापित किए गए थे।क्या है पूरा मामला


कांके अंचल के सीओ दीवाकर सी द्विवेदी को हाईकोर्ट ने जिस मामले में काम से हटाने का निर्देश दिया था, वो मामला कांके के सुगनू में 12 एकड़ जमीन जुड़ा है। यह जमीन स्व। अशोक कुमार सिंह ने वर्ष 1981 खरीदी थी। तब से वर्ष 1996 तक जमाबंदी हुई। उसके बाद से जमाबंदी बंद होने पर श्रेया कुमार ने जमीन की रसीद कटाने के लिए कांके अंचल में आवेदन दिया। लेकिन, कांके सीओ द्वारा आवेदन पर विचार नहीं करने पर श्रेया कुमार ने कोर्ट में याचिका दायर कर दी। झारखंड हाईकोर्ट ने कांके सीओ से श्रेया के दिए आवेदन को 6 माह के भीतर निष्पादित करने को कहा। लेकिन, एक वर्ष बीत जाने पर भी सीओ ने सुगनू की इस जमीन के मामले का निष्पादन नहीं किया। दोबारा श्रेया ने मामले से कोर्ट को अवगत कराया। दोबारा कोर्ट ने सीओ को मामले का निष्पादन करने को कहा। बाद में सीओ ने आवेदन ही खारिज कर दिया। तब कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा कि सीओ कार्य करने में सक्षम नहीं है, और कोर्ट ने कार्रवाई करते हुए सीओ को हटाने का आदेश दे दिया । क्या कहना था सीओ कामामले में सीओ दिवाकर सी द्विवेदी ने कहा कि सुगनू की 12 एकड़ जमीन की जमाबंदी को लेकर श्रेया कुमार ने वर्ष 2002 में रांची डीसी को आवेदन दिया था, जिसे डीसी ने गैरमजरुआ किस्म की जमीन बताते हुए श्रेया के आदेश को रद्द कर दिया था। डीसी के रद्द आदेश पर सुनवाई के लिए आयुक्त के पास जाना चाहिए था, लेकिन श्रेया ने कांके अंचल में जमाबंदी के लिए आवेदन दे दिया। मैंने भी जांच में पाया कि जमीन गैरमजरुआ किस्म की है, तो डीसी के आदेश का पालन करते हुए जमाबंदी संबंधी दिए आवेदन को खारिज कर दिया। खामियाजा भुगत रहे युवा

कांके अंचल में सीओ नहीं रहने से सारे काम ठप पड़े हुए हैं। जाति, आवासीय और आय प्रमाण पत्र सहित म्युटेशन का काम नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति पिछले 28 दिनों से बनी हुई है। कार्य ठप होने का सबसे अधिक खामियाजा युवाओं व विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। इन छात्रों को प्रमाण पत्र की जरूरत है, लेकिन इन्हें स्थानीय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहे हैं।

कांके अंचल में काम प्रभावित हो रहा था, वर्तमान सीओ को अभी काम करने से रोका गया है। ऐसे में काम प्रभावित ना हो, इसके लिए बीडीओ को ही चार्ज दिया गया है। राजेश बरवार, एडिशनल कलेक्टर

Posted By: Inextlive