RANCHI: सिटी के राज हॉस्पिटल में शॉर्ट सर्किट से आग लगने के बाद शुक्रवार को अफरा-तफरी मच गई। आलम ये रहा कि हॉस्पिटल के नौवें फ्लोर तक आग व धुआं पहुंच गया। आनन-फानन में सभी वार्ड से मरीजों को निकाल बाहर किया गया। इसी बीच राजधानी रांची के दूसरे सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल है सदर में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां बिना फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लिये ही सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल को चालू कर दिया गया है। इसका खुलासा हाइकोर्ट में हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से फाइल किए गए एफिडेविट में हुआ है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद आनन-फानन में इसे चालू तो कर दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि हॉस्पिटल में आग लगी तो फिर भगवान ही मालिक है।

2016 में जेएसबीसीसीएल ने संभाला काम

हॉस्पिटल का काम 2007 में शुरू हुआ, जिसका सिविल कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहा था इसी बीच 2016 में यह काम जेएसबीसीसीएल को दे दिया गया। ताकि बाकी बचे काम को पूरा किया जा सके। इसके बाद भी एजेंसी ने एनओसी लेने में कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया। वहीं हेल्थ डिपार्टमेंट के इंजीनियरिंग सेल ने भी दिलचस्पी नहीं दिखाई।

हॉस्पिटल में एनओसी जरूरी

किसी भी हॉस्पिटल को चालू करने से पहले फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लेना जरूरी होता है। इसके अलावा पाल्यूशन सर्टिफिकेट लेने के बाद ही वहां पर मरीजों का इलाज शुरू किया जाता है। लेकिन सदर हॉस्पिटल को चालू करने से पहले फायर एनओसी नहीं लिया गया। वहीं नो पाल्यूशन सर्टिफिकेट भी नहीं लिया। अब वहां पर ऐसे ही मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

384 बेड का चल रहा हॉस्पिटल

हॉस्पिटल में पहले मैटरनिटी और चाइल्ड वार्ड की शुरुआत की गई। 200 बेड का पहले वार्ड चालू करने के बाद अब 50 बेड बढ़ा दिए गए। इसके बाद 59 बेड का आइसीयू कोरोना मरीजों के लिए चालू किया गया है। वहीं 75 बेड और जेनरल कोविड मरीजों के लिए तैयार रखा गया है। जहां पर मरीजों का इलाज चल रहा है।

फायर सिलेंडर में भी रिफीलिंग नहीं

हॉस्पिटल में उद्घाटन के समय फायर एक्सटिंग्विशर लगाए गए थे। इसके बाद चार साल गुजर गए लेकिन फायर एक्सटिंग्विशर की रीफीलिंग नहीं कराई गई। अब प्रबंधन ने अपनी इस अव्यवस्था को छिपाने के लिए सिलेंडर पर मार्कर से एक्सपायरी 2021 लिख दिया है, जबकि नियम के अनुसार रीफीलिंग की डेट का स्टिकर लगाना होता है। वहीं एक्सपायरी डेट भी उसमें लिखा जाता है। जिससे समझा जा सकता है कि कैसे हॉस्पिटल प्रबंधन आईवॉश करने में लगा है।

इधर रिम्स में फायर फाइटिंग सिस्टम

राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स की मेन बिल्डिंग में भी पहले फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं था। लंबे समय से पूरा हॉस्पिटल फायर एक्सटिंग्विशर के भरोसे ही चल रहा था। इस बीच कई बार हॉस्पिटल में बड़ी आग लगी और कई चीजें खाक भी हो गई हैं। अब हॉस्पिटल में फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने का काम तेजी से चल रहा है। वहीं, उसमें सेंसर भी लगा होगा। जिससे कि आग लगने पर सिस्टम आटोमैटिक चालू हो जाएगा।

राज हॉस्पिटल ने ली थी एनओसी, आग पर पाया काबू

मेन रोड स्थित राज हॉस्पिटल में सुबह पांच बजे शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। सातवें फ्लोर के नर्सिग काउंटर पर आग से सातवें, आठवें और नौवें फ्लोर पर धुआं भर गया। आपात स्थिति को देखते हुए प्रबंधन ने सातवें और नौवें फ्लोर पर भर्ती 40 मरीजों को वार्ड से बाहर निकाला और आधे घंटे में आग पर काबू पा लिया गया। फायर डिपार्टमेंट की टीम के आने तक आग पर पूरी तरह से कंट्रोल कर लिया गया।

Posted By: Inextlive