- मोटी तनख्वाह का लालच देकर फर्जी एजेंट्स बना रहे भोले-भाले लोगों को अपना शिकार

- राजधानी में ठगे जा चुके हैं हजारों लोग, आरोपियों का सुराग लगा पाने में पुलिस रहती है नाकाम

LUCKNOW:

केस: 1

जगह: विभूतिखंड

दिन: 30 जून 2016

चार महीने पहले बिहार के न्यूज पेपर्स में सी व‌र्ल्ड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, विभूतिखंड, गोमतीनगर का विज्ञापन निकला था। इस विज्ञापन में टर्की में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में विभिन्न पदों पर नौकरी का ऑफर था। विज्ञापन देखकर सैकड़ों बेरोजगारों ने कंपनी से संपर्क किया। कंपनी की ओर से 40 हजार रुपये सैलरी ऑफर की गई और बीती 23 मई को इंटरव्यू के लिये बुला लिया गया। तय दिन भुक्तभोगी कंपनी के विभूतिखंड स्थित दफ्तर पहुंचे। जहां कंपनी के एमडी ने उनका इंटरव्यू लिया। तीन दिन बाद इंटरव्यू देने वालों के मेल आईडी पर कंपनी की ओर से एग्रीमेंट लेटर भेज दिया गया। 10 दिन बाद कंपनी ने स्पीड पोस्ट से उसके पते पर टर्की जाने के लिये मल्टिपल वीजा भेज दिया और अकाउंट नंबर देकर उनसे 65-65 हजार रुपये जमा करा लिये। रकम जमा होने के बाद उन्हें एयर टिकट भेज दिये गए। जब भुक्तभोगी एयर टिकट लेकर एयरपोर्ट पहुंचे तो पता चला कि उनके टिकट फर्जी हैं।

केस: 2

जगह: हैदरगंज तिराहा

दिन: 15 जून 2016

भागलपुर के मूल निवासी ऐनुल हक हुसैनी ने बाजारखाला के हैदरगंज तिराहे पर हुसैनी टूर्स एंड ट्रेवेल्स एजेंसी खोली थी। उसका दावा था कि वह कुवैत, दुबई और सउदी अरब में मोटी तनख्वाह पर नौकरी का वर्क परमिट दिलवा सकता है। राजधानी व अन्य जनपदों के सैकड़ों बेरोजगार उसके झांसे में आ गए। जिसके बाद ऐनुल ने वेटर, पैकर व अन्य पदों पर नौकरी के नाम पर बेरोजगारो से 40 हजार से 1.30 लाख रुपये तक ऐंठ लिये। इतना ही नहीं, उसने टूर पैकेज के नाम पर भी दर्जनों लोगों से रकम वसूलकर उन्हें फर्जी टिकट व टूरिस्ट वीजा थमा दिये। जब भुक्तभोगियों को ठगे जाने का अहसास हुआ तो वह 15 जून को उसके दफ्तर पहुंचे। लेकिन, वह इससे पहले ही दफ्तर में ताला बंद कर फरार हो चुका था। खास बात यह है कि आरोपी ने भुक्तभोगियों के पासपोर्ट भी अपने पास जमा करा लिये।

केस:3

जगह: कैसरबाग

दिन: 17 अगस्त 2015

कृष्णानगर के आजादनगर निवासी मोहम्मद नसीर ने अपने दोस्तों वजीरगंज निवासी मोहम्मद आसिम और इरशाद के साथ मिलकर कुल 70 हजार रुपए मोहम्मद अजीज को दिए थे। अजीज ने कहा था कि वह उन्हें कुवैत का वीजा देगा। जहां उसे मोटी तनख्वाह पर नौकरी मिल जाएगी। ऑफर अच्छा देख लालच में फंसकर नसीर ने अपने और साथियों से विदेश में नौकरी दिलाने की बात कहकर मो। अजीज को रुपये दिलवा दिये। जब चार महीने बीत गए तो नसीर ने अजीज से वीजा मांगा। अजीज उसे लगातार टालता रहा। काफी दिनों की टालमटोल के बाद नसीर ने अपने रुपए वापस मांगे। पर, वह रुपये वापस नहीं कर सका। जब नसीर ने उसे काफी भला-बुरा कहा तो उसने उसे पाकिस्तान का वीजा देने की बात कही। आखिरकार ठगे जाने का अहसास होने पर नसीर ने कैसरबाग कोतवाली में अजीज और उसके साथी कैंट निवासी फैसल, नौशाद, सलाम और सलाम के बेटे राजा व राशिद के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करा दी।

यह घटनाएं तो महज बानगी भर

यह तीन घटनाएं तो महज बानगी भर हैं, राजधानी में कबूतरबाजी का धंधा धड़ल्ले से जारी है। विदेश में नौकरी और मोटी तनख्वाह के नाम पर हर महीने ही भोले-भाले लोगों को ठगे जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। आलम यह है कि जालसाज शहर के पॉश व भीड़भाड़ भरी बाजारों में अपने आलीशान दफ्तर खोलकर बेरोजगारों को अपने झांसे में लेते हैं और उनसे मोटी रकम ऐंठकर आसानी से फरार हो जाते हैं। भुक्तभोगी पुलिस में शिकायत करते हैं, लेकिन न तो कबूतरबाज पुलिस की गिरफ्त में आ पाते हैं और न ही भुक्तभोगियों का रुपया ही उन्हें मिल पाता है।

अशिक्षा है बड़ा कारण

जानकारों की मानें तो विदेश में नौकरी का वीजा या वर्क परमिट दिलाने वाली एजेंसी का विदेश मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन जरूरी है। पर, विदेशों में नौकरी की चाह रखने वाले ज्यादातर अशिक्षित या कम पढ़े-लिखे होते हैं। जो कि, ऐसे जालसाजों के जाल में आसानी से फंस जाते हैं। जालसाज की मीठी-मीठी बातों में फंसकर यह लोग न सिर्फ उन्हें मोटी रकम सौंप देते हैं बल्कि अपना पासपोर्ट तक उनके हवाले कर देते हैं। ऐसी सूरत में जब जालसाज अपने बोरिया-बिस्तर समेटकर चंपत होता है तो न सिर्फ उनकी रकम डूब जाती है बल्कि लंबी जद्दोजहद के बाद बना पासपोर्ट भी जालसाज के साथ ही चला जाता है। ऐसे में भुक्तभोगियों के पास आगे विदेश जाने की संभावना भी लगभग खत्म हो जाती है।

शोषण का भी होते हैं शिकार

कुछ एजेंट रुपये वसूलने के बाद लोगों को वर्क परमिट सौंप उन्हें खाड़ी देशों में नौकरी के लिये भेज भी देते हैं। लेकिन, कई मामलों में देखा गया है कि उन्हें जिस नौकरी व तनख्वाह का वायदा किया गया था वहां पहुंचने पर उसे मिली ही नहीं। कई बार तो एजेंट यमन व सउदी अरब भेजने के नाम पर रुपये ऐंठ लेते हैं और उन्हें भेज किसी और देश दिया जाता है। हालत यह है कि वर्ष 2015 मे खाड़ी देशों में भारतीय कामगारों के साथ शोषण के करीब 8000 से ज्यादा मामले सामने आए। ज्यादातर मामलों में लोगों को वायदे के मुताबिक, न तो नौकरी मिली और न ही तनख्वाह। नतीजतन प्रशिक्षित इलेक्ट्रिशियन हो, टेलर हो या फिर कोई अन्य कारीगर वहां पर मजबूरन ऊंट चराना पड़ता है या फिर घरेलू काम करना पड़ता है। साथ ही नौकरी देने से पहले नियोक्ता उसका पासपोर्ट अपने पास जमानत के तौर पर रख लेता है। ऐसे में भुक्तभोगी चाहकर भी अपने देश वापस नहीं आ पाता।

ऐसे बरतें सावधानी

- वीजा या वर्क परमिट देने वाली एजेंसी की अच्छी तरह पड़ताल कर लें।

- अपना पासपोर्ट किसी भी सूरत में एजेंट को न सौंपें।

- एजेंसी संचालक के मूल निवास की जानकारी अवश्य रखें।

- एजेसी विदेश मंत्रालय से रजिस्टर्ड है या नहीं, इसकी जानकारी अवश्य करें।

- वर्क परमिट मिलने पर उसमें दिये गए कंपनी के नंबर व ई-मेल आईडी के जरिए अपनी नौकरी व सैलरी के बारे में पहले से तस्दीक कर लें।

- नौकरी के लिये विदेश पहुंचने पर नियोक्ता को अपना पासपोर्ट हरगिज न दें।

Posted By: Inextlive