मिनेसोटा की 29 साल की जोहाना वॉटकिन्स अपने पति स्कॉट को 'किस' नहीं कर सकतीं। वो उनके साथ एक कमरे में भी नहीं रह सकतीं।

जोहाना को रोग प्रतिरोधी क्षमता से जुड़ी एक दुर्लभ बीमारी है जिसे कहते हैं 'मास्ट सेल एक्टीवेशन सिंड्रोम'। उन्हें लगभग सभी चीज़ों से एलर्जी है, यहां तक कि अपने पति की ख़ुशबू से भी।

जोहाना और स्कॉट के साथ में समय बिताने का तरीका भी औरों से अलग है।

जोहाना कहती हैं, "हम साथ में कोई शो देखने की कोशिश करते हैं। हम एक कमरे में रह नहीं सकते क्योंकि मुझे उनसे एलर्जी है। मैं जहां हूं वहां से तीन माले नीचे के कमरे में स्कॉट अपने लैपटॉप के साथ होते हैं, हम साथ में शो देखते हैं और फिर एसएमएस पर उस बारे में बात करते हैं।"

जोहाना घर में सबसे ऊपर मौजूद एटिक में रहती हैं जहां खिड़कियां, दरवाज़े सब बंद रहते हैं और हवा साफ़ करने के लिए एयर प्यूरिफ़ायर लगा हुआ है। उन्हें गंभीर 'मास्ट सेल एक्टीवेशन सिंड्रोम' है जिस कारण उन्हें बाहरी कीटाणुओं से बचाने वाले सेल उन्हीं के शरीर को नुक़सान पहुंचाने लगते हैं।

हालांकि इस बीमारी के लक्षण हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन जोहान की बीमारी इतनी गंभीर है कि उन्हें अमूमन सभी चीज़ों से एलर्जी है। किसी भी चीज़ से उनकी जिंदगी को ख़तरा हो सकता है और उनकी मौत भी हो सकती है।

इस बीमारी से जूझने वालों को जो दवाइयां दी जाती हैं उनका जोहाना पर कोई असर नहीं हो रहा। दोनों को अभी भी यह नहीं पता कि उनकी हालत कभी सुधरेगी भी या नहीं।

स्कॉट कहते हैं, "इसका समाधान आसान नहीं है। या तो मैं जोहाना को सुरक्षित रखूं या मैं उन्हें मुसीबत में डाल दूं। एक रास्ता है जिससे मैं उनकी जान बचा सकता हूं। वो ये कि मैं उनसे मिलने ना जाऊं। हम एक दूसरे से प्यार करते हैं और लंबा इंतज़ार करने के लिए तैयार हैं। "

डॉक्टर अलग-अलग तरह का इलाज कर रहे हैं लेकिन अभी तक जोहाना की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।

जोहाना कहती हैं, "अपनी शादी के दिन हमने कसम ली थी कि चाहे कुछ भी हो हम एक दूसरे से मरते दम तक प्यार करेंगे। मैं आपको बता सकती हूं कि मैं जब 90 साल की हो जाऊंगी तब भी मैं अपने हसबैंड से प्यार करूंगी। "

स्कॉट कहते हैं कि दोनों कभी-कभी अपने हालातों पर नाराज़ हो जाते हैं। वो कहते हैं, "मैंने अपने आप से कई उम्मीदें छोड़ दी हैं और जो मिला उसे स्वीकार कर चुका हूं।"

वो कहते हैं, "जब भी जोहाना और मैं बातें करते हैं हम एक दूसरे के बहुत कुछ कहने की कोशिश करते हैं। हमें लगता है इससे हमें मदद मिलती है। हम एक दूसरे से मिल नहीं पाते हैं इसीलिए हम एक दूसरे को बताते हैं कि हमारी ज़िंदगी में क्या चल रहा है।"

बीच-बीच में इमरजेंसी होने पर डॉक्टर से मिलने जाने के अलावा बीते एक साल से जोहाना एटिक में ही रह रही हैं। वे सुबह उठकर गाना सुनती हैं और फिर ईमेल करती हैं या फिर वीडियो चैटिंग करती हैं।

अगर कोई हैं जिनसे उन्हें जानलेवा एलर्जी नहीं है ते वो हैं उनके भाई-बहन जो उनका ख्याल रखने में मदद करते हैं। जोहाना के कमरे में घुसने से पहले वो तेज़ मसालों वाला खाना नहीं खाते, एक ख़ास साबुन से नहाते हैं। जोहाना के कमरे में आने से पहले वो मास्क लगाते हैं और वो कपड़े पहनते हैं जो हमेशा जोहाना के कमरे में ही रखे जाते हैं।

इतनी सावधानी बरतने के बावजूद भी जोहाना की तबीयत ख़राब हो जाती है।

जोहाना कहती हैं, "अमरीका में पले बढ़े होने के कारण हम यह सोचते हैं कि कोई भी बीमारी हो उसका इलाज हो जाएगा और हम ज़िंदगी में आगे बढ़ जाएंगे। इसीलिए जांच होते रहना लेकिन फिर भी बीमारी ठीक ना होना काफी दर्दनाक अनुभव है। "

लेकिन जोहाना मानती हैं कि स्कॉट का घर पर होना और उनसे फ़ोन पर बात कर सकना उनके लिए एक बड़ी राहत है।

वो कहती है, "मुझे जीवन में कई तोहफ़े मिले हैं, कई आशीर्वाद मिले हैं और मैं उनके लिए शुक्रगुज़ार हूं।"


Posted By: Satyendra Kumar Singh