किरण बेदी भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं। उन्‍होंने अपनी जिंदगी में आईपीएस से लेकर राजनेता तक का सफर तय किया। वो बीजेपी की ओर से दिल्‍ली की सीएम उम्‍मीदवार भी रहीं। यहीं नहीं वो एक बेहतरीन टेनिस प्‍लेयर भी है। हम आप को दस तस्‍वीरों के जरिये उनके आईपीएस से पुडुचेरी का राज्‍यपाल बनने का सफर दिखाने जा रहे हैं।


1- किरण बेदी 1972 के बैच की पहली महिला आईपीएस अधिकारी थीं। 35 सालों तक सेवा देने के बाद 2007 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी। किरण एक पंजाबी फैमिली से आती हैं। वो अपने पिता की दूसरी संतान हैं।


3- 1983 में इन्दिरा गाँधी प्रधानमन्त्री के पद पर थीं और उस समय किसी खास काम से विदेश गई थीं। उनकी कार मरम्मत के लिए गैराज लाई गई थी। सड़क पर गलत साइड में खड़ी की गई थी। किरण बेदी गलत जगहों पर खड़ी गाड़ियों को क्रेन से उठवा लिया करती थीं और जुर्माना अदा करके ही वह गाड़ियाँ वापस मिलती थीं। उस मौके पर इन्दिरा गाँधी की कार का भी यही हश्र हुआ। वह उठवा ली गई और इसका नतीजा यह हुआ कि किरण बेदी का नाम क्रेन बेदी मशहूर हो गया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें मिलने के लिये अपने आवास पर भी बुलाया था।

5- पुलिस सेवा के दौरान किरण बेदी ने बहुत से महत्त्वपूर्ण पद सम्भाले और कठिन काम कर दिखाए। 1977 में उन्होंने इण्डिया गेट दिल्ली पर अकाली और निरंकारियों के बीच उठ खड़े हुए सिख उपद्रव को जिस तरीके से नियन्त्रित किया वह पुलिस विभाग के रेकार्ड में एक मिसाल है। 1979 में वह पश्चिमी दिल्ली की डी.सी. पुलिस थीं । इस दौरान इन्होंने इलाके में चले आ रहे दो सौ साल पुराने शराब के अवैध धँधे को एकदम बन्द कराया। 7- सरकारी काम के अतिरिक्त किरण बेदी दो दूसरी संस्थाएँ भी चलाती हैं। नवज्योति तथा इण्डियन वीजन फाउन्डेशन नशे की लत में गिरफ्त लोगों की जिन्दगी बदलने का काम करती हैं। इसमें इन लोगों को नशे से छुटकारे के अलावा उनके लिए रोजगार की व्यवस्था होती है। जिससे इनका पुनर्वास आसान हो जाता है। नशाखोरी के नियन्त्रण तथा इससे ग्रस्त लोगों के हित में किरण बेदी द्वारा किए गए प्रयत्नों के लिए इन्हें संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा सर्ज सोर्टिक मैमोरियल अवार्ड भी दिया गया। यह पुरस्कार इनकी NGO नवज्योति को 28 जून 1999 को दिया गया ।


9- दिल्ली चुनाव से पहले किरण बेदी ने भाजपा में शामिल होकर सभी को चौंका दिया। दिल्ली में अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान सहयोगी रहीं किरण दिल्ली विधानसभा में भाजपा की ओर से चुनाव लड़ा। बीजेपी के लिए किरण बेदी के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी में उनके आने के मौके पर पार्टी के शीर्ष नेता मौजूद थे। Interesting News inextlive from Interesting News Des

Posted By: Prabha Punj Mishra