सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश व प्रेस कौंसिल और इंडिया के पूर्व चेयरमैन मार्कंडेय काटजू का कहना है कि देश की न्यायपालिका भ्रष्टाचारमुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एचएल दत्तू की संपत्ति को लेकर कानून मंत्री को पत्र लिखा था लेकिन मामले की जांच तक नहीं कराई गई।


बोलने से यह कैसे बदनाम हो जाती
यही नहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा गया कि सरकार ने वकीलों से जज बनाने की सिफारिश की और चीफ जस्टिस ने इसे मंजूर कर सुप्रीम कोर्ट को भेज दिया। इसका पुरस्कार यह मिला कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया।पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन में सोमवार को भगत सिंह जयंति पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए काटजू ने कहा कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सरकार से आने वाले नामों की सूची को ही आगे हाई कोर्ट का जज बनाने के लिए सिफारिश कर देते हैं। इससे न्यायपालिका में राजनीति को बढ़ावा मिल रहा है। जजों के बेटे उसी हाई कोर्ट में वकील बन जाते हैं और करोड़ों रुपये कमाते हैं। उन्होंने कहा कि जज रिश्वत लेते हैं तो न्यायपालिका बदनाम नहीं होती, लेकिन उनके सच बोलने से यह कैसे बदनाम हो जाती है।गांधी चाहते तो रोक सकते थे फांसी


उन्होने कहा कि राष्ट्रपिता  महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। बोस बेहद महत्वाकांक्षी थे। कांग्रेस छोडऩे के बाद वे हिटलर जैसे तानाशाह से मिले जब वहां बात नहीं बनी तो जापान चले गए। वहीं, गांधी के बारे में उन्होंने कहा कि उनके ही कारण देश का विभाजन हुआ। वे चाहते तो शहीद भगत सिंह को फांसी से बचा सकते थे। काटजू के इन बयानों का कुछ वकीलों ने विरोध भी किया। काटजू ने कहा कि भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और चंद्रशेखर ही वास्तविक देशभक्त थे।

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Posted By: Shweta Mishra