-न्यायिक अधिकारियों की कार्यशाला में दी गई कानूनी जानकारी

PRAYAGRAJ: सिविल लाइंस के हाईकोर्ट गेस्ट हाउस में रविवार को जेटीआआई लखनऊ के निर्देशन में चार जिलों के न्यायिक अधिकारियों सिविल प्रक्रिया संहिता व दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। मौके पर जिला न्यायालय के प्रशासनिक न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता व विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति अशोक कुमार मौजूद थे। शुरुआत में प्रयागराज के न्यायिक मजिस्ट्रेट मयंक त्रिपाठी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 (3) के बारे में तकनीकी जानकारी दी। इसी विषय पर फतेहपुर के अनुभव द्विवेदी, कौशांबी के एडीजे योगेश कुमार, प्रतापगढ़ के महेश कुमार ने बताया कि मजिस्ट्रेट मुकदमा दर्ज करके विवेचना का आदेश दे सकता है।

सत्य के अनुसंधान में दूर होती हैं बाधाएं

अपर जिला जज मृदुल कुमार मिश्रा, फतेहपुर के संजय कुमार मिश्रा, कौशांबी के कमलेश कुमार पाठक, प्रतापगढ़ के रविंद्र कुमार ने बताया कि सत्यता का पता लगाने के लिए सत्य का अनुसंधान करने में जो बाधाएं हैं उन्हें धारा 311 से दूर किया जा सकता है। इन्होंने भी दी कानूनी जानकारी

-न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रेया भार्गव, प्रशांत शुक्ला, विनोद पांडेय, संतोष तिवारी ने सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 10 के बारे में बताया कि यदि एक ही प्रकरण से संबंधित मुकदमे दो अलग-अलग कोर्ट में प्रस्तुत किए गए हैं तो पूर्व मुकदमा नही विचारण किया जाएगा। क्योंकि दोनों मुकदमों में रूल ऑफ प्रोसीजर प्रभावित हो गया।

-अपर जिला जज डॉ। बाल मुकुंद, प्रशांत शुक्ला, विनोद पांडेय, संतोष तिवारी ने धारा 319 के बारे में बताया कि एफआईआर में कोई भी व्यक्ति नामजद हो, नामजद नही हो, आरोप पत्र में उसका नाम न हो, कोर्ट को क्षेत्राधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी व्यक्ति को तलब कर सकता है। जिसमें सावधानी शब्द महत्वपूर्ण है।

-इसी क्रम में धारा 7 सीपीसी के बारे में सौम्या गिरि, किरन मिश्रा, विनय कुमार, वर्निका शुक्ला, धारा 11 सीपीसी के प्रावधान के बारे में संजय शुक्ला, आनंद मिश्रा, प्रमोद कुमार, नीलम वर्मा ने विशेष जानकारी दी। अपर जिला जज दिनेश चंद्र ने अग्रिम जमानत के प्रावधान के बारे में जानकारी दी।

इन्होंने व्यक्त किए विचार

इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की आराधना व दीप प्रज्जवलन से की गई। कार्यशाला के न्यायमूर्ति व प्रशासनिक जज जिला न्यायालय शशिकांत गुप्ता ने कहा कि वर्तमान समय में अगर न्याय कहीं मिल सकता है तो न्यायिक अधिकारियों से ही। जिसके लिए आप सभी को गहनता पूर्वक प्रत्येक मामले में आत्म चिंतन की जरूरत है। विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने कहा कि हमें गरिमापूर्ण ढंग से न्यायिक कार्य करना है। सभी को देखना है कि आप उसे न्याय कैसे दे पाते हैं। वर्तमान समय में तनाव मुक्त वातावरण की ओर न जाकर हम सभी को तनाव मुक्त दिशा की ओर चलने का प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम में कौशांबी के जिला जज महरूफ अली, प्रतापगढ़ के जिला जज नंदलाल, फतेहपुर के जिला जज विनोद कुमार दुबे, प्रगयाराज के जिला जज अनिल कुमार ओझा आदि ने भी अपने विचार रखे।

Posted By: Inextlive