ये है जंगलराज

छुट्टे जानवर अब तक शहर में गंदगी और दु‌र्व्यवस्था का ही सबब थे। लेकिन हाल की कुछ घटनाओं से लगता है कि बनारस में जंगलराज हो चुका है। यहां इंसानों से ज्यादा खतरनाक जानवर हो गये हैं। कुत्ता, भैंस, सांड़ और बंदर का राज इतना बढ़ गया है कि ये बेखौफ लोगों की जान भी ले रहे हैं। आप भी देखिये किस तरह के जंगलराज में जी रहे हैं हम और आप

कल तक गुर्राते थे अब ले रहे हैं जान

- आवारा कुत्तों के साथ सांड़ और भैंसे अब हो चुके हैं जानलेवा

- हाल फिलहाल में कई पहुंचे हॉस्पिटल और कुछ ने जान गंवाई

- नगर निगम व लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को फिर भी नहीं कोई परवाह

VARANASI :

केस-क्

क्7 सितम्बर की रात काशीपुरा के राजू यादव (भ्ख् वर्ष) दुकान बंद करके पैदल घर की ओर जा रहे थे। रास्ते में खड़े एक सांड ने अचानक उनपर हमला कर दिया। उनकी अतडि़यां बाहर आ गयीं। गंभीर हालत में लोगों ने उन्हें उठाकर जल्दी से हॉस्पिटल पहुंचाया। इस सांड़ ने इसके पहले भी कई लोगों को अपना शिकार बनाया है। किसी का हाथ टूटा है तो किसी का पैर।

केस-ख्

एक सप्ताह के अंदर मंडुवाडीह में पागल कुत्ते ने एक दर्जन से अधिक लोगों को काट लिया है। सभी को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। अपने इलाज पर काफी रुपये खर्च करना पड़ रहा है। कुत्ते के शिकार लोगों में एक सिपाही भी है जिसे उसके परिवार के लोग मिर्जापुर ले गये हैं।

केस-फ्

चोलापुर के पलहीपट्टी में दिनेश गौड़ (फ्7 वर्ष) को तीन दिन पहले पागल कुत्ते ने काट लिया था। बुधवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। यह घटना उन लोगों को डरा रही है जिन्हें कुत्ते ने काटा है और अलग-अलग जगह अपना ट्रिटमेंट करा रहे हैं। उन्हें भी अब अपने जान की परवाह होने लगी है।

केस-ब्

पिछले महीने लहरतारा रोड पर कोचिंग जा रहा एक किशोर भैंसों के झुंड में घिर गया। अचानक एक भैंस उसे सींग मार कर साइकिल सहित पटक दिया। इसके बाद सींग से कई वार किये जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गयी।

सटे तो गये काम से

ये एग्जाम्प्ल काफी है ये बताने के लिये शहर में किस तरह का जंगलराज है। जहां छुट्टा और बेलगाम जानवर कब किसको हॉस्पिटल पहुंचा दें और किसको शमशान घाट, कुछ नहीं कहा जा सकता। आतंक का पर्याय बने जानवर हर तरफ मौजूद हैं। जिन्होंने छुट्टे जानवरों को नजरअंदाज करने की कोशिश की उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। इस मामले में अब तक लोकल एडमिनिस्ट्रेशन गंभीर नहीं है। पक्के महाल का इलाका गाय-भैंसों की सैरगाह है। सिटी के रोड्स पर भी इनका कब्जा रहता है। लगभग सभी कॉलोनियों में बंदरों और कुत्तों ने डेरा जमा रखा है। बंदरों और कुत्तों से परेशान लोगों की इनसे बचने की हर कोशिश नाकाफी साबित हो रही है।

हर जगह है छुट्टा जानवर

- शहर में छुट्टा पशुओं की कहीं कोई गिनती नहीं है।

- अनुमान है कि गाय, भैंस, सांड़, कुत्ता और बंदरों की आबादी भ् लाख से ज्यादा है।

- छुट्टा गाय-भैंस व सांड़ की तादाद करीब भ्0 हजार के आस-पास है।

- स्ट्रीट डॉग्स की आबादी करीब तीन लाख है।

- बंदरों की आबादी भी अब एक लाख से ज्यादा होने की उम्मीद है।

- पिछले दस सालों में इनकी संख्या में चार गुना इजाफा हुआ है।

बन रहे मौत के परवाने

सिटी के हॉस्पिटल्स में डेली पांच दर्जन से अधिक मामले डॉग व मंकी बाइट के पहुंच रहे हैं। रोड्स पर गाय-भैंसों से टकराकर डेली घायल होने वालों में दो दर्जन लोग होते हैं। इनके हमले में भी डेली दो दर्जन लोगों पर हो रहे हैं। मंकी व डॉग बाइट के शिकार में से हर किसी को गवर्नमेंट हॉस्पिटल में एंटी रैबीज नहीं मिल पाती है। महंगी दवाएं लोगों को खुद से रुपये से खरीदनी पड़ती हैं। शहर की आबादी हर रोज घनी होती जा रही है। ऐसे में सिटी में इतने तादाद में एनिमल्स हैं तो इंसानों का सेफ होना नामुमकिन है।

कैद रहने को हैं मजबूर

सिटी में बंदरों का आतंक है। ऐसी कोई कॉलोनी या मोहल्ला नहीं जहां इनकी मौजूदगी न हो डेरा न हो। कबीर नगर कॉलोनी, ब्रह्मानंद, साकेत नगर, शास्त्री नगर, श्रीनगर कॉलोनी, बैंक कॉलोनी, रविन्द्रपुरी कॉलोनी, गुरुधाम सहित कई और कॉलोनियां ख्ब् घंटे इनका उत्पात होता रहता है। बच्चों से लेकर बूढ़ों को काटते हैं। घरों में घुसकर खाने-पीने का सामान उठा ले जाते हैं। इनके डर से बच्चों ने कॉलोनियों के पा‌र्क्स में खेलना छोड़ दिया है। यहां बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोगों ने अपने घरों की खिड़कियों व बालकनी में लोहे की मोटी-मोटी जालियां लगवा रखी हैं। घरों के दरवाजों के पीछे लाठी-डण्डा रखने को मजबूर होते हैं।

नहीं देता कोई ध्यान

सिटी में इंसानों पर एनिमल्स के हमलों को लेकर लोकल एडमिनिस्ट्रेशन बिल्कुल गंभीर नहीं है। सिटी को इंसानों के रहने लायक बनाने की जिम्मेदारी संभालने वाले नगर निगम कभी-कभार छुट्टा पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाया है लेकिन वह भी खानापूर्ति होती है। रोड्स पर घूमते पशुओं को पकड़ने के लिए एक दस्ता बनाया गया है। यह दस्ता सिर्फ दुधारूपशुओं पर ही नजरें गड़ाए रहता है। ऐसे पशुओं को पकड़ने के बाद उन्हें छोड़ने के लिए मोटी रकम जो वसूली जाती है। वहीं स्ट्रीट डॉग्स व बंदरों को पकड़ने की जिम्मेदारी भी इसी दस्ते की है लेकिन निगम इन पशुओं से कोई सरोकार नहीं रखता है।

जाने कब बाहर होंगे तबेले

नगर निगम ने तबेलों को सिटी से बाहर करने के लिए कामधेनु प्लैन बनाया था लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। वहीं कुत्तों को पकड़ने के लिए की एक एजेंसी से बातचीत चल रही है लेकिन वह फाइनल स्टेज पर नहीं पहुंच पायी है। निगम एक बार फिर कुत्तों को पकड़ने की योजना बना रहा है। इसके लिए नेट वगैरह मंगाया गया है। मगर किसी को यह पता नहीं है कि इसका यूज कब से शुरू होगा? बंदरों को धरपकड़ की जिम्मेदारी मथुरा की एजेंसी को दी गयी थी। उसने कुछ दिन काम फिर भाग खड़ी हुई।

यहां पूजे जाते हैं जानवर

धर्म की नगरी बनारस में जानवरों की पूजा की जाती है। बैल-सांड़ को बाबा विश्वनाथ की सवारी बताकर लोग उन्हें पूजते हैं। तो वहीं बंदरों को हनुमान जी का रूप माना जाता है। जबकि कुत्तों को भैरव माना जाता है। बनारस में इस श्रद्धा का नजारा गाहे-बगाहे दिख भी जाता है। सांड़ के मरने पर शवयात्रा निकाली जाती है तो बंदरों को महाभोज दिया जाता है। कुत्तों को बिस्कुट खिलाकर भैरव को प्रसन्न करने की कोशिश होती है।

छुट्टा पशुओं का शहर में आतंक है। रोड पर चलते वक्त गाय ने हमला कर दिया था। पैर में गंभीर चोट लगी थी। कई दिनों तक बेड रेस्ट करने को मजबूर हुए।

अतुल शर्मा, पाण्डेयपुर

घर से निकले ही थे एक बंदर ने पैर में दांत गड़ा दिया। उसे हटाने की कोशिश की तो कई जगह औैर दांत गड़ाया। मजबूरन हॉस्पिटल में जाना पड़ा। इलाज में काफी रुपये खर्च हुए।

सोनू सेठ, रथयात्रा

एरिया में आवारा कुत्तों की भरमार है। अक्सर लोगों को अपना निशाना बनाते हैं। रात में घर लौटते वक्त कुत्तों के झुण्ड ने घेर लिया। उन्हें भगाने की कोशिश किया तो मुझे काट लिया।

अविनाश पाण्डेय, पहडि़या

छुट्टा पशु और आवारा कुत्ते लोगों पर अक्सर हमला कर देते हैं। मैं खुद इनका शिकार बन गया। एक कुत्ता मेरी बाइक से टकरा गया। जब तक संभलता तब तक उसके नुकीले दांत मेरे जिस्म में गड़ चुके थे।

विनय तिवारी, लंका

नगर निगम अपनी ओर से छुट्टा पशुओं पर लगाम लगाने की कोशिश की जा रही है। आवारा पशुओं को पकड़ने का काम डेली किया जा रहा है। स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने का भी इंतजाम किया जा रहा है।

उमाकांत त्रिपाठी, नगर आयुक्त, नगर निगम

Posted By: Inextlive