PATNA : जूनियर डॉक्टर के स्ट्राइक पर जाने के बाद पीएमसीएच में सन्नाटा पसरा हुआ है. यहां आवाज सिर्फ चिल्लाने रोने और छाती पिटने की आती है. लेकिन बेदिल पीएमसीएच इन आंसुओं पर पिघलने को तैयार नहीं.

गुरुवार को सुबह 10 बजे से लगातार मीटिंग, 10 से अधिक एचओडी, दो दर्जन स्टूडेंट्स, कई क्लास सस्पेंड, 100 कप कॉफी पीने के बाद भी स्ट्राइक मसले पर कोई पॉजिटिव रिजल्ट नहीं निकला। प्रिंसिपल चेंबर में दिनभर कोई दूसरा काम नहीं हुआ। स्ट्राइक मसले पर कभी जूनियर डॉक्टर, तो कभी एचओडी के साथ लगातार मीटिंग के बाद मौखिक निर्णय बहुत हुए, लेकिन रिजल्ट जीरो। जूनियर डॉक्टर स्ट्राइक से हटने के मूड में नहीं दिखे। बुधवार की रात दस बजे से गुरुवार की रात दस बजे तक पीएमसीएच की स्थिति काफी खराब रही। शिशु विभाग में दो बजे तक आठ बच्चे की मौत हो चुकी थी। इसे देखकर कई लोग अपने बच्चे को लेकर वहां से निकल गए, जो बचे थे उनकी हालत काफी नाजुक थी।
हर हाथ में लगा था स्लाइन
लगभग तमाम बच्चों के शरीर में स्लाइन लगे हुए थे। वहीं नर्सेज और सिक्योरिटी गार्ड पूरी तरह छुट्टी के मूड में थे। उन्हें बच्चों का रोना व मां का की चीत्कार सुनाई नहीं दे रही थी। सीनियर डॉक्टर मौका पाते ही निकल चुके थे। लिहाजा सीनियर और रेसीडेंट डॉक्टर के नहीं रहने से बच्चों को एडमिट नहीं किया जा रहा था। ओपीडी से इमरजेंसी तक ठप था। मेडिसीन इमरजेंसी में तो पूरी तरह सन्नाटा पसरा था। आधे से अधिक बेड खाली थे। कमोबेश यही स्थिति गाइनी व सर्जरी में भी थी।
दी जा रही थी लाइव जानकारी
प्रिंसिपल चैंबर में चल रही मीटिंग में लोकल एडमिनिस्ट्रेशन, पीएमसीएच प्रिंसिपल, सुपरिटेंडेंट सहित तमाम डिपार्टमेंट के एचओडी और जूनियर डॉक्टर के डेलीगेट्स मौजूद थे। इस दौरान हेल्थ मिनिस्टर व सेक्रेटरी को लगातार लाइव जानकारी दी जा रही थी। पांच घंटे तक चली मीटिंग का रिजल्ट लगभग जीरो रहा। जूनियर डॉक्टर कई बार गुस्से में चेंबर से बाहर निकल गए। समझाने-बुझाने की प्रक्रिया चलती रही, लेकिन वे सिक्योरिटी, स्टाइपन आदि पर कोई भी शर्त मानने को तैयार नहीं थे।
क्या था मामला
बुधवार की रात बख्तियारपुर के करनौती निवासी राजकिशोर के 14 वर्षीय बेटे बिट्टू को इमरजेंसी वार्ड में एडमिट कराया गया था। फैमिली मेंबर ने आरोप लगाया कि स्लाइन चढ़ाने के दौरान अचानक पाइप निकल गया और खून निकलने लगा। डॉक्टर से गुहार लगाने के बाद भी उस पर ध्यान नहीं दिया गया.लिहाजा उसकी मौत हो गई। गुस्से में फैमिली मेंबर ने डॉ। रामानुज सहित कई डॉक्टरों की पिटाई कर दी। इसके बाद से जूनियर डॉक्टर स्ट्राइक पर हैं।
मौत का इंतजार!
इंसेफलाइटिस वार्ड में एक साथ 15 बेड लगाए गए हैं, स्पेशल वार्ड वाली यहां कोई व्यवस्था नहीं है। एक एसी लगा हुआ है, पर खिड़कियों के शीशे टूटे रहने के कारण वह किसी काम का नहीं है। स्ट्राइक की वजह से कोई इन बच्चों को देखने वाला नहीं। गार्जियन को डर है कहीं कल की सुबह उनके लिए अनहोनी बनकर नहीं आए।

एडमिनिस्ट्रेशन की चुप्पी
आए दिन पीएमसीएच में इस तरह का मंजर बना रहता है। कभी डॉक्टर पेशेंट को मारते हैं, तो कभी पेशेंट डॉक्टर को अपना शिकार बनाते हैं। एक-दो की गलती का खामियाजा हजारों पेशेंट्स को भुगतना पड़ता है। पीएमसीएच में हंगामे के इस खेल पर एडमिनिस्ट्रेशन हमेशा मौन रहता आया है। इस बार वह चुप है।

सेक्रेटरी के सामने चुनौती
सोर्सेज की मानें तो नए प्रिंसिपल हेल्थ सेक्रेटरी व्यास जी के सामने स्ट्राइक चुनौती बनकर आई है। वे इसे लेकर काफी सीरियस दिखे। इस मसले पर लगातार हॉस्पीटल एडमिनिस्ट्रेशन से बात करते रहे कि आखिर कैसे इसे कम करने की कोशिश की जाए। ऑफिसर्स भी उन्हें अपडेट लाइव जानकारी देते रहे.  
जूनियर डॉक्टर पर भरोसा क्यों
सबसे अहम सवाल है कि जब जूनियर डॉक्टर बात-बात पर हंगामा व स्ट्राइक करते हैं, तो भी पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन इसका विकल्प क्यों नहीं तलाश रहा है। जूनियर डॉक्टर के स्ट्राइक पर जाते ही सारे सीनियर और रेसीडेंट डॉक्टर क्यों गायब हो जाते हैं। क्यों नहीं वे ओपीडी से इमरजेंसी तक की कमान संभालते हैं।

 

Posted By: Inextlive