Just think about pocket money
बिजनेसमैन अनिल गर्ग का बेटा मुकेश सिटी के एक स्कूल में नाइंथ का स्टूडेंट है। वो जब भी पापा से पॉकेट मनी की मांग करता है तो पापा उसे जेब से निकाल लेने का हुक्म देते। उन्होंने ये जानने की जरूरत नहीं समझी कि मुकेश उनकी जेब से सौ रुपए निकाल रहा है या दो सौ। उसकी फिजूल खर्ची के किस्से बढ़ते चले गए। एक दिन स्कूल में टीचर ने उसकी जेब से एक हजार रुपए बरामद किए। उन्होंने पेरेंट्स को बुलवा लिया। तब जाकर अनिल को अपनी गलती का अहसास हुआ।
कितनी pocket money
बच्चे को पॉकेट मनी जरूर दें, मगर सबसे पहले इस बात पर ध्यान दें कि उसे कितनी पॉकेट मनी दी जाए। ये डिसाइड करने से पहले जान लें कि आपके बच्चे को महीने में कितने पैसों की जरूरत होती है। कहीं ऐसा न हो कि जो पॉकेट मनी आप उसके लिए डिसाइड करें, वो उसके लिए कम हो या फिर बहुत ज्यादा हो।Money management
माना कि आप परिवार के लिए ही कमाते हैं, मगर बच्चे को भी बताएं पैसा किस तरह से कमाया जाता है। ताकि वो पैसे खर्च करने से पहले जाने कि उसने कितने पैसे फिजूल खर्च में उड़ा दिए हैं। इसके साथ ही बच्चे को मनी मैनेजमेंट के बारे में जरूर बताएं। उसे ये सिखाएं कि कैसे पैसे का सही यूज किया जाए।Weekly or monthlyपॉकेट मनी देने से पहले ये बात क्लियर करें कि आप बच्चे को जो पॉकेट मनी दे रहे हैं, वो वीकली देना सही है या फिर मंथली। इससे एक तो बच्चे को ये पता रहेगा कि जो पैसे उसे मिले हैं वो उसे पूरे हफ्ते या पूरे महीने चलाने हैं। ऐसे में वो पैसे को सोच समझ कर खर्च करेगा। हो सकता है कि बच्चे का हाथ काफी खुला हो ऐसे में शुरुआत में वो पैसे बिना सोचे समझे खर्च करेगा, मगर जब उसे ये दिखेगा कि अब उसके पास जो पैसे बचे हैं वो बहुत कम हैं और उसे ये पैसे पूरे हफ्ते चलाने हैं तो वो कुछ धीमी रफ्तार से खर्च करेगा। हिसाब की आदत ऐसा करना भी सही नहीं है कि आप बच्चे से कभी हिसाब ही न लें। कभी कभार पैसे का हिसाब लेने से बच्चे को हिसाब देने की आदत बनी रहती हैं, और कभी अचानक लिया जाने वाला ब्यौरा उसे अटपटा नहीं लगेगा।Saving भी सिखाएं
मनी सेविंग किस तरह से घर के बजट में मदद करता है ये बात जानना बच्चे के लिए भी जरूरी है। पैसे की क्या वैल्यू है और पैसे की बचत कितनी जरूरी है बच्चे को जरूर बताएं। पैसे की सेविंग क्यूं करनी चाहिए और मनी सेविंग के क्या फायदे हैं। "हम हमेशा पेरेंट्स से अपील करते हैं कि वो बच्चों को पॉकेटमनी न दें। अगर बच्चा घर से लंच लाता है तो उसे पॉकेट मनी की कोई जरूरत ही नहीं होती है."-एचएम राउत, प्रिंसिपल दीवान पब्लिक स्कूल"बच्चों को पॉकेट मनी न देने के लिए हम पेरेंट्स से कहते रहते हैं। पॉकेट मनी क्यों और कितनी होनी चाहिए ये पेरेंट्स को सोचकर ही तय करना चाहिए."-मधु सिरोही, प्रिंसिपल एमपीजीएस"बच्चों को पॉकेट मनी एक लिमिट में देनी चाहिए। ऐसा न हो कि बच्चा पॉकेट मनी के नाम पर जो भी डिमांड करे उसे पेरेंट्स पूरा करें."-सुमन अग्रवाल, पेरेंट