- आयोग सुप्रीम कोर्ट में रखेगा अपनी रिपोर्ट

- सभी पक्षों की ओर से रखी गई अपनी-अपनी बात

Meerut : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विक्टोरिया पार्क अग्निकांड मामले में जांच के लिए गठित जस्टिस एसबी सिन्हा आयोग के समक्ष बहस रविवार को पूरी हो गई है। रविवार को नई दिल्ली के ओखला स्थित यूपी सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में सभी पक्षों के प्रतिनिधि व उनके वकील पहुंचे और आयोग के समक्ष अंतिम बार सभी ने अपनी दलील दी। अब गर्मी की छुट्टियां खत्म होने पर कोर्ट खुलते ही जस्टिस सिन्हा आयोग अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप देंगे, जिसके बाद आगे फिर बहस होगी और अंतिम फैसला आएगा। जानकारों का मानना है कि अभी और कम से कम क्0 से क्ख् महीने का समय लग सकता है। यह केस पीडि़तों और मृतक के परिजनों को मुआवजे दिलाने का है। क्रिमिनल केस अभी निचली अदालत में चल रहा है।

सभी ओर से रखा गया पक्ष

रविवार को बहस की शुरुआत आयोजकों के वकील ने की। उन्होंने एक बार फिर आयोजकों को इस अग्निकांड के लिए निर्दोष बताया। कहा कि, ठेकेदार, अग्निशमन और पुलिस-प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह घटना घटी है। इस पर पीडि़त पक्ष की ओर से पहुंचे वकील ने कहा कि चूंकि आयोजक यह मेला अपने लाभ के लिए लगा रहे थे, वहां की सुरक्षा, व्यवस्था आदि की जिम्मेदारी पर निगरानी उन्हें ही रखनी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

डीएम ने रखा पक्ष

ठेकेदार नरेश गर्ग के वकील ने भी अपने मुवक्किल का बचाव किया। अपना पक्ष रखने के लिए तत्कालीन डीएम रामकृष्ण भी पहुंचे थे। उन्होंने आयोग के समक्ष कहा कि वे आयोजकों के आमंत्रण पर मेला प्रांगण पहुंचे थे, लेकिन व्यवस्था से अनभिज्ञ थे। उनके स्तर से यह संभव भी नहीं था कि वे सभी चीजों को अपने स्तर पर परखें। सरकारी वकील ने भी अधिकारियों की ओर से अपनी दलील दी।

सिर्फ दो चार पीडि़त ही दिखे

बहस शाम तक चली और फिर जस्टिस सिन्हा ने बहस पूरी होने की बात कही। हालांकि उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में पीडि़तों की सूची तो लंबी-चौड़ी है, लेकिन बहस के दौरान दो-चार चेहरों को छोड़ कोई नहीं दिखा। उन्होंने यह बात विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति के महामंत्री संजय गुप्ता से कही।

आयोजकों की दलील पर बना था आयोग

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आयोजकों की ओर से यह पक्ष रखा गया था कि जब अग्निकांड की जांच के लिए गर्ग आयोग जांच कर रहे थे तो आयोजक जेल में होने की वजह से अपना पक्ष न रख पाए थे और न ही गवाहों को क्रॉस कर पाए थे। आयोजकों की दलील पर गत वर्ष फ्क् जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एक सदस्यीय आयोग का गठन कर आयोजकों को एक मौका दिया था। सितंबर माह से जस्टिस सिन्हा आयोग ने सुनवाई शुरू की। बहस के दौरान गवाहों, आयोजकों, सरकारी कर्मचारियों, तत्कालीन पुलिस-प्रशासन के आला अधिकारी भी पेश हुए।

Posted By: Inextlive