तेलुगु देशम के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री के येरन नायडू की शुक्रवार की सुबह तड़के एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई. वे 56 वर्ष के थे.

पुलिस के अनुसार विशाखापटनम से श्रीकाकुलम जाते हुए शुक्रवार की सुबह दो बजे उनकी कार तेल के एक टैंकर से टकरा गई। उन्हें फ़ौरन श्रीकाकुलम के एक अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी और अस्पताल में उनकी मृत्यू हो गई।

येरन नायडू के साथ कार में यात्रा कर रहे तेलुगु देशम के दो और नेता भी घायल हो गए। येरन नायडू की मौत की सूचना मिलते ही, चंद्राबाबू नायडू महबूबनगर ज़िले में अपनी पदयात्रा बीच में ही छोड़ कर विशाखापटनम के लिए रवाना हो गए जहाँ से वो श्रीकाकुलम जाएंगे।

येरन नायडू का दाह संस्कार उनके गाँव निम्मादा में शुक्रवार की शाम को किया जाएगा। येरन नायडू की मृत्यु के समाचार ने आंध्र प्रदेश के राजनैतिक हलक़ों में और विशेष कर श्रीकाकुलम ज़िले में शोक की लहर दौड़ा दी है।

तेलुगु देशम के नेता और कार्यकर्त्ता गहरे शोक में डूबे हुए हैं। श्रीकाकुलम में आज तमाम बाज़ार और कारोबार बंद हैं। सभी राजनैतिक दलों के नेताओं ने येरन नायडू की मौत पर गहरा दुख व्याप्त किया है।

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बोत्सा सत्यानारयाना, उपमुख्यमंत्री दामोदर रजा नरसिम्हा, तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव और वाईएसआर कांग्रेस की अध्यक्ष विजय लक्ष्मी ने अपने शोक संदेश में येरन नायडू की मौत को राज्य का एक बहुत बड़ा नुक़सान बताया है।

येरन नायडू का दाह संस्कार शुक्रवार को दिन में दो बजे उनके गाँव निम्माडा में होगा। पेशे से वकील येरन नायडू 1982 में राजनीति में आए जब उन्होंने एनटी रामा राव की स्थापित तेलुगु देशम पार्टी में शामिल होने का फ़ैसला किया।

पिछड़ी जाती से आने वाले येरन नायडू आंध्र प्रदेश के काफ़ी लोकप्रिय नेताओं में से एक थे। उन्होंने लगातार विधान सभा और लोक सभा के चार-चार चुनाव जीते थे और राज्य तथा दोनों जगह मंत्री रहे थे।

1996 में तेलुगु देशम के समर्थन से केंद्र में बनी यूनाइटेड फ्रंट सरकार में उन्होंने एक अहम भूमिका निभाई थी और वे ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए थे।

इसके बाद तेलुगु देशम ने जब एनडीए सरकार में शामिल होने का फ़ैसला किया तो उसमें भी येरन नायडू की अहम भूमिका रही थी।

पार्टी में उनकी अहमियत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें दिल्ली में तेलुगु देशम के अध्यक्ष चंद्राबाबू नायडू का आँख और कान माना जाता था। लेकिन 2009 के चुनाव में उन्हें पहली बार हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की कृपा रानी ने उन्हें चुनाव में मात दे दी।

Posted By: Inextlive