शिविरों में चाट पकौड़ी, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक के बावजूद भी सादा भोजन कर रहे कांवडि़ए

सब्जी में नहीं लगाते झौंक, सिर्फ उबले आलू के साथ खाते हैं रोटी

सादा भोजन और भोले के भजन यही है कांवडि़यों का मूलमंत्र

Meerut । कांवड़ यात्रा के दौरान कई नियमों को भी मानना पड़ता है। कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन महादेव की भक्ति के आगे सारी मुश्किलें खत्म हो जाती हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान नियम ये भी है कांवडि़यों को मसालेदार और विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट खाने से भी परहेज करना होता है.कांवड़ यात्रा के दौरान कांवडि़यों के परिजनों को कुछ कठिन नियमों का पालन करना होता है।

चटपटे खाने से परहेज

हरिद्वार से कांवड़ लेकर गुड़गांव जा रहे दिनेश भोला बताते हैं कि कांवड़ यात्रा काफी मुश्किल है, लेकिन बाबा की भक्ति और विश्वास हर मुश्किलों को आसान बना देती है। उन्होंने बताया कि उनके साथ करीब 10 से 15 लोग कांवड़ लेकर आए हैं। सभी अपने साथ भोजन व्यवस्था करके लाए हैं। कांवड़ यात्रा के हम लोग दौरान सिर्फ सादा भोजन ही करते हैं।

उबले आलू का भोजन

कांवडि़ए विवेक भोला ने बताया कि वे 10 लोगों के ग्रुप के साथ आए हैं, कांवड़ यात्रा के दौरान सादगी और भक्ति का संयोग होता है। इसलिए हम लोग अपना भोजन खुद बनाते हैं। हम लोग सिर्फ उबले आलू और उसमें तेल गर्म करके मिलाकर नमक मिला लेते हैं। सब्जी में झौंक नहीं लगाया जाता है। ऐसी सादी सब्जी को रोटी से खाया जाता है। कांवडि़यों के लिए खाना बना रहीं देवकी कहती हैं कि हालांकि हरिद्वार से लेकर गुड़गांव तक कई शिविर लगते हैं। जिनमें विभिन्न तरह के व्यंजन मिलते हैं। कई में तो आईसक्रीम से लेकर चाट पकौड़ी तक मिलती है, लेकिन हम सिर्फ अपना सादा भोजन ही करते हैं।

कई नियमों का पालन

बाबा मनोहर नाथ मंदिर के महंत अमित कुमार शांडिल्य कहते हैं कि कांवडि़यों को कई नियमों का पालन करना होता है। इनमें मन को भोलेनाथ के चरणों में एकाग्रचित करना और सादा भोजन ही करना चाहिए। कांवडि़यों को व्यंजनों से भी दूर रहना चाहिए। उनका मुख्य उद्देश्य सिर्फ महादेव के चरणों की भक्ति होती है।

Posted By: Inextlive