kanpur: कचहरी में थर्सडे को हिस्ट्रीशीटर राजेश श्रीवास्तव एक कांस्टेबल और साथी बन्दी को वाइन पिलाकर फरार हो गया. एक मर्डर के मामले में उसको सजा हो चुकी है जबकि उस पर वाहन चोरी ऑम्र्स एक्ट समेत एक दर्जन से अधिक संगीन मुकदमे चल रहे हंै. वह पहले भी पुलिस को गच्चा देकर फरार हो चुका है. शाम को बंदियों की गिनती होने पर उसके फरार होने का पता चला तो हवालात में हडक़म्प मच गया. आनन-फानन में उसकी खोजबीन की तो एक बंदी जिसको उसने शराब पिलाई थी वो नशे की हालत में कैम्पस में मिल गया. कोतवाली थाने में कांस्टेबल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर हिस्ट्रीशीटर की तलाश में कई जगह दबिश दी गई लेकिन उसका पता नहीं चला.

कई मामले दर्ज हैं उस पर
कल्याणपुर के सत्यम बिहार में रहने वाले श्रवण श्रीवास्तव के बेटे राजेश को मर्डर में सजा हो चुकी है। वह बिठूर थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जबकि उस पर सचेण्डी से वाहन चोरी, कोतवाली में ऑम्र्स एक्ट, कस्टडी से फरार होने का केस चल रहा है। गुरुवार को उसको दूसरे बंदियों के साथ पेशी पर जेल से कचहरी भेजा गया था। जहां उसको सेशन हवालात में रखा गया। वहां से कांस्टेबल वीरेंद्र सिंह उसको और एक बंदी विजय कुमार को कस्टडी में लेकर कोर्ट जा रहा था। तभी रास्ते में हिस्ट्रीशीटर के कुछ दोस्त उनसे मिले। उन लोगों ने कांस्टेबल को दारू का लालच देकर एक चेम्बर में ले गए। जहां उन लोगों ने साथ में बैठकर शराब पी। उन लोगों ने कांस्टेबल और बंदी विजय को नशे में कर दिया। जिसके बाद हिस्ट्रीशीटर हाथ की बंधी रस्सी को खोलकर भाग गया। कांस्टेबल बेहोशी की हालत में होने से उसको पकड़ नहीं पाया। इधर, शाम को हवालात में बंदियों की गिनती में दो बंदियों के फरार होने का पता चला, तो हवालात प्रभारी के होश उड़ गए। आनन-फानन में उन लोगों की खोजबीन की, तो कांस्टेबल एक बंदी समेत टल्ली मिला। उसको हिरासत में लेकर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है।
रूल्स नहीं फॉलो करते हैं सिपाही
कचहरी में पेशी पर आने वाले बंदियों की सुरक्षा के लिए पुलिस लाइन से सिपाही भेजे जाते हैं। ये बंदी को हवालात से कोर्ट ले जाते हैं। वहां से इनको बंदी को सुरक्षित हवालात में लाना होता है, लेकिन ये कुछ रुपए के लालच में बंदी की पेशी कराने के बाद घुमाने ले जाते हैं। कचहरी के बाहर बंदी खरीदारी करने के बाद सिपाही को ही सामान पकड़ा देते हैं। कई बार तो सिपाहियों को बंदी के साथ शराब पीते हुई भी पकड़ा गया है। इन मामलों में आरोपी सिपाहियों के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ है।


यहां पर लगता है जमावड़ा
जेल से पेशी पर आने वाले ज्यादातर बंदी कचहरी के बाहर ठेलों में खाते हुए मिल जाएंगे। रईस बंदी आसपास के होटल में खाना खाने चले जाते हैं। कुछ का तो वकीलों के चेम्बर में रुकने का इंतजाम होता है। कचहरी के बाहर राजकुमार झोले-भठूरे, जीयालाल की फ्रूट चाट, डीएसओ दफ्तर के पास चोखा-बाटी, पाल के होटल बंदियों की पसन्द है। यहां पर रोज बंदियों को खाते-पीते देखा जा सकता है।


जल्दी निकलने का रेट 350 रुपए
नाम न छापने की रिक्वेस्ट पर एक सिपाही ने बताया कि कचहरी में पेशी पर आने वाले बंदियों को सेशन और सदर हवालात में रखा जाता है। यहां पर 350 रुपए देने पर बंदी को जल्दी निकाल दिया जाता है और उनको आखिरी गाड़ी से जेल भेजा जाता है। इस दौरान वह कोर्ट में पेशी कराकर कहीं भी घूमने चला जाता है।


गर्लफ्रेंड के साथ पकड़ा गया
कानपुर कचहरी में एक साल पहले चेतना चौराहे के पास स्थित होटल में चर्चित स्मैक तस्कर को गर्लफ्रेंड के साथ पकड़ा गया था। इसके बाद कुछ दिनों तक पुलिस ने सख्ती की, लेकिन मामले के ठंडा पड़ते दोबारा बंदी वहां जाने लगे हैं। कचहरी के पास बने बड़े रेस्टोरेन्ट में ठगी के आरोपी बंदी को मीडियावालों ने रंगेहाथ परिवारवालों और दोस्तों के साथ खाते-पीते हुए पकड़ लिया था।


पेशी पर आने पर भेजते हैं पर्ची
कचहरी में पेशी पर आने वाले शातिर बंदी यहीं से वसूूली की पर्ची लोगों को भेजते हैं। इसके लिए उनके गुर्गे पेशी के दिन वहां पहुंच जाते हैं। वे उस्ताद के लिए पकवान भी ले जाते हैं। जिसका मजा वे कोर्ट के बाहर बेंच में बैठकर लेते हैं।


पहले भी फरार हो चुके हैं कई
कचहरी में सन् 2005 को दस बंदी पुलिस को गच्चा देकर भाग गए थे। इसी तरह 2006 में आठ, 2007 में चार, 2009 में चार, सन् 2011 में चार बंदी भागे थे। 2011 में 14 बंदियों के भाग गए थे। इसमें 5 जनवरी 2011 संजय शुक्ला उर्फ पप्पू, 11 फरवरी को नसीम उर्फ भूरा, मार्च में विपिन दीक्षित और राहुल बटई, 21 मई को बंदी चांद उर्फ अरमान और सुनील सैनी, 23 मई को मुजाहिद उर्फ मुन्ना बदरी, 2 जून को नरेश ठाकुर और अजय शर्मा, 5 अगस्त को शातिर राजकुमार उर्फ झुर्री, 23 सितम्बर को सजायाफ्ता कैदी सुशील श्रीवास्तव, 31 अक्टूबर को सुनील गिलट, 9 दिसंबर को राघव शुक्ला फरार हो गया था। इसके बाद जनवरी 2012 की शुरुआत में एनडीपीएस का आरोपी राहुल और  4 अक्टूबर को दुष्कर्म का आरोपी विजय कुमार भदौरिया को भाग गया था। इसी साल बंदी रघुवीर बेरिया, 23 अक्टूबर को हिस्ट्रीशीटर जीते सोनकर सिपाहियों की लापरवाही का फायदा उठाकर फरार हो गए। जिसमें हिस्ट्रीशीटर जीते को पुलिस ने अगले दिन गिरफ्तार कर लिया था।

Posted By: Inextlive