संगीत को मैं ईश्वर से जुडऩे का जरिया मानता हूं और फोक म्यूजिक वो जरिया है जिसके थ्रू ईश्वर को महसूस किया जा सकता है.

 कई बार जब मैं स्टेज पर होता हूं और कोई फोक सांग परफॉर्म कर रहा होता हूं तो अचानक ही मुझे यह महसूस होने लगता है कि मैं कोई और हूं. कोई और से मेरा मतलब, मैं उस ईश्वर का एक ऐसा भक्त हूं, जिसके लिए संगीत ही उसकी साधना का जरिया है. भारत जैसे देश में मेरे जैसे कई भक्त मिल जाएंगे जो फोक म्यूजिक के जरिए ही ईश्वर की साधना करते हैं. इस देश में इतना कल्चर है कि कुछ तलाशने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. कहीं भी चले जाइए, कश्मीर से कन्याकुमारी तक या फिर मुंबई से लेकर गुजरात और वेस्ट बंगाल तक, हर जगह कोई न कोई मीठी धुन आपको जरूर सुनने को मिल जाएगी.


 फोक म्यूजिक आत्मा को सुकून देता है. जब कभी भी आप परेशान हों, कहीं का भी फोक म्यूजिक उठा कर थोड़ी देर सुन लीजिए, आप काफी रिलैक्स्ड  फील करेंगे. यूं तो मैंने अपना कॅरियर 2001 में शुरू किया था, लेकिन जब 2003 में मैंने सक्सेज का स्वाद चखा. उस समय मैंने ‘अल्ला के बंदे’ गाया और लोगों ने मुझे इस गाने के साथ ढेर सारा प्यार दिया. ‘अल्ला के बंदे’ फोक और सूफी का एक बेहतरीन फ्यूजन है. आज भी लोग इसे सुनते हैं. लोगों को लगता है कि मेरी आवाज बाकी सिंगर्स से अलग है, जबकि ऐसा नहीं है. मैं भी बाकी सिंगर्स की तरह ही गाता हूं और अगर कुछ नयापन लगता है तो शायद इसकी वजह फोक म्यूजिक ही है.

कई बार लोग मुझसे कहते हैं कि यंगस्टर्स को फोक म्यूजिक में कोई दिलचस्पी नहीं है. वो केवल फास्ट म्यूजिक को ही सुनना चाहते हैं. जबकि यह गलत है और हर बार मेरे शो में आए यंगस्टर्स मुझसे कैलासा, झूमो रे और चांदन में.. के गानों की फरमाइश करते हैं. इन सारे एलबम में फोक म्यूजिक ही है. कई फोक आर्टिस्ट्स हैं जिन्हें सबसे ज्यादा यंगस्टर्स ही सुनते हैं. इला अरुण, गुरदास मान, तीजनबाई और भी कई मशहूर लोग हैं जो फोक म्यूजिक के जाने माने चेहरे बन चुके हैं. सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि किसी भी देश का फोक म्यूजिक सुन लीजिए आपके कानों में शहद की तरह घुल जायेगा. कुछ दिनों पहले मैं थाईलैंड गया था. वहां जिस समय मैं परफॉर्म कर रहा था, लोगों ने फोक डांस पर थिरकना शुरू कर दिया था. भारत में फोक म्यूजिक अभी उस हालत में नहीं है जैसा अमेरिका, नेपाल या फिर किसी और देश में है.

कई फोक आर्टिस्ट हैं जिनके लिए अब यह रोजी-रोटी का जरिया भी बन गया है. यह आर्टिस्ट्स देश का टैलेंट हैं और लाखों की संख्या में ऐसे लोग हमारे देश में हैं, जो लोगों के सामने आ ही नहीं पाते हैं. मैं चाहता हूं कि ऐसे लोगों को और मौके दिए जाएं ताकि वो अपना टैलेंट और देश की विरासत को आगे बढ़ा सकें. मुझे राजस्थान का म्यूजिक पसंद है. अब मुझे कश्मीर का म्यूजिक भी काफी पसंद आने लगा है. मुझे लगता है कि बॉलीवुड फिल्मों में भी फोक म्यूजिक को जगह मिलने लगी है. कई फिल्में हैं जिसमें कभी मैंने तो कभी कुछ और सिंगर्स ने फोक म्यूजिक की मिठास लोगों के सामने पेश की है. मैं अपने पिता का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा जिन्होंने मुझे फोक म्यूजिक की विरासत दी है तो वहीं मैंने अपने गुरू पंडित कुमार गंधर्व जी से क्लासिकल संगीत सीखा. जहां तक एक आर्टिस्ट के तौर पर मेरा सवाल है तो मैं आगे आने वाले समय में भी संगीत की सेवा करना चाहूंगा. मेरे लिए संगीत हर चीज से बढक़र है और इससे अलग रह पाना काफी
मुश्किल है.

E-mail interview with Recha Bajpai

Posted By: Garima Shukla