भारत में बाल अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई समेत कुल 11 हस्‍ितयों को आज नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जाएगा. स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम और नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में आज नोबेल विजेताओं को नोबेल पदक नोबेल डिप्लोमा और उनकी पुरस्कार राशि की पुष्टि करने वाले पत्र दिए जाएंगे. भारत और पाकिस्तान के इन दो चेहरों को नोबेल का साझा सम्मान ऐसे समय में मिल रहा है जब दोनों देशों के बीच रिश्ते तल्ख हैं. सरहद पर तनाव है बातचीत में अपनी बात पर अड़ने और मुलाकात में भी मुंह फेरने की नौबत है.

पिता पुत्री के हैं हमारे रिश्ते
पुरस्कार समारोह की पूर्व संध्या पर कल संयुक्त बयान जारी करते हुए सत्यार्थी और मलाला ने कहा कि नोबेल पुरस्कार बच्चों के अधिकारों व महिलाओं की शिक्षा के लिए संघर्ष करने का अवसर प्रदान करता है. प्रेस कांफ्रेंस में सत्यार्थी ने मलाला को गले लगाते हुए कहा कि वह उनकी पुत्री जैसी हैं. मलाला ने भी सत्यार्थी को पिता तुल्य बताया. 60 साल के सत्यार्थी और 17 साल की मलाला को यह पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया जा रहा है. मलाला पाकिस्तान से शांति का नोबेल पाने वाली पहली शख्सियत होंगी. साथ ही उनका नाम सबसे कम उम्र की नोबेल विजेता के रूप में भी दर्ज होगा. वहीं 'बचपन बचाओ आंदोलन' के अगुवा कैलाश सत्यार्थी भारत में जन्मे पहले शख्स होंगे, जिन्हें शांति का नोबल पुरस्कार मिला.
बेहतर कानून और शिक्षा की जरूरत
सत्यार्थी ने कहा कि हर बच्चे को शांति और सुरक्षा के माहौल में जीने का अधिकार होना चाहिए. हमें ऎसी दुनिया चाहिए. सरकारों को इस दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने कहा, हमारे अधिक से अधिक सांसदों को संसद में यह मुद्दा उठाना चाहिए और हमें भारत में बाल मजदूरी के उन्मूलन के लिए कानूनों की जरूरत है. मुझे उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में जल्द से जल्द कुछ करेगी. साथ ही समाज को भी बाल अधिकारों की एक संस्कृति के निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए. वहीं मलाला ने दुनिया के बच्चों को संदेश देते हुए कहा कि उन्हें खुद ही अपनी मदद के लिए खड़ा होना होगा. उन्होंने लोगों से भी अपील करते हुए कहा कि अगर आप किसी बच्चे को स्कूल न जाते देखें, तो आपको पहल करनी होगी. जिससे बच्चों में आपसी भाईचारे, प्रेम और सौहार्द का की भावना जन्म लेगी. इसके साथ ही पाक और के रिश्तो में कड़वाहट को मिटाकर मधुर संबंध बनाने की अपील की.

टेरेसा के बाद सत्यार्थी दूसरे भारतीय
सत्यार्थी और मलाला को शांति का नोबेल पुरस्कार नार्वे की राजधानी ओस्लो में दिया जाएगा, जबकि अन्य क्षेत्रों से जुड़े नोबेल स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में प्रदान किए जाएंगे. विजेताओं को नोबेल मेडल के साथ डिप्लोमा और पुरस्कार राशि से संबंधित दस्तावेज सौंपे जाएंगे. वर्ष 1901 से ही अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर 10 दिसंबर को ये पुरस्कार दिए जाते हैं. शांति के नोबेल विजेता सत्यार्थी और मलाला 11 लाख डॉलर (करीब सात करोड़ रुपये) की इनाम राशि साझा करेंगे. मदर टेरेसा (1979) के बाद सत्यार्थी दूसरे भारतीय हैं, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा जाएगा.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh