संगम की रेती पर आज पहले स्नान पर्व के साथ शुरू होगा एक माह का जप-तप व अनुष्ठान

ALLAHABAD: गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन त्रिवेणी तट पर मोक्ष प्राप्ति का अखंड तप कल्पवास पौष पूर्णिमा स्नान के साथ मंगलवार को आरंभ हो रहा है। आस्थावान श्रद्धालु घर-परिवार की मोह माया से दूर रहकर एक माह तक व्रत, भजन व पूजन के जरिए देवी-देवताओं की साधना में लीन हो जाएंगे। तट की रेती पर यह सिलसिला माघ मेला के 31 जनवरी को पड़ने वाले अंतिम प्रमुख स्नान पर्व माघी पूर्णिमा तक चलता रहेगा।

पचास हजार से अधिक श्रद्धालु

मेला के पहले प्रमुख स्नान पर्व से एक दिन पहले क्षेत्र में दूरदराज के क्षेत्रों से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। ओल्ड जीटी रोड पाण्टून पुल को छोड़कर महाबीर, गंगोत्री-शिवाला, त्रिवेणी व काली पुल से दिनभर श्रद्धालुओं का रेला कल्पवास करने के लिए शिविरों में पहुंचता रहा। अधिकतर श्रद्धालु टाटा मैजिक व ट्रैक्टर से राशन पानी लेकर आए तो कई परिजनों के संग खुद के साधन से मेला में पहुंचे। मेला अमीन किशोरी लाल गुप्ता ने बताया कि स्नान से पहले मेला क्षेत्र में 50 हजार से अधिक श्रद्धालु डेरा जमा चुके हैं।

कल्पवास का तौर-तरीका

पूर्णिमा स्नान से पहले श्रद्धालु अपने-अपने शिविरों के बाहर तुलसी का बिरवा लगाकर जौ बोएंगे। मेला क्षेत्र के सभी पांचों सेक्टर में यह नजारा दिखाई देगा। इसके बाद त्रिवेणी स्नान करके विधिवत बिरवा व जौ का पूजन करेंगे। शाम के प्रहर दीपक जलाया जाएगा। इसके अलावा एक समय सात्विक भोजन व भूमि शयन कल्पवास का प्रमुख विधान है। साथ ही देर रात तक धार्मिक प्रवचन में हिस्सा लेना, तीन प्रहर गंगा स्नान व रामायण का पाठ मासिक पर्यत किया जाएगा।

कल्पवास से वास्तव में शरीर का काया कल्प हो जाता है। मैं पंद्रह वर्षो से कल्पवास कर रहा हूं। इसकी वजह से धार्मिक ज्ञान बढ़ता है और रेत पर साधना का अवसर मिलता है।

महाराज सिंह पुजारी, दतिया

कई वर्षो से कल्पवास करके यह अनुभव मिला कि मनसा, वाचा व कर्मणा का जीवन कैसे जीया जाता है। बाकि गंगा तव दर्शनार्थ मुक्ति से तो मोक्ष की कामना की जाती है।

रमेश दास, इटावा

सांसारिक बाधाओं से दूर रहकर मोक्ष की कामना के लिए सात वर्षो से क्षेत्र में आ रहा हूं। मां गंगा की शरण में इससे बढ़कर दूसरा अध्यात्मिक ज्ञान कही नहीं मिल सकता है।

मुनेश्वर दास, अयोध्या

प्रयाग तीर्थो की नगरी है। एक माह तक जप-तप व अनुष्ठान करने का सौभाग्य कम ही मिल पाता है। इसीलिए इस बार परिजनों को लेकर कल्पवास करने आया हूं।

भगवती शंकर गुप्ता, रायपुर

प्रमुख स्नान पर्व की तिथियां

दो जनवरी : पौष पूर्णिमा

14 जनवरी : मकर संक्रांति

16 जनवरी : मौनी अमावस्या

22 जनवरी : बसंत पंचमी

31 जनवरी : माघी पूर्णिमा

Posted By: Inextlive