- सालों से पॉल्यूशन के मामले में पूरी दुनिया में बदनाम कानपुर के हालात सुधारने को नहीं बनी कोई रणनीति

- समय रहते नहीं उठा गए कदम, अधिकारियों के फैसलों में देरी और उन्हें लागू करने में नाकामी से बिगड़े हालात

KANPUR: पॉल्यूशन को लेकर कानपुर पूरी दुनिया में बदनाम है। ये स्थिति सालों से बनी हुई है। दिवाली के बाद पॉल्यूशन लेवल इतना बढ़ा कि शहर जहरीली गैसों के चेंबर में बदल गया है। कानपुराइट्स का सांस लेना दुश्वार हो चुका है। ट्यूजडे को तो कानपुर पॉल्यूशन के मामले में देश में नंबर वन पर पहुंच गया। हर साल इस सीजन में शहर इस मुसीबत से जूझता है लेकिन, इन हालात क्यों बने और इनके लिए जिम्मेदार कौन है? हालात से निपटने के लिए जिम्मेदार विभागों और अफसरों ने क्या किया? ये कोई नहीं जानता है। न तो कोई एक्शन प्लान बना और न कोई बड़े कदम उठा गए। आखिर वो कौन हैं जो अगर समय रहते सही फैसले करते तो स्थिति ऐसी न होती। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आज इन्हीं के बारे में आपको बताएगा।

नगर निगम-

सिटी में साफ सफाई, कूड़ा उठाने का जिम्मा इन्हीं के हाथों में है। सिटी में कूड़ा न जले, कूड़ा जहां डंप किया जा रहा है.वहां आग न लगे यह सुनिश्चित करना था,लेकिन यह सब बदस्तूर जारी है। सिटी में पॉल्यूशन की बड़ी वजह भी यही है। जगह जगह कूड़ा जलाया जा रहा है। टूटी सड़कों से धूल का गुबार उठ रहा है। फिर भी अब तक कोई कदम नहीं उठाए गए।

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केडीए -

कंस्ट्रक्शन की वजह से ही पार्टिकुलेटेड मैटर और धूल सबसे ज्यादा उड़ती है। जोकि सिटी में पॉल्यूशन का बड़ा कारण है.कंस्ट्रक्शन के दौरान पॉल्यूशन को रोकने के लिए गाइडलाइन है। इसका पालन हो यह सुनिश्चित कराना केडीए ऑफिसर्स का काम है,लेकिन ऐसा करने में वह नाकाम रहे। नजीता खुले में कंस्ट्रक्शन और सड़क पर पड़ी कंस्ट्रक्शन सामग्री की वजह से धूल बढ़ी।

डिस्ट्रिक्ट एडमििनस्ट्रेशन-

संबंधित विभाग अपना काम जिम्मेदारी के साथ कर रहे हैं या नहीं, इसकी मॉनीटरिंग के लिए जिला प्रशासन है। सिटी में पॉल्यूशन का लेवल बढ़ने के साथ ही उसे कम करने के लिए जो जरूरी कदम उठाए जाने थे। उनमें देरी हुई। सड़कों पर पानी के छिड़काव के निर्देश देर से दिए गए। और उस पर भी पूरी तरह अमल नहीं हो रहा है। लापरवाही कर रहे अफसरों पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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आरटीओ

शहर की हवा को जहरीला करने में सबसे बड़ा रोल दिन रात बढ़ते वाहन हैं। इनमें से हजारों वाहन बिना फिटनेस के ही दौड़ रहे हैं तो बड़ी संख्या में ऐसे वाहन हैं जो कंडम होने और उम्र पूरी होने के बाद भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं। जहरीला धुआं उगल रहे हजारों वाहनों को कंट्रोल करने में आरटीओ नाकाम रहा। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आंकड़ेबाजी की गई।

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आप भी गुनहगार

सिटी की हवा इतनी जहरीली कैसे हुई। इस पर जिम्मेदारी तय करने की बात आएगी तो कानपुराइट्स भी गुनहगार बनेंगे। क्योंकि रूल्स फालो नहीं करने से लेकर उन्होंने कई ऐसे काम किए। जिसकी वजह से सिटी गैस चेंबर में तब्दील हो गई। आए दिन लोग घर के बाहर कूड़े में आग लगा देते हैं। जिससे हालात और खराब हो रहे हैं।

इनसे बढ़ता गया पॉल्यूशन

-सड़कों पर खुदाई व डस्ट

-डीजल व पेट्रोल व्हीकल्स

-सॉलिड वेस्ट

-सड़कों पर फैला कूड़ा

-भवन निर्माण और डेमोलिशन

-इंडस्ट्रियल क्षेत्र

-जेनरेटर सेट्स

-पुआल को जलाना

-कूड़े को जलाना

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ऐसे कम होता है पॉल्यूशन

-ग्रीन बफर एरिया

-सड़कों के किनारे ग्रीनरी

-वॉटर फाउंटेन

-ओपेन एरियाज में पौधरोपण

-सड़कों को साफ किया जाए

-निर्माण कार्य को कवर किया जाए

-कूड़े का ट्रांसपोर्टेशन ढक कर हो

-इंडस्ट्रियल एरिया में ग्रीनरी

-सीएनसी, एलपीजी और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग

Posted By: Inextlive