- सेंट्रल पर हुए मेमू डिरेलमेंट की जांच के दौरान कोच में मिली कई खामियां, जुगाड़ वाले पा‌र्ट्स लगाए गए थे कोचों में

-जांच के दौरान एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने को लेकर दो डिविजन के इंजीनियर्स में नोकझोक, मारपीट तक आई नौबत

KANPUR। रेलवे अपने पैसेंजर्स की सुरक्षा और सुविधा बढ़ाने के बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन आए दिन हो रहे रेल हादसे और हादसों की वजह दावों की हवा निकाल देती है। घटिया क्वॉलिटी के पा‌र्ट्स और जुगाड़ टेक्नोलॉजी का यूज कर रेलवे पैसेंजर्स की जान से खिलवाड़ कर रहा है। बुधवार सुबह कानपुर सेंट्रल पर हुए लखनऊ-कानपुर मेमू हादसे की जांच में पता चला है कि जुगाड़ टेक्नोलॉजी के कारण ही ट्रेन के कोच डिरेल हुए थे। डिरेल हुए कोचों की जांच के दौरान इंजीनियर्स ने पाया कि कि कोच को कर्व व हल्के मूवमेंट के लिए लगाई जानी वाली साइड बियर्र प्लेट घटिया क्वॉलिटी की लगी हुई थी।

क्या है साइड बियर्र प्लेट

रेलवे कैरिज एंड वैगन इंजीनियर्स ने बताया कि कोच के व्हीकल के पास दो साइड बियर्र प्लेट लगाई जाती है। जोकि ऑयल में डूबी रहती हैं। इस प्लेट का वर्क कोच को हल्का मूव करना व कर्व ट्रैक में कोच को कर्व करना होता है। नियम के मुताबिक, यह प्लेट आरडीएसओ मेड होनी चाहिए लेकिन डिरेल हुए कोचों में यह प्लेट लोकल लगी हुई है। साथ ही वह प्लेन होने के बजाए कर्व थी। यही प्लेट डिरेलमेंट का अहम कारण मानी जा रही है।

मूवमेंट में ही डिरेल हुए कोच

कानपुर सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर तीन पर लखनऊ से कानपुर आ रही मेमू के इंट्री करते ही ट्रेन के दो कोच डिरेल हो गए। जांच के दौरान कोच एंड वैगन डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने पाया कि जुगाड़ सिस्टम के कारण ही ये स्थिति पैदा हुई। कोचों में लगने वाली साइड बियर्र प्लेट ब्रांडेड की जगह लोकल लगी हुई थी। जिसके चलते कोच डिरेल होने की आशंका जताई जा रही है। जिस जगह पर कोच डिरेल हुए वहां मूवमेंट था और साइड बियर्र प्लेट का काम भी कोचों को कर्व व मूव करना होता है।

मारपीट पर उतारू हुए अधिकारी

मेमू के डिरेल हुए कोचों की जांच करने के लिए रेलवे ने कानपुर व झांसी डिविजन के अधिकारियों की टीम गठित की थी। जिसमें एसएसई इलेक्ट्रिकल, एसएसई रेल पथ, एसएसई कोच एंड वैगन शामिल थे। कोचों की जांच के दौरान डिरेल का कारण एक दूसरे विभाग पर थोपने की वजह से दो डिविजनल अधिकारियों के बीच जमकर नोकझोक हुई, हालात मारपीट तक उतर आए। तभी तीसरे अधिकारी ने बीच में पड़कर दोनों को शांत कराया।

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10 साल में भी जांच रिपोर्ट नहीं

-ज्यादा रेल हादसों की जांच रिपोर्ट फाइलों में ही हो जाती है गुम, कालका हादसे की रिपोर्ट अब तक नहीं सामने

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कानपुर के आसपास बीते तीन सालों में दर्जनों डिरेलमेंट हुए। लेकिन ज्यादातर मामलों की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद फाइलों में ही दबी हैं। कालका एक्सप्रेस हादसे के 10 साल से अधिक होने के बाद भी अभी तक उसकी जांच रिपोर्ट नहीं आई। वहीं दो वर्ष पूर्व पुखरायां व रूरा में हुए ट्रेन हादसे की जांच रिपोर्ट भी फाइलों में एक डिविजन से दूसरे डिविजन धूम रही हैं। हकीकत यह है कि दुर्घटनाओं जांच के लिए कमेटी बनाना मामले को दबाने और पब्लिक के गुस्से को ठंडा करने का फॉर्मूला बन गया है।

एक दूसरे के पाले में फेंकते रहे लापरवाही की गेंद

न्यू कोचिंग कॉम्प्लेक्स में थर्सडे को डिरेल हुए कोचों की जांच के दौरान इंजीनियर्स एक दूसरे विभाग पर लापरवाही की गेंद फेंकते रहे। जिसकी वजह से ही दो डिविजन के अफसरों के बीच नोकझोक भी हुई थी।

Posted By: Inextlive