-ट्यूजडे को कानपुर देश का सबसे पॉल्यूटेड सिटी बना, पॉल्यूशन कंट्रोल करने के लिए नहीं उठाए गए कोई ठोस कदम

- 453 रिकॉर्ड किया गया एक्यूआई लेवल, डेंगू के बाद अब हॉस्पिटल्स में तेजी से बढ़ रहे सांस की प्रॉब्लम वाले पेशेंट

KANPUR: पॉल्यूशन को कम करने को चल रहे तमाम प्रयासों के बीच टयूजडे को सिटी में पॉल्यूशन का लेवल इस सीजन में अपने चरम स्तर पर पहुंचा। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के एयर क्वालिटी इंडेक्स में कानपुर देश का सबसे ज्यादा पॉल्यूटेड सिटी बना। यहां पॉल्यूशन का लेवल 453 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉर्ड हुआ। स्मार्ट सिटी के कंट्रोल एंड कमांड सेंटर ने सिटी के अलग अलग जगहों पर लगे सेंसर्स से जो डाटा दिया वह और भी चिंताजनक रहा। सिटी की आधा दर्जन जगहों पर पॉल्यूशन का लेवल 500 दर्ज किया गया। जो सेंसर की क्षमता में सबसे ज्यादा है।

सांस की बढ़ी प्रॉब्लम

डेंगू के चलते लगातार फुल चल रहे सिटी के अस्पतालों में अब सांस की प्रॉब्लम के पेशेंट्स भी तेजी से पहुंचने लगे हैं। जुखाम, गले में इंफेक्शन, आंखों में जलन, खांसी, चेस्ट इंफेक्शन वाले पेशेंट्स अस्पतालों में बढ़े हैं। इसके अलावा लंग्स डिसीज के शिकार लोगों की तो ऐसी आबोहवा में जान पर बन आई है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.सौरभ अग्रवाल ने बताया कि गले में इंफेक्शन, खांसी, जुखाम की शिकायत वाले पेशेंट्स आ रहे हैं।

अपने एरिया के पॉल्यूशन की यहां से लें अपडेट

अगर आप अपने क्षेत्र में पॉल्यूशन के स्तर को जानना चाहते हैं तो कानपुर स्मार्ट सिटी की वेबसाइट www.KANPURsmartcity.org को ओपन करें। वेबसाइट के सबसे ऊपर ही इनवायरमेंटल सेंसर्स पर क्लिक करके अपने क्षेत्र या उससे आसपास पॉल्यूशन की डिटेल्ड रिपोर्ट आप जान सकते हैं।

पॉल्यूशन से बचाव

- सांस की प्रॉब्लम वाले लोग धूल धुएं से बचे, सुबह के वक्त मार्निग वॉक भी ऐसे हालात में सही नहीं

- टू व्हीलर यूज करते हैं तो गाड़ी चलाते वक्त हेलमेट का इस्तेमाल करें, आंखों में चश्मा लगाएं

- अस्थमा या लंग्स डिसीज से पहले से परेशान हैं तो अपने डॉक्टर के पास जाकर दवा सेट करा लें

- जहां ज्यादा धूल है वहां मास्क(एन-95) लगा कर या मुंह पर रुमाल बांध कर निकले।

- खाने में विटामिन-सी,ओमेगा-3 वाली चीजें जैसे शहद,लहसुन, अदरक का ज्यादा इस्तेमाल करें।

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धुंए और फाइन पार्टिकल्स की वजह से लंग्स की कैपेसिटी कम हो रही है। बच्चों को बुजुर्गो को इन हालातों में बाहर निकलने से बचना चाहिए। सीओपीडी, अस्थमा के पेशेंट्स अपनी दवा में कोई लापरवाही न करें।

- डॉ.एसके कटियार, पूर्व प्रिंसिपल जीएसवीएम मेडिकल कालेज,सीनियर चेस्ट फिजीशियन

ओपीडी में सीओपीडी और अस्थमा के पेशेंट्स बढ़े हैं। लंग्स इंफेक्शन के केस भी बढ़े हैं। इसकी वजह पॉल्यूशन है.जिन्हें पहले से ही सांस की प्रॉब्लम हैं ऐसे हालात में खास ध्यान रखे।

- प्रो। संजय वर्मा, सीनियर चेस्ट फिजीशियन

Posted By: Inextlive