आई एक्सक्लूसिव

- लाइसेंस बनने से वेपन खरीद तक फर्जीवाड़ा

- असलहा विभाग में फर्जीवाड़ा कर बनवाए गए 77 शस्त्र लाइसेंस में 60 लोगों ने खरीद लीं पिस्टल, रिवॉल्वर

-असलहा बेचने के दौरान भी नहीं फॉलो किए गए नियम-कानून, फोन पर ही बाबू से पूछकर कर लिया वेरीफाई

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KANPUR : शस्त्र लाइसेंस बनवाने में फर्जीवाड़े के बाद शस्त्र बिक्री में भी घोर लापरवाही बरती गई। लाइसेंस बनने के बाद लगभग 60 लोगों ने रिवॉल्वर व पिस्टल के साथ 20-20 कार्टेज भी खरीदे। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत के दौरान मेस्टनरोड के एक गन हाउस ओनर ने बताया कि सहायक शस्त्र लिपिक विनीत और वरिष्ठ शस्त्र लिपिक चंद्रहास सिंह चौहान फोन पर लाइसेंस को वेरिफाई करते थे। इसके बाद वेपन को लाइसेंस होल्डर को बेच दिया जाता है। इनकी शॉप से 77 फर्जी लाइसेंसधारकों में से एक को वेपन बेचा गया है।

आंखें हैं या स्कैनर

गन हाउस ओनर के मुताबिक वेपन बेचने के दौरान सबसे पहले सिटी मजिस्ट्रेट के सिग्नेचर देखते हैं। सिग्नेचर देखने के बाद ही आगे प्रॉसेस किया जाता है। क्योंकि लगभग रोज ही उनके सिग्नेचर देखने हैं तो पता चल जाता है कि सिग्नेचर ओरिजिनल हैं या नहीं। इसके बाद असलहा विभाग में फोन कर पता करते हैं। बता दें कि लाइसेंस पर सिग्नेचर की बात से सिटी मजिस्ट्रेट भी इंकार नहीं करते हैं। उनका कहना है कि हर एक फाइल देखने के बाद ही लाइसेंस बुक जारी की गई है।

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तो शायद न होता फर्जीवाड़ा

गन हाउस से शस्त्र खरीदने के दौरान वेरिफिकेशन में लापरवाही बरती गई। लगभग 1 साल पहले ही गन हाउसेस से पिस्टल और रिवॉल्वर बेचने का रूल बनाया गया। इससे पहले राइफल, सिंगल बैरल और डबल बैरल ही गन हाउसेस से मिलती थी। जानकारों का कहना है कि अगर स्मॉल आ‌र्म्स फैक्ट्री से ही शस्त्र बेचे जाते तो ऐसा शायद नहीं होता। क्योंकि फैक्ट्री के चेक प्वॉइंट्स में फर्जी लाइसेंस जरूर पकड़ में आ जाता और वेपन की खरीद न हो पाती।

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बुकलेट बाहर से खरीदी

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर के वह बुकलेट भी हाथ लगी है, जिसमें फर्जी लाइसेंस इश्यू किया गया। बुकलेट की जिल्द काफी मोटी है और उसका कवर पेज काफी खुदरा है। अंदर के पन्नों पर लिखापढ़ी और मोहर बिल्कुल असली लाइसेंस के जैसे ही है। 2022 में जारी लाइसेंस की रिन्यवूल डेट भी लिखी गई है। डाले गए यूआईएन नंबर की रिपोर्ट भी ऑनलाइन देखी जा सकती है।

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अब बाहर से नहीं आती बुकलेट

शस्त्र लाइसेंस में फर्जीवाड़े से बचने के लिए पिछले 1 साल से बुकलेट को बाहर से नहीं खरीदा जाता है। बल्कि 100 रुपए एक्स्ट्रा फीस लेकर अब कलेक्ट्रेट से ही बुकलेट जारी की जाती है। विभाग से जारी बुकलेट फर्जी बुकलेट की तरह बिल्कुल नहीं होती है।

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गन हाउस के रूल

-शस्त्र बेचने से पहले आधार आईडी को चेक करने के साथ ही लाइसेंस को वेरिफाई किया जाता है।

-गन हाउस ओनर असलहा बाबू से लाइसेंस को फोन से वेरिफाई करते हैं। हरी झंडी मिलने पर शस्त्र बेचा जाता है।

-24 घंटे के अंदर सेल रिपोर्ट डीएम ऑफिस और संबंधित थाना क्षेत्र के एसपी को भेज दी जाती है।

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स्मॉल आ‌र्म्स फैक्ट्री के रूल

-शस्त्र खरीदने के लिए लाइसेंस के साथ पहले फैक्ट्री में आवेदन देना पड़ता है।

-इसके बाद फैक्ट्री से लाइसेंस वैरिफिकेशन के लिए लेटर असलहा विभाग को भेजा जाता है।

-7 दिन के लिए डाक और 30 दिन का समय असलहा विभाग को जवाब देने के लिए दिया जाता है।

-30 दिन तक कोई जवाब न आने या इससे पहले जवाब सही पाए जाने पर लाइसेंस होल्डर को वेपन बेच दिया जाता है। सेल रिपोर्ट डीएम को भी दी जाती है।

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Posted By: Inextlive