भक्ति के साथ दिखा राष्ट्रभक्ति का जोश
कांवड़ यात्रा में 101 फीट का तिरंगा
-मेरठ के 35 युवकों की टोली तिरंगे के साथ हरिद्वार से लाई गंगाजल -तीन माह की मेहनत में बनाया तिरंगा, देखने वालों का लगा तांता कांवड़ यात्रा में 70 फीसदी भोले के हाथ में तिरंगा Meerut । 101 फुट लंबे और 12 फीट चौड़े तिरंगे के साथ कांवड़ यात्रा में शामिल मेरठ के युवाओं ने कीर्तिमान बना दिया तो वहीं 70 फीसदी से अधिक कांवडि़यों के हाथ में तिरंगा धर्म और देशप्रेम के संगम को उजागर कर रहे थे। कांवड़ में शामिल भजनों की धुन पर कांवडि़ए थिरक रहे थे तो किसी डीजे पर 'ये देश है वीर जवानों का' गीत गूंज रहा था। कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन रविवार को एनएच 58 से करीब 5 लाख कांवडि़ए गंतव्य तक गए। मलियाना के हैं युवकविशाल तिरंगे की कांवड़ मलियाना के 35 युवक लाए हैं। मलियाना मंदिर वाली गली होली चौक निवासी दल के मुखिया देवेंद्र प्रजापति ने बताया कि सभी युवक कालोनी के आसपास के हैं। ग्रुप में एक महिला राजेश्वरी भी हैं। सुमित सैनी, सुरेश कुमार गोला, अरुण कुमार, नवीन, रोमी, प्रमोद आदि टीम में शामिल हैं। देवेंद्र प्रजापति ने बताया कि कांवड़ यात्रा के दौरान देशभक्ति का संदेश वे इस विशाल तिरंगा यात्रा से देशभर को देना चाहते हैं। 26 जुलाई, शहीद दिवस वाले दिन हरिद्वार से गंगा जल उठाया था। एक अगस्त को ग्रुप के सभी सदस्य औघड़नाथ मंदिर में जलाभिषेक करेंगे। देवेंद्र ने बताया कि वे अब हर साल तिरंगे के साथ कांवड़ लेकर आएंगे। रविवार दोपहर तिरंगा यात्रा टोल प्लाजा पहुंची। यहां शहरवासियों ने यात्रा का जोरदार स्वागत किया।
खुद बनाया तिरंगा गु्रप के सुरेश गोला ने बताया कि यह तिरंगा उन्होंने स्वयं तैयार किया है। गु्रप के सभी मेंबर्स ने तीन माह की मेहनत से विशाल तिरंगा बनाया और उसे लाने के लिए खास वाहन बनाया है। करीब डेढ़ लाख रुपए की लागत आई है। तिरंगे को छह पोल और 24 पहिए की गाड़ी पर स्थापित किया गया है। ------------- हर हाथ में तिरंगा कांवड़ यात्रा, तिरंगा यात्रा में तब्दील हो गई। आस्था और देशप्रेम का ऐसा मिलन हुआ कि अब ध्येय पृथक करना मुश्किल हो गया। करीब 70 फीसदी कांवडि़यों के हाथों में विशाल तिरंगा लहरा रहा था। सीने पर गंगाजल था तो कंधे पर लहराता तिरंगा। कांवड़ों को तिरंगे का रूप दिया गया तो वहीं डाक कांवड़ों को भी विशाल तिरंगे से सजाया गया। जोश से लबरेज डाक कांवडि़एहरियाणा के डाक कांविड़यों का जोश देखते बन रहा था। कांवड़ यात्रा के आखिरी दिन एनएच 58 पर डाक कांवडि़यों का हुजूम था। तेज गति से दौड़ रहे युवक किसी ओलंपिक मशाल की तरह गंगाजल को एक के बाद दूसरे के हाथ में दे रहे थे। दिल्ली-हरियाणा की डाक कांवड़ों के जत्थे आकर्षण का केंद्र बने रहे।