Kartik Purnima 2020 कार्तिक पूर्णिमा का पर्व सोमवार 30 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष शुभ योग बन रहा है। आप मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए कार्तिक पूर्णिमा व्रत रख सकते हैं। आइए जानें स्नान एवं दान का क्या है शुभ मुहूर्त।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Kartik Purnima 2020 कार्तिक पूर्णिमा परम पुनीत पवित्र तिथि मानी जाती है, इस दिन अगर कृर्तिका, भरणी, रोहिणी नक्षत्र हो तो इसका विशेष महत्व बढ़ जाता है। इस बार इस दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग होने से इस दिन पूर्णिमा का अत्यन्त शुभ महत्व रहेगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय से अगले दिन तक रहेगा, शिव योग प्रात:10:45 बजे तक रहेगा तदोपरान्त सिद्ध योग प्रातः 10:45 बजे से अगले दिन प्रात: 06:36 बजे तक रहेगा।

इसे "त्रिपुरी पूर्णिमा" भी कहते हैं
इन दिन विशेष तौर पर बनने वाला चंद्र-बृहस्पति का नव-पंचम,दृष्टि -सम्बन्ध योग का विशेष महत्व रहेगा।पूर्णिमा पर उच्च राशि के चंद्र का होना भी अपने आप में बेहद शुभ योग रहेगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिकी पूर्णिमा कही जाती है। इस दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे "त्रिपुरी पूर्णिमा" भी कहते हैं। इस दिन संध्या समय भगवान का मत्स्यावतार हुआ था, इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान आदि का फल दस यज्ञों के समान होता है। इस दिन ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने इसे "महा पुनीत पर्व" बताया है। इसलिए गंगा स्नान, दीप-दान, होम, यज्ञ तथा उपासना आदि का विशेष महत्व है।

संध्या काल में त्रिपुरोत्सव
इस दिन कृर्तिका पर चन्द्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो "पद्मक योग" होता है, जो पुष्कर में भी दुर्लभ है। इस दिन कृर्तिका पर चन्द्रमा और ब्रहस्पति हो तो यह "महा पूर्णिमा" कहलाती है। इस दिन संध्या काल में त्रिपुरोत्सव करके दीप-दान करने से पुर्नजन्मादि कष्ट नहीं होता। इस दिन चन्द्रोदय पर शिवा, सम्भूति, प्रीती, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृर्तिकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए।

कार्तिक पूर्णिमा व्रत फल
कार्तिका पूर्णिमा की रात्रि में व्रत करके वृष (बैल) दान करने से शिव पद प्राप्त होता है, गाय, घोड़ा, घी आदि दान करने से सम्पत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। इस दिन भेड़ दान करने से ग्रह योग के कष्टों का नाश होता है। इस दिन कन्या दान करने से "संतान व्रत" पूर्ण होता है। कार्तिका पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस दिन कार्तिक के व्रत धारण करने वालों को ब्राह्मण भोजन, हवन तथा दीपक जलाने का विधान है। कार्तिक पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है।

स्नान एवं दान का शुभ मुहूर्त:-
प्रातः काल 6:56 बजे से 8:14 बजे तक।,
प्रातः काल 9:29 बजे से 10:47 बजे तक।
अपराह्न काल 1:26 बजे से सांय काल 4:02 बजे तक।

अति विशेष:-
इस बार कोविड-19 के कारण उपरोक्त मुहूर्त में घर में पानी में गंगाजल डालकर स्नान करने से भी पुण्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा।
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari