ALLAHABAD: करवरिया बंधुओं को कोतवाली में दर्ज एक अपराधिक मुकदमें में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमके तिवारी की कोर्ट से राहत मिल गई है, क्योकि मुकदमा वादी ने स्वयं कोर्ट में सिफारिश किया कि उक्त मुकदमा समाप्त किया जाए, उसे कोई आपत्ति नहीं है। थाना कोतवाली में 30 मई 2017 को इस आशय की रिपोर्ट भेला एंड संस के मालिक सुनील वर्मा ने दर्ज कराया कि उसकी दुकान के सामने वैभव करवरिया पुत्र सूरज भार गाड़ी खड़ी करते है तथा अपराधिक भाषा का प्रयोग करते है। इसी तहरीर में सूरजभान, उदयभान और कपिलमुनि का भी जिक्र किया गया। कोतवाली पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट ने मुकदमा वादी को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए सूचना भेजी। मुकदमा वादी ने कोर्ट में पेश होकर अपना शपथपत्र पेश किया तथा मुकदमा समाप्त करने की याचना की। कोर्ट ने मुकदमा वादी को सुनने के बाद पुलिस की अंतिम आख्या को स्वीकार करते हुए मुकदमा समाप्त कर दिया।

-जिंदा को बता दिया मुर्दा, इंस्पेक्टर तलब

जिन्दा को मुर्दा बताने के चलते इंस्पेक्टर हंडिया को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मिथिलेश कुमार तिवारी ने तलब करते हुए स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सुनवाई तिथि 13 अगस्त मुकर्रर की है। मामला यह है कि उच्च न्यायालय में अपील याचिका रामराज बनाम सरकार वर्ष 1988 में दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट ने अपील की सुनवाई के लिए अभियुक्त को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के जरिए तलब किया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने प्रकरण हंडिया थाना से संबंधित होने के कारण नोटिस इंस्पेक्टर हंडिया को भेजा। थाना हंडिया से सब इंस्पेक्टर डीके मिश्रा नोटिस तामीला के लिए गए तो उन्हे पता चला कि रामराज की मृत्यु हो गई है, उन्होंने वहां के प्रधान से लिखवा लिया कि रामराज की मृत्यु हो गई है। फिर अपनी आख्या इंस्पेक्टर हंडिया को दिया। इंस्पेक्टर ने उक्त आख्या सीजेएम कोर्ट को भेज दिया। इधर कोर्ट को शंका हुई तो इंस्पेक्टर हंडिया को उक्त आख्या का सत्यापन करने के लिए भेजा। सत्यापन आख्या में यह रहस्य उद्घाटित हुआ कि राम राज अभी जीवित है, उसकी मृत्यु नहीं हुई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने भ्रामक रिपोर्ट व सत्यापन आख्या को गंभीरता से लेते हुए इंस्पेक्टर हंडिया को तलब किया कि वे अग्रिम सुनवाई तिथि पर कोर्ट में पेश होकर आख्या प्रस्तुत करें।

Posted By: Inextlive