कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुरथी को इस वर्ष 17 अक्टूबर को करवाचौथ पड़ रही है। महाभारत काल में द्रोपती ने श्रीकृष्ण के परामर्श पर करवाचौथ का व्रत किया था। वहीं गान्धारी ने ध्रतराष्ट्र के लिए कुंती ने पाण्डव के लिए और इंद्राणी ने इंद्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखा था।


शिव पुराण के अनुसार विवाह के पूर्व पार्वती जी ने शिव की प्राप्ति के लिए व सुंदरता के लिए करवाचौथ व्रत रखा था। लक्ष्मी जी ने नारायण के लिए ये व्रत रखा था जब भगवान विष्णु राजा बलि के यहां बंधन में थे तो लक्ष्मी जी ने व्रत किया था। जिन कन्याओं का विवाह न हो रहा हो उन्हें किसी महिला की बची हुई मेहंदी लगानी चाहिए। शीघ्र ही विवाह होगा। इस दिन कढ़ी, चावल, मूंग के बड़े व विविध प्रकार के व्यंजन बनाने चाहिए। मूंग के बड़े तो विशेषकर बनवाएं। जहां छत पर पूजन करें उस जगह को जल से या गाय के गोबर से लीप लें। करवे पर मौली जरूर बांधे, मिट्टी, ताबां, चांदी, सोने का करवा पूज्यनीय है इसलिए इनका भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि मिट्टी का करवा ज्यादा शुभ होता है। पूजन विधि
एक जल लोटा रखें और साथ ही एक मिट्टी का करवा भी रखें। करवे में गेहूं, चीनी व रुपए रखें। इसके अलावा करवे में रोली, चावल और गुड़ चढ़ाए। रोली से जल के लोटे पर और बायने से करवे पर सतिया बनाएं। 13 जगह पर रोली से टीका करें। रोली-चावल छिड़ककर जल चढ़ाएं। 13 दानें गेहूं के हाथ में लेकर कहानी सुनें, कहानी सुनने के बाद करवे पर हाथ फेर कर के अर्घ्य दें। चांद को रोली-चावल और चूरमा चढ़ाएं। परिक्रमा करके टीका लगाएं और अपने से बड़ी महिलाओं के तथा पति के पैर छूने के बाद में भोजन करें। अगर बहन-बेटियों का ससुराल पास में हो तो उसके यहां भी करवा भेजना चाहिए। करवे में गेहूं और नगद रुपए रख करके भेज दें। Navratri Day 4 किस तरह करें माता कूष्माण्डा की पूजा, विधि और भोगइस तरह करें पूजामहिलाएं बिना मंगलसूत्र पहने पूजा न करें। पूजा के वक्त बाल खुले नहीं रखना चाहिए। करवे को थल या छत पर नहीं रखना चाहिए। किसी के बहकावे में न आएं। बच्चों को नहीं डाटना चाहिए। दीपक भी बुझना नहीं चाहिए। सभी बहने अगल-बगल पूजा न करें। व्रती महिलाओं को देखकर उपहास न करें। अन्यथा चंद्रमा रूष्ट हो जाते हैं। काली हल्दी चढ़ाना शुभ है। सुहाग सामग्री दान करनी चाहिए। सम्भव हो तो पहला व्रत मायके से आई पूजन सामग्री से ही करना चाहिए।-पंडित दीपक पांडेयNavratri 2019 Vaastu: दक्षिण पूर्व दिशा में करें मां दुर्गा का पूजन, इस जगह भूल कर भी न रखें लोहे का टूटा सामान

Posted By: Vandana Sharma